चक्रवर्ती अशोक सम्राट

चक्रवर्ती अशोक सम्राट

 


चक्रवर्ती अशोक सम्राट

चक्रवर्ती अशोक सम्राट बिन्‍दुसार के उतराधिकारी थे। जो 279 ईसा पूर्व मगध की राजगद्दी पर बैठे थे। अशोोक की माता का नाम सुभद्रांगी था। राजगद्दी पर बैठने की समय अशोक अवंती का राज्यपाल था।

  • मास्‍की, गुजर्रा, नेतुर एवं उडेगोलम के लेखों में अशोक का नाम अशोक मिलता है।
  • कर्नाटक के गुलबर्गा जिले के कनगनहल्ली से प्राप्त उभारदार मूर्तिशिल्प (रिलीफ स्‍कल्‍प्‍चर) शिलालेख में अशोक प्रस्‍तर रूपचित्र के साथ राण्‍यो अशोक (राजा अशोक उल्‍लेखित है। 
  • पुराणों में अशोक को अशोक वतन कहा गया है।
  • अशोक ने अपने अभिषेक के 8 वर्ष बाद लगभग 261 इसा पूर्व में कलिंग पर आक्रमण किया और कलिंग की राजधानी तोसली पर अधिकार कर लिया।

 

अशोक पहले ब्राह्मण धर्म का अनुयाई था। कल्‍हण के राजतरंगी से पता चलता है कि वह से शैव धर्म का उपासक था। तथा निग्रोध के प्रवचन सुनकर उसने बौद्ध धर्म को अपना लिया।

अशोक के प्रमुख शिलालेख

शिलालेख विषय
पहला इसमें पशुबलि की निंदा की गई है।
दूसरा मनुष्य व पशु दोनों की चिकित्सा-व्यवस्था का उल्लेख है।
तीसरा इसमें राजकीय अधिकारियों को यह आदेश दिया गया है कि वह हर पांचवें वर्ष के उपराष्ट्र दौरे पर जाऍं। तथा इसमें कुछ धार्मिक नियमों का उल्‍लेख भी है।
चौथा इसमें भेरीघोष की जगह धम्‍मघोष की घोषणा की गयी है।
पांचवाँ इसमें धर्म-महामंत्रों की नियुक्ति की जानकारी मिलती है।
छठावाँ इसमें आत्म-नियंत्रण की शिक्षा दी गई है।
सातवाँ व आठवाँ इसमें अशोक की तीर्थ यात्राओं का उल्लेख है।
नौवाँ इसमें सच्ची भेंट तथा सच्चे शिष्टाचार का उल्लेख है।
 दसवाँ इसमें अशोक ने आदेश दिया है कि राजा तथा उच्च अधिकारी हमेशा प्रजा के हित में सोचें।
ग्यारहवाँ इसमें धम्‍म की व्याख्या की गई है।
बारहवाँ इसमें स्त्री महामात्रों की नियुक्ति एवं सभी प्रकार के विचारों के सम्मान के बात कही गयी है।
तेरहवॉं इसमें कलिंग युद्ध का वर्णन एवं अशोक के हृदय परिवर्तन की बात कही गयी है।तथा इसी में पांच यवन राजाओं के नामों का उल्लेख है। 
चौदहवाँ अशोक ने जनता को धार्मिक जीवन में बिताने के लिए प्रेरित किया।

 

अशोक जीवन से जुड़े मुख्‍य बातें।

  • अशोक ने एक उपासक के रूप में अपने राज्याभिषेक के 10वें वर्ष में बोधगया की यात्रा।
  • तथा 12वें वर्ष में निगालि सागर की यात्रा।
  • व 20वें वर्ष लुंबिनी की यात्रा की।
  • अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अपने पुत्र महेन्‍द्र एवं पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका भेजा।

 

Read – बौद्ध धर्म के संस्‍थापक


भारत में शिलालेखों का प्रचलन सर्वप्रथम अशोक ने किया।

  • अशोक के शिलालेखों में ब्राह्मी, खरोष्‍ठी, ग्रीक, एवं अरमाइक लिपियों का प्रयोग हुआ है।
  • ग्रीक एवं अरमाइक लिपि का अभिलेख अफगानिस्तान से, खरोष्‍ठी लिपि का अभिलेख शाहवाजगढ़ी एवं मनसेहरा (पाकिस्‍तान) से और शेष भारत से ब्राह्राी लिपि के अभिलेख मिले हैं। 

 


अशोक के अभिलेखों को तीन भागों में बांटा गया है।

  • शिलालेख
  • स्तंभ लेख
  • गुहालेख।

अशोक के शिलालेख

अशोक के शिलालेखों की खोज 1750 ई. में पाद्रेटी फेन्‍थैलर ने की थी। इनकी संख्या 14 थी। अशोक की अभिलेखों को पढ़ने में सबसे पहली सफलता 1837 में जेम्‍स प्रिसेप को हुई।

 

अशोक के स्‍तम्‍भ लेख

अशोक के स्तंभ लेखो की संख्या 7 है जो केवल ब्राह्मी लिपी में लिखी गयी हैं। जो 6 अलग-अलग स्‍थानों से प्राप्‍त हुई है।  

 

  • प्रशासन की सबसे छोटी इकाई ग्राम थी जिसका मुखिया ग्रामीण कहलाता था
  • व्हाट्सएप में सबसे छोटा गुप्ता जो 10 ग्रामों का शासन संभालता था
  • युद्ध क्षेत्र में सैनिक का नेतृत्व करने वाले को नायक कह रह
  • सैन्य विभाग का सबसे बड़ा अधिकारी सेनापति होता था
  • मॉडिफिकेशन में बुद्धि चलूंगा महामात्य सरकनामा अमाती के
  • अर्थशास्त्र में गुप्तचर को अच्छा पुरुष कहा गया
  • रेगिस्तान से दूसरे स्थान पर भ्रमण करके कार्य करने वाले गुप्तचर को संचार कहा जाता था
  • अशोक के समय जनपद या न्यायालय के न्यायाधीश को राजू कहा जाता था
  • सरकारी भूमि को सीता भूमि कहा जाता था बिना वर्ष के अच्छी खेती होने वाली भूमि को देव मार्केट कहा जाता था
  • मौर्य काल में द्रोण अनाज के माप के लिए प्रयोग होता था

 

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