भारत-चीन संबंध |
विषय – भारत-चीन संबंध
भारत-चीन सीमा
भारत और चीन के बीच (3488 KM) लंबी अंतराष्ट्रीय सीमा है। जो भारत के ( 4 राज्यों ) और ( 1 केन्द्रशासित प्रदेश ) की सीमाओं से मिलकर बनती है।
यदि हम भारत और चीन के बीच की 3488 KM की अंतराष्ट्रीय सीमा को देखे तो इसे तो सबसे पहले।
- लद्दाख (केन्द्रशासित प्रदेश)
- हिमाचल प्रदेश (राज्य)
- उत्तराखंड (राज्य)
- सिक्किम (राज्य)
- अरूणाचल प्रदेश (राज्य)
लद्दाख भारत का वह केन्द्रशासित प्रदेश है, जो चीन के साथ सबसे ज्यादा अंतराष्ट्रीय सीमा बनाता है। वही राज्यों में चीन के साथ सार्वधिक अंतराष्ट्रीय सीमा बनाने वाला राज्य अरूणाचल प्रदेश तथा सबसे कम अंतराष्ट्रीय सीमा बनाने वाला राज्य सिक्किम है। जिसे हम नीचे दिए गये चित्र के माध्यम से बेहतर ढंग से समझ सकते है।
मैकमोहन रेखा
भारत, तिब्बत और चीन। इन तीनों देशों के बीच में सीमाओं की समस्या थी। तो आजादी से पूर्व भारत में ब्रिटेन का शासन था। सन 1914 में शिमला में एक (Meeting) आयोजित की जाती है। जिसमें तीनों देशों के प्रतिनिधियों को बुलाया गया।
1914 का शिमला समझौता करने के बाद एक व्यक्ति थे। जिनका नाम था हैनरी मैकमोहन। तो हैनरी मैकमोहन ने क्या किया। हैनरी मैकमोहन ने भारत, तिब्बत और चीन के बीच में एक सीमा बनाई। और उसी सीमा को हम आज मैकमोहन रेखा के नाम से जानते है।
LAC – Line Of Actual Control
अब समस्या की शुरूआत होती है, 1962 में। जब चीन ने भारत पर हमला कर दिया। और हमला करने के बाद भारत का जो ( Aksai Chin ) वाला इलाका है, इस पर ( illegal ) तरीके से ( Occupy ) कब्जा कर दिया। तब भारत और चीन के बीच में एक ( Cease fire line ) या एक (temporary line) खीचीं गयी। जिसे हम ( LAC ) Line Of Actual Controll के नाम से जानते है।
भारत और चीन के बीच में जो ( Official line ) वास्तविक या औपचारिक सीमा है, वो मैकमोहन रेखा है। जो भारत और चीन को अलग करती है।
भारत और चीन के बीच प्रमुख मुद्दे
1. भारत-चीन युद्ध 1962
भारत और चीन के बीच में 1962 में युद्ध हुआ था। इस युद्ध में चीन ने भारत के अक्साई चीन वाले हिस्से पर अवैध रूप कब्जा किया था। और उस समय भारत और चीन द्वारा अवैध रूप से कब्जे वाला इलाके अक्साई चीन के बीच में एक युद्ध विराम रेखा बनानी पड़ी। और इसी रेखा को ( LAC ) Line Of Actual Control / वास्तविक नियंत्रण रेखा कहा जाता है।
जो वर्तमान समय में लद्दाख़ केन्द्रशासित प्रदेश में आता है।
1963 में पाकिस्तान ने ( POk ) Pakistan Occupied Kashmir का कुछ हिस्सा चीन को उपहार के रूप में दे दिया। जिसे हम सक्षगम घाटी के नाम से जानते हैं।
2. ब्रह्मपुत्र नदी विवाद
ब्रह्मपुत्र नदी का विवाद भारत की सुरक्षा को लेकर सबसे महत्वपूर्ण (Crucial) विवाद है। आप जानते हैं, ब्रह्मपुत्र नदी उदगम तिब्बत वाले इलाके से होता है। और फिलहाल जो तिब्बत वाला इलाका है उस पर चीन का कब्जा है।
जब ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत से निकलती है तो इसे सांग्पो नदी या यारलुंग सांग्पो नदी के नाम से जाना जाता है। फिर ये नदी भारत में अरूणाचल प्रदेश राज्य के द्वारा प्रवेश करती है।
अब चीन क्या कर रहा है कि चीन तिब्बत वाले इलाके में ब्रह्मपुत्र नदी पर 4 बड़े बांधों का निर्माण कर रहा है। जिसमें – दागु बांध, जिएक्सू बांध, जांग्मू बांध, जियाचा बांध।
चीन द्वारा तिब्बत वाले इलाके पर बनाये जा रहे 4 बड़े बांधों का निर्माण | |||
DAGU DAM | JIEXU DAM | ZABGMU DAM | JIACHA |
अब जानते हैं कि इससे भारत की सुरक्षा को लेकर कौन- कौन सी समस्याएं आ रही है।
भारत पर प्रभाव
चीन तिब्बत के जिन स्थानों पर इन 4 बड़े बांधों का निर्माण कर रहा है। वह एक प्रकार से पहाड़ी इलाका है। यहॉं पर ढलान ( Slope ) बहुत ज्यादा रहता है, मतलब पानी बहुत तेज गति से नीचे आता है।
अब इन बांधों में बहुत बड़ी मात्रा में पानी को (Store) किया जाता है। अब मान लो कभी भारत का युद्ध होता है, चीन के साथ में तो इन चारों बांधों को एक साथ खोलने से भारत के पूर्वी राज्यों में इतनी भंयकर बाढ आयेगी जो हम सोच भी नही सकते हैं।
दूसरी समस्या क्या है कि यदि चीन ने तिब्बत के उस इलाके में इन 4 बड़े बांधों का निर्माण कर भी लिए गये तो ब्रह्मपुत्र नदी में पानी की कमी हो जाएगी। जिससे भारत के (North-East) वाले राज्यों में पानी का गहरा संकट आ जायेगा। और ब्रह्मपुत्र नदी केवल भारत के लिए ही महत्वपूर्ण नही है बल्कि बांग्लादेश को भी इससे बहुत ज्यादा समस्या पैदा होगी। क्योंकि ब्रह्मपुत्र नदी बांग्लादेश की भी एक महत्वपूर्ण नदी है।
इसकी वजह से जब भारत के (North-East) राज्यों में पानी की कमी आयेगी। तो भारत इससे बांधों का निर्माण नही कर पायेगा। और यदि भारत बांधों का निर्माण नहीं कर पायेगा। तो भारत में ( Electricity ) की समस्या शुरू हो जाएगी। और यह बहुत बड़ा मुद्दा है खासकर युद्ध के समय यदि पानी को डिस्चार्ज किया जाता है तो भारत का जो मैदानी इलाका है असम राज्य में बहुत सारी समस्याएं आ सकती है। इसीलिए भारत हमेशा इन बांधों का विरोध करता है।
3. डोकलाम पठार विवाद
डोकलाम पठार का विवाद भारत और चीन के मध्य तीसरा विवाद है। जिसे डोकला प्लेटो विवाद भी कहा जाता है। डोकलाम पठार भूटान के चुंबी घाटी वाले इलाके में पड़ता है।
अब समझते हैं कि भारत इसमें (Involve) क्यों हुआ और आखिर विवाद क्या है।
भूटान में चुंबी नामक एक घाटी है, जहां पर डोकलाम पठार या डोकला प्लेटो स्थित है। इस स्थान पर तीन देशों (भारत, भूटान, और चीन) का जंक्शन है। जंक्शन उस स्थान को कहते हैं। जहां पर दो से अधिक देशों की सीमा आपस में मिलती है। चीन ने क्या किया कि डोकलाम पठार वाले इलाके में एक बहुत बड़ी सड़क बनाना शुरू कर दिया। और इसी बात को लेकर भारत ने ऑब्जेक्शन किया। और उसी समय भारत की बहुत सारी आर्मी डोकला प्लेटोवाले इलाके में पहुंच गये। ताकि इस चीज को रोका जा सके। जहाँ पर भारत, भूटान और चीन तीनों देशों का जंक्शन है। |
आप प्रश्न उठता है कि इससे भारत की सुरक्षा को क्या समस्याएं थी।
आप मैप में देख सकते हैं कि भारत को भारत के (North-East) राज्यों से एक पतला-सा रास्ता जोड़ता है। जिसे सिलीगुड़ी गलियारा कहा जाता है। जिसे भारत का (Chiken Neck) भी कहते हैं। यदि कभी भविष्य में चीन का युद्ध भारत से होता है, और यदि चीन ने डोकला प्लेटो वाले इलाके में सड़क बना ली तो इससे भविष्य में चीन सिलीगुड़ी गलियारा को बंद कर सकता है। जिससे भारत का संपर्क भारत के (North-East) राज्यों से टूट जायेगा। और ये भारत के लिए सामरिक महत्व का हिस्सा था। भारत और भूटान के बीच में बहुत अच्छे संबंध हैं। यदि कभी भी कोई भूटान पर यदि हमला करता है। भारत भूटान के आगे खड़ा हो जाएगा। इसी के तहत भारत ने इस सड़क को लेकर विरोध किया था। |
4. कैलाश मानसरोवर
सभी जानते हैं, कि जो कैलाश पर्वत है वो एक धार्मिक महत्व का स्थान है।
अब कैलाश पर्वत की कहानी को समझते हैं, कैलाश पर्वत कहॉं है, किस क्षेत्र में पड़ता है, और क्यों इसके पीछे विवाद है।
जो कैलाश पर्वत है वह भी चीन के तिब्बत वाले इलाके में आता है। कैलाश पर्वत हिंदू धर्म के लिए एक बहुत ही पवित्र स्थान है। हिंदू धर्म में कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास माना जाता है। और भगवान शिव के निवास के अलावा इस पृथ्वी का स्वर्ग कहा जाता है। और साथ ही साथ इस पृथ्वी का केंद्र भी माना जाता है। यहाँ से पृथ्वी को पूरी ऊर्जा मिलती है। कैलाश पर्वत का हिंदू धर्म के अलावा बौद्ध धर्म और जैन धर्म इन सब में भी धार्मिक महत्व है। भारत से हमेशा मानसरोवर की यात्रा करने के लिए बहुत सारे श्रद्धालु जाते हैं पर चीन हमेशा इसमें (Objection) करता है। अब कैलाश मानसरोवर जाने के तीन रास्ते हैं। जो सबसे छोटा रास्ता है, वो उत्तराखंड से होकर के जाता है। और उत्तराखंड में एक दर्रा है जिसे लिपुलेख पास या दर्रा कहा जाता है। तो ये सबसे छोटा और सबसे आसान रास्ता है। जो लिपुलेख दर्रे से होकर जाता है। पर चीन इस रास्ते पर भी कहीं बार (Objection) उठाता है। |
कैलाश मानसरोवर जाने का दूसरा सबसे बड़ा रास्ता काठमांडू (नेपाल) होकर जाता है। मानसरोवर जाने के तीसरा सबसे बड़ा रास्ता सिक्किम से होकर जाता है। जो सिक्किम में नाथुला पास (दर्रा) से होकर जाता है। सबसे पहले सिक्किम में नाथुला पास (दर्रा) से होकर तिब्बत जाते हैं। और फिर तिब्बत से मानसरोवर की यात्रा प्रारंभ होती है। तो चीन के साथ वार्ता होती है, कि इन रास्तों को आसान बनाया जाए और सबसे छोटा रास्ता है वह उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से होकर के जाता है, इस रास्ते को हमेशा खुला रखा जाए ताकि भारत के लोग कैलाश मानसरोवर की यात्रा कर सके। क्योंकि भारत के लिए यह धार्मिक महत्व का स्थान है। |
5. गलवान घाटी – Galwan Valley
गलवान घाटी का मुद्दा भारत और चीन के बीच एक बड़ा मुद्दा है। गलवान घाटी वर्तमान समय में भारत के लद्दाख़ केन्द्रशासित प्रदेश के अन्तर्गत आता है। और इसी गलवान घाटी से एक नदी नकलती है, गलवान नदी जो बाद में सूयक नदी में जाकर मिलती है। गलवान घाटी का जो इलाका है। वैसे तो ये पूरा लद्दाख़ में ही है। लेकिन जैसे की हमने शुरूआत में पढ़ा था की 1962 में भारत और चीन के बीच जो युद्ध हुआ था। तो उस समय गलवान घाटी का कुछ हिस्सा अक्साईं चिन में आता है। फिलहाल अक्साईं चिन पर चीन का अवैध कब्जा है। और इसी गलवान घाटी में एक लाइन गुजरती है। जिसे LAC ( line of Actual Controll ) कहा जाता है। भारत और चीन के बीच इसी लाइन को लेकर विवाद है। चीन के जो सैनिक थे वो अपनी Boundary को लांग कर भारतीय सीमा में आ गये। जिसका भारत ने विरोध किया। |
6. पैंगोंग त्सो झील – Pangong Tso Lake
पैंगोंग सो झील खारे पानी की एंडोफिक (लैंडलॉड) झील या स्थलबद्ध झील है। इस झील का आधा हिस्सा भारत के लद्दाख में आता है और आधा हिस्सा इसका चीन में आता है।
यहां पर भी चीन ने वही हरकत की ये जो झील है, इसके भारत वाले हिस्से पर चीन बार-बार घुसपैट कर रहा था। जिसका विरोध भारत ने किया।
महत्वपूर्ण जानकारिया
पैंगोंग झील खारे पानी की स्थलबद्ध झील है।
यह झील लद्दाख हिमालय में 14000 फुट से अधिक की उचाई पर स्थित एक लंबी, संकरी, गहीरी, एंडोर्फिक या (लैडलाॅक) खारे पानी की झील है।
एंडोर्फिक झील – ऐसी झील जो चारों तरफ से स्थल से घिरी होती है। उसे ऐडोर्फिक झील या लैडलॉक झील कहते हैं।
7. अरूणाचल विवाद
अरुणाचल विवाद चीन के तिब्बत पर कब्जे के बाद से उठा है। हम सभी जानते हैं कि अरुणाचल प्रदेश शुरुआत से भारत का (Integral) पार्ट है। लेकिन चीन हमेशा से अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करता है। चीन कहता है, कि अरुणाचल हमारा भाग है। और कई बार चीन ऐसे मैप (issu) करता है, जिसमें कई बार उसने पूरे अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताता है। जो कि पूरे तरिके से गलत है। तो अब चीन क्या कर रहा है, कि चीन अरुणाचल प्रदेश पर तो कब्जा तो नहीं कर सकता है। तो चीन अरूणाचल प्रदेश आजू-बाजू में जहां चीन की सीमा भारत की सीमा से लगती है। चीन वहां-वहां छोटे-छोटे गांव बसा रहा है।
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8. वन बेल्ट वन रोड़ ( OBOR )
वन-बेल्ट-वन-रोड-योजना ( CPEC ) चीन पाकिस्तान इकोनामिक कॉरिडोर का ही एक हिस्सा है। जो भारत और चीन के मध्य एक विवाद है।
पहले समझते हैं कि ये (वन बेल्ट वन रोड) क्या है।
यह चीन के द्वारा बनाई गई एक (संपर्क योजना) कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट है। हम सभी जानते हैं कि प्राचीन इतिहास में एक (सिल्क रुट) रेशम मार्ग हुआ करता था। और ये सिल्क रोड पूरे एशिया महाद्वीप को यूरोप से कनेक्ट कर देता था। इस तरीके से चीन को यह मार्ग पूरे देश के साथ जुड़ा करता था लैंड रूट के द्वारा।
अब चीन के राष्ट्रपति हैं जो शी जिनपिंग उन्होंने इसी को दुबारा बनाने का सोचा। कि हम दोबारा से सिल्क रुट बनाते हैं, लेकिन अब हम इसे बड़े पैमाने पर बनाएंगे। चीन का उद्देश्य यह है, कि चीन को एशिया, यूरोप और अफ्रीका इन तीन महाद्वीपों को चीन के साथ सड़क मार्ग, रेल मार्ग और जल मार्ग के द्वारा जोड़ना। अर्थात इन तीनों महाद्वीपों को सड़क, रेल, और जल मार्गों द्वारा चीन के साथ जोड़ना था। जहां-जहां पर उसे Road की जरूरत होगी वहां-वहां वह Road बनायेगा। कई-कई पर वह रेल मार्गों का निर्माण करेगा। और जहां पर सड़क व रेल मार्गों का निर्माण नहीं कर सकता है, वो वहां पर बन्दरगाहों का निर्माण करेगा। इस प्रकार से चीन स्वंय को एशिया, यरोप और अफ्रीका इन तीनों मार्गों के माध्यम से जोड़ पायेगा। का उपयोग करके माध्यम से जुड़ेगा।
अब प्रश्न उठता इस चीज का तो फायदा है,जो अच्छी बात है, पूरे महाद्वीप आपस में जुड़ेंगे, देश जुड़ेंगे। यह तो बहुत बढ़िया बात है, नहीं अच्छी बात तो बहुत ही जब इससे सभी को फायदा मिलता देखो सभी जानते हैं कि चीन के पास एक बहुत ( Strong Manufacturing Unit ) है। और यहां से जैसे ही चीज सभी से जुड़ जाएगा उसके उत्पाद बहुत आसानी से दूसरे देशों में पहुंचना शुरू हो जाएंगे और चीन का ( Extreme profit) होगा। लेकिन दूसरे देशों का इसमें बहुत नुकसान होगा।
यदि यह योजना सफल हो जाती है, तो दुनिया की (70% जनसंख्या ) और ( 75% ऊर्जा संसाधन – Energy Resources ) तक चीन की पकड़ बन जाएगी।
तो अब प्रश्न उठता है कि भारत इस चीज का विरोध क्यों कर रहा है?
भारत इस योजना का इसलिए विरोध कर रहा है, क्योंकि चीन ( वन बेल्ट वन रोड ) योजना का एक रास्ता POK वाले इलाके से ले जा रहा है, जिसे हम (Pakistan occupied Kashmir) कहते हैं। जो भारत का एक अभिन्न अंग है। जिसे चीन CPEC – ( China–Pakistan Economic Corridor) कहता है। ये जो रास्ता चीन (Pakistan occupied Kashmir) से ले जा रहा है यह रास्ता आप जानते होगें कि Connect होगा। ग्वादर बंदरगाह से।
भारत की आपत्ति यह है कि भारत की परमिशन के बिना ( Without India’s permission) कैसे आपने भारत इस इलाके से कोई रोड बन सकते हो। तो भारत का यही कहना है कि भारत परमिशन के बिना अपने भारत के एक हिस्से पर कैसे रोड बना दी। जो कि भारत का एक अभिन्न अंग है। यही विरोध है ( वन बेल्ट वन रोड ) योजना को लेकर भारत का।
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FAQ – भारत-चीन संबंध
भारत चीन के साथ 3488 Km की सीमा को साझा करता है। भारत के 4 राज्य ( हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरूणाचल प्रदेश ) चीन के साथ अपनी सीमा बनाते है। जिसमें अरूणाचल प्रदेश सबसे ज्यादा और सिक्किम सबसे कम सीमा चीन के साथ बनाते हैं। LAC 1962 में चीन द्वारा भारत पर हमला करने के बाद जो रेखा खींची गई एक ( Cease fire line ) या एक ( temporary line ) है। जिसका पूरा नाम ( Line Of Actual Control )। भारत और चीन के बीच वास्तविक रेखा मैकमोहन रेखा है। जो भारत को चीन से अलग करती है। ब्रह्मपुत्र नदी को तिब्बत में सांग्पो या यारलुंग सांग्पो के नाम से जाना जाता है। भारत का Chicken Neck सिलीगुड़ी कॉरिडोर को कहा जाता है। कैलाश मानसरोवर जाने के मुख्यत: तीन रास्ते है। जिसमे सबसे छोटा रास्ता उत्तराखंड के लिपलेख दर्रे से होकर जाता है। दूसरा काठमाडू (नेपाल ) से होकर जाता है। और मानसरोवर जाने का तीसरा रास्ता सिक्किम के नाथुला दर्रा से होकर जाता है। गलवान घाटी का मुद्दद्दा भारत और चीन के बीच है। गलवान घाटी से गलवान नदी निकलती है जो बाद में सूयक नदी में जाकर मिल जाती है। ऐसी झील जो चारों तरफ से स्थल से घिरी होती है। उसे एंडोर्फिक झील या लैंडलॉक झील कहते हैं। भारत चीन के साथ अपनी कितनी किलोमीटर की सीमा साझा करता है?
भारत के कितने राज्य चीन के साथ सीमा बनाते हैं?
LAC क्या है?
भारत और चीन के बीच वास्तविक रेखा कौन-सी है?
ब्रह्मपुत्र नदी को तिब्बत में किस नाम से जाना जाता है?
भारत का Chicken Neck किसे कहा जाता है?
कैलाश मानसरोवर जाने के कितने रास्ते हैं?
गलवान घाटी का मुद्दद्दा किन दो देशों के बीच है?
गलवान घाटी से कौन-सी नदी निकलती है?
एंडोर्फिक झील किसे कहते हैं?