उत्तराखंड में सिंचाई एवं खेती के प्रकार

उत्तराखंड में सिंचाई एवं खेती के प्रकार


उत्तराखंड में सिंचाई एवं खेती के प्रकार

 

उत्तराखंड में सिंचाई आधारित भूमि

पर्वतीय भागों में सिंचाई के आधार पर तीन प्रकार की भूमि मिलती है। जहां सिंचाई की सर्वोतम व्‍यवस्‍था होती है।

 

इजराइन भूमि

वनों के बीच या किनारे की अपरिपक्‍व पथरीली भूमि को इजरान कहते हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में गांवों के समीप की भूमि को घरया, गांव के मध्‍य की भूमि को बिचल्‍या वनों से लगी भूमि को बुण्‍या कहा जाता है।

उपराऊँ भूमि

यह असिंचित भूमि ऊपरी भागों में मिलती है। इस भूमि को दो वर्गों में बांटा गया है।

  1. उपराऊँ अव्‍वल भूमि
  2. उपराऊँ दोयम भूमि

 

उपराऊँ अव्‍वल, उपराऊँ दोयम में बांटा गया है। जबकि उपराऊँ दोयम से डेढ़ गुना अच्छी होती है। जबकि उपराऊँ दोयम इजरान भूमि से दो गुना उत्तम होती है।

 

तलाऊँ भूमि

यह भूमि घाटी के तलों में मिलती है जहॉं सिंचाई की व्‍यवस्‍था होती है। यह भूमि उपराऊँ भूमि से अच्छी मानी जाती है।

 

खेती के प्रकार

विषम भौगोलिक परिस्थितियों एवं अन्‍य कारणों से राज्‍य में कई प्रकार की खेती जाती है।

सीढ़ीदार खेती

जब भूमि अधिक ढालू होती है। तब इस विधि से कृषि की जाती है। इसमें ढाल को सीढ़ीयों के रूप में परिवर्तित कर दिया जाता है और उन सिढ़‍ियों  के रूप में परिवर्तित कर दिया जाता है। और उन सिढ़‍ियों पर सीढ़‍ियों पर आड़ी जुताई केरे कृषि की जाती है।

स्‍थानान्‍तरणशील खेती

इस झूमिंग खेती कहते हैं। राज्‍य की कुछ आदिम जातियॉं इस प्रकार की खेती करती हैं। इसमें सर्वप्रथम किसी स्‍थान का चुनाव कर उस स्‍थान की झाड़‍ियों को साफ किया जाता है और कुछ वर्षों तक उसमें कृषि की जाती है। उर्वरता समाप्‍त होने पर स्‍थान को बदल दिया जाता है।

 

समोच्‍च खेती

इसे कण्‍टूर फार्मिंग भी कहते हैं। ढाल के ऊपर एक ही ऊँचाई के अलग-अलग दो बिन्‍दुओं को मिलाने वाली काल्‍पनिक रेखा को कण्‍टूर कहते हैं। जब पहाड़ी ढालों के विपरित कण्‍टूर रेखा पर खेती की जाती है तो उसे कण्‍टूर या समोच्‍च खेती कहते हैं।

इस विधि से कम वर्षा वाले क्षेत्रों में नमी सुरक्षित रहती है, जबकि अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में भूक्षरण कम हो जाता है।

 

राज्‍य में फसलों के उत्‍पदान का क्षेत्रफल

फसल का नाम क्षेत्रफल (%)
गेहूँ 30
धान 26
मंडुवा 8
गन्‍ना 9
सांवा 5
कुल दालें 6
कुल तिलहन 2
मक्‍का 2
जौ 2

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Share
Share
Uttarakhand Foundation Day Govind National Park Corbett National Park India China relations Musical Instruments Of Uttarakhand