उत्तराखंड के वाद्य यंत्र |
राज्य के लोक संगीत के समय 4 प्रकार के वाद्य यंत्र बजाये जाते हैं।
- चर्म वाद्य यंत्र
- तांत या तार वाद्य यंत्र
- सुषिर या फूक वाद्य यंत्र
- धातु या घन वाद्य यंंत्र
चर्म वाद्य यंत्र
चर्म वाद्य यंत्रों का अर्थ होता है कि ऐसे वाद्य यंत्र जो किसी पशु के त्वचा अर्थात चर्म से बनाये जाते हैं, उन्हें चर्म धातु के वाद्य यंत्र कहते हैं। चर्म से बने वाद्य यंत्र।
- धतिमा, डौंर, साइया, डफली, हुड़की, हुड़का, नगाड़ा, ढोल, तबला, दमामा या दमाऊँ आदि।
तांत या तार वाद्य यंत्र
तांत या तार वाद्य यंत्रों में से बने प्रमुख वाद्य यंत्रों में सारंगी, एकतारा, दो तारा, तथा वीणा वाद्य यंत्र आते हैं।
सारंगी वाद्य यंत्र –
सूषिर या फूक वाद्य यंत्र
सूषिर या फूक वाद्य यंत्र ऐसे वाद्य यंत्रों को कहा जाता है, जिनके एक हिस्से को मुँँह से लगाकर उसमें फूक मारके बाजया जाता है। जैसे –
- उर्ध्वमुखी, मशकबीन, मोछंग, शंख, नागफणी, अल्गोजा (बासुरी), रणसिंहा (अंकोरा), तुरही।
मशकबीन
धातु या घन वाद्य यंत्र
धातु या घन वाद्य यंत्रों में अलग-अलग धातुओं से बनी वाद्य यंत्र आते हैं।
जैसे – खजड़ी, करताल, झांझ, मंजीरा, घुंघरू, चिमटा, घण्टा, विणाई तथा (कांसे की थाली) आदि वाद्य यंत्र आते हैं।
बिणाई वाद्य यंत्र –
लोहे के एक छोटे से धातु का बना वाद्य यंत्र होता है। जिसके दोनों सिरों को दांतों के बीच में दबाकर बजाया जाता है।
तुरही और रणसिंघा –
तुरही और रणसिंघा (भंकोरा) एक-दूसरे से मिलते-जुलते फूक वाद्य यंत्र हैं। जिन्हें पहले युद्ध शुरू होने से पहले बजाया जाता था। तुरही और रणसिंघा नामक (भंकोरा) तांबे के धातु से बना हुआ होता है। जिसे मुहं में फूक मारकर बजाया जाता था।
अल्गोजा (बांसुरी) –
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अल्गोजा बांस या मोटे रिंगाल से बनी होती है, जिसे स्वतंत्र और सह वाद्य दोनों ही रूपों में बजाया जत है। इसके धुन के साथ नृत्य भी किया जाता है। प्रदेश में अल्गोजा को पशुचारक अर्थात पशुओं को चराने वाले पशुचारक बजाते हैं।
सारंगी
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इस वाद्ययंत्र का प्रयोग बाद्दी जाति तथा मिरासी जाति के लोग करते हैं। इस जाति के लोग अपने जीवन यापन करने के लिए सारंगी वाद्ययंत्र को बजाते हैं।
एकतारा या इकतारा वाद्ययंत्र
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एकतारा या इकतारा वाद्ययंत्र भारत के संगीत का एक लोकप्रिय वाद्ययंत्र है।जिसमें एक ही तार होता है। जिसके माध्यम से इसे बजाया जाता है। जिसका प्रयोग प्रदेश में प्रतियोगिता, तथा शुभ कार्यों मेंं किया जाता है।
मशकबीन वाद्ययंत्र
यह एक यूरोपियन वाद्य यंत्र है। जिसे पहले सेना के बैण्ड तथा शुभ कार्यों में बजाया जाता था। इस वाद्य यंत्र एक कपड़े का थैलीनुमा होता है, जिसमें 5 बांसुरी यंत्र लगे होते हैं। जिसमें एक बांसुरी मुंह में रखकर फूक मारके बजाया जाता है। तथा बाकी अन्य 4 बांसुरीयों से मन को मोहित करने वाली ध्वनियां निकलती है।
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