अलकनंदा नदी तंत्र |
अलकनंदा नदी उपतंत्र
अलकनंदा नदी राज्य के चमोली जनपद के उत्तरी भाग में स्थित सतोपंथ शिखर के अलकापुरी बाग हिमनद और सतोपंत ताल (क्षीरसागर) से होते हुए 195 किलोमीटर की यात्रा के बाद देवप्रयाग में भागीरथी नदी में मिल जाती है। इस नदी का प्राचीन नाम विष्णु गंगा है।
अलकनंदा की सहायक नदी
सरस्वती, ऋषि गंगा 2, हेमगंगा, लक्ष्मण गंगा, पश्चिमी धौलीगंगा, विरथी, नाबालिका, नन्दाकिनी, पिंण्डर, व मंदाकिनी, वसुधारा, कंचनगंगा, क्षीरगंगा, रूद्रगंगा (भ्यूंडार गंगा), अमृतगंगा, सोनधारा आदि नदियां अलकनन्दा की सहायक नदीयां हैं। जो जल प्रवाह की दृष्टि से राज्य की प्रमुख नदी है।
- सर्वप्रथम बद्रीनाथ के उत्तर-पश्चिम दिशा में स्थित माणा गांव के निकट केशव प्रयाग (चमोली) में अलकनंदा नदी में सरस्वती नदी मिलन होता है। जो कामेट चोटी के रताकोना नामक स्थान पर स्थित देवताल से निकलती है।
- बद्रीनाथ में ही अलकनंदा से ऋषि गंगा 2 नदी मिलती है। जिसका उदगम नीलकंठ पर्वत से होता है।
- बद्रीनाथ से कुछ दूरी पर स्थित गोविंद घाट के निकट अलकनंदा में हेमगंगा तथा लक्ष्मण गंगा का मिलन होता है।
विष्णुप्रयाग
- चमोली (विष्णु-प्रयाग) में अलकनंदा में पश्चिमी धौलीगंगा मिलन होता है। इस नदी का उदगम नीति दर्रे के क्षेत्र में स्थित धौलागिरी की कुलगुल श्रेणी से होता है। ऋषि गंगा 1, गणेशगंगा, कियोगाढ़, तथा गिरीथी आदि पश्चिमी धौलीगंगा की सहायक नदियां हैं।
- विष्णु-प्रयाग तक अलकनंदा को विष्णुगंगा के नाम से जाना जाता है।
विष्णु-प्रयाग से नीचे व नंदप्रयाग से ऊपर अलकनंदा में 4 नदीयों का मिलन होता है।
- बालखिल्य गंगा
- विरहीगंगा (विरही)
- पातालगंगा
- गरूड़गंगा।
नंदप्रयाग
- चमोली (नंदप्रयाग) में अलकनंदा में नंदाकिनी नदी का मिलन होता है। जो त्रिशूल पर्वत के पास स्थित नंदा घुघटी से निकलती है।
कर्णप्रयाग
- चमोली (कर्णप्रयाग) में अलकनंदा से पिंडर (कर्णगंगा) का मिलन होता है। जो राज्य के बागेश्वर जनपद में स्थित पिण्डारी ग्लेशियर से निकलती है। इस नदी की गति बहुत ही तीव्र है।
उत्तराखंड के वन्यजीव अभ्यारण्य
रूद्रप्रयाग
रुद्रप्रयाग जिले में स्थित (रूद्रप्रयाग) में अलकनंदा में मंदाकिनी नदी में का मिलन होता है। जो केदारनाथ के पास स्थित मंदराचल श्रेणी व चोराबाड़ी हिमनद से निकलती है। मंदाकिनी नदी की अनेक सहायक नदियां हैं। मधुगंगा नदी मंदाकिनी नदी से कालीमठ में मिलती है।
देवप्रयाग
टिहरी (देवप्रयाग) में अलकनंदा से भागीरथी नदी का मिलन होता है। यहां पर अलकनंदा को (बहू) तथा भागीरथी को सास के नाम से जाना जाता है।