उत्तराखंड की प्रसिद्ध महिलाएं |
उत्तराखंड की प्रसिद्ध महिलाएं
तीलू रौतेला, जियारानी, कर्णावती, सरला बहन जैसी उत्तराखंड की ऐसी प्रसिद्ध महिलाएं हैं। जिन्होंने उत्तराखंड के सामाजिक, तथा उत्तराखंड राज्य को सशक्त बनाने में कहीं महत्वपूर्ण योगदान दिए।
तीलू रौतेला
- गढ़वाल की झांसी की रानी कही जानी वाली वीरांगना तीलू रौतेली का जन्म पौढ़ी जनपद के गुराड़ गॉंव में अगस्त 1661 में हुआ था।
- इन्होंने 7 वर्ष की आयु में 13 किलों पर विजय प्राप्त किया तथा कत्यूरियों को परास्त कर अपने पिता (भूप सिंह गोर्ला) भाई व पति भवानी सिंह की मृत्यु का बदला लिया।
- इनके साहस एवं पराक्रम की प्ररेणा रौतेला के नाम से उत्तराखंड सरकार द्वारा 2006 में तीलू रौतेली स्त्री शक्ति पुरस्कार की शुरूआत की गई है।
जियारानी
- कुमाऊँ की लक्ष्मीबाई कही जाने वाली इस रानी ने रोहिलों और तुर्की आक्रमण के दौरान रानीबाग युद्ध में उनका डटकर मुकाबला किया था।
- इन्हें कुमाऊँ में न्याय की देवी माना जाता है।
- जियारानी मालवा नरेश की राजकुमारी थी। इनका मूल नाम मौला देवी तथा दूसरा नाम पिंगला या प्यौंला था।
कर्णावती
- जुलाई 1631 में अल्मोड़ा युद्ध में महाराज महिपति का देहांत हो जाने के बाद उनकी पत्नी कर्णवती ने अपने पुत्र युवराज पृथ्वीपति शाह के वयस्क होने तक गढ़वाल राज्य का शासन संभाला।
- इन्होंने मुसलमान सेनानायक दोस्त बेग मुगल के परामर्श पर अपनी आज्ञा का उल्लंघन करने वालों की नाक कटवा देने की प्रथा शुरू की।
- कर्णावती आगे चलकर नाक काटने वाली रानी के नाम से विख्यात हुई।
सरला बहन
- कुमाऊॅं क्षेत्र में पर्यावरण विनाश के बारे में जागरूकता फैलाने तथा जंगल बचाओ का अभियान प्रसिद्ध गॉंधीवादी समाजसेवी व पर्यावरण संरक्षक सरला बहन का मूल नाम ‘कैथरीन मैरी हैलीमन था।
- सरला बहन का जन्म 1901 इंग्लैण्ड में हुआ था।
- लेकिन 1932 में सरला बहन भारत आई और गॉंधी जी से प्रभावित होकर हमेशा के लिए भारत में ही रह गई।
- सन 1978 जमनालाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित सरला बहन को सरला नाम महात्मा गांधी द्वारा दिया गया है।
विशनी देवीशाह
- विशनी देवीशाह का जन्म 12 अक्टूबर 1902 में बागेश्वर में हुआ था।
- ये स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जेल जाने वाली उत्तराखंड की प्रथम महिला थी।
- 1972 में मृत्यु को प्राप्त होने वाली विशनी देवी के शौर्य एवं साहस की प्रशंसा स्वयं प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने की थी।
- 2021 में विशनी देवीशाह पर 5 रूपये का डाक टिकट जारी किया गया है।
विद्यावती डोभाल
- विद्यावती डोभाल का जन्म 1902 में गढ़वाल में हुआ था।
- ये गढ़वाल की पहली महिला लेखिका, कवियित्री, समाजसेवकिा, और विमान परिचालक हैं।
- 1929 में इनकी पहली रचना ‘अमृत की बूंदे’ गढ़वाली प्रेस देहरादून से प्रकाशित हुई थी।
- इनकी अन्य रचनाएं – पगली का प्रलाप, एवरेस्ट के देवता, खण्डूड़ी कुल की विभूतियां, और श्रीमती मंगला देवी जुयाल की जीवनी हैं।
कमलेन्दुमती शाह
- राज्य की प्रथम महिला सांसद (1952-57) व प्रथम पदम भूषण (1958) का गौरव प्राप्त करने वाली महिला कमलेन्दुमती शाह का जन्म (1903) में हिमाचल प्रदेश में हुआ था।
- जो टिहरी रियासत के महाराजा नरेन्द्र शाह की महारानी थी।
- कमलेन्दुमती शाह हिन्दी, अंग्रेजी, और फ्रेंच के अलावा दर्शन और संगीत में भी निपुण थी।
- ये ऑल इण्डिया वूमेन एसोशिएशन की अजीवन सदस्य रहीं।
- इन्होंने ‘जीवन ज्योति‘ (कविता संग्रह) और ‘माई इम्प्रेशन ऑफ अमेरिका‘ नामक पुस्तक लिखी।
गौरा देवी
- चिपको आन्दोलन की प्रथम सूत्रधार महिला श्रीमती गौरा देवी का जन्म 1925 में उत्तराखंड राज्य के चमोली जनपद में हुआ।
- 26 मार्च 1974 को गांव के पुरूष बाहर गये थे और गांव के जंगलों में ठेकेदार के आदमी पेड़ों को काटने के लिए आ गए।
- जैसे ही यह बात गांव की महिलओंं को पता चली वैसे ही गांव की महिलाएं गौरा देवी की नेतृत्व में जंगल में जाकर पेड़ों से चिपक गये।
- जिस कारण वनों को काटने आये ठेकेदार के लोगों को हार कर वापस जाना पड़ा। जिस कारण वृक्षों की रक्षा के लिए किया गया यह आंदोलन पूरे विश्व में फैल गया।
- गौरा देवी को चिपको वूमन के नाम से जाना जाता है।
पुरस्कारों से सम्मानित
- 1986 में प्रथम वृक्ष मित्र पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- 2016 में गौरा देवी को मरणोपरान्त उत्तराखंड गौरव रत्न से विभूषित किया गया ।
कैप्टेन भवानी गुरूनानी
- कैप्टेन भवानी गुरूनानी का जन्म जनवरी 1972 में अल्मोड़ा के सूरीगांव में हुआ था।
- इन्होंने सेना में 1994 में प्रवेश किया था। और ये उत्तराखंड की पहली सैन्याधिकारी हैं।
- जिन्हें (ए. एम.सी) के अतिरिक्त सेना की दूसरी शाखा (ए.ई.सी.) में नियुक्ति पाने का गौरव प्राप्त है।
मेजर जनरल कु. माया टम्टा
- अल्मोड़ा की रहने वाली कुमारी टम्टा भारत की ही नहीं, विश्व की पहली महिला मेजर जनरल है।
- इनके पिता भी सेना में ब्रिगेडियर थे अत: इनकी शिक्षा पुणे से की थी।
- कु. माया टम्टा ए.एम.सी की मिलेट्री नर्सिंग सर्विस से रिटायर हुईं।
मधुमिता बिष्ट
- 5 अक्टूबर 1964 को बंगाल में जन्मी किन्तु देहरादून निवासी मधुमिता बिष्ट एक बैडमिण्टन खिलाड़ी है।
- इन्हें राष्ट्रीय बैडमिंटन प्रतियोगिता के एकल वर्ग में 1986 से 1990 तक निरन्तर खिताब जीतने का गौरव प्राप्त है।
- 1982 में इन्हें अर्जुन पुरस्कार तथा 2006 में पदमश्री से सम्मानित किया गया है।
प्रभा किरण
- गढ़वाल में जन्मी प्रभा किरण का जन्म 1955 में हुआ था।
- प्रभा किरण एक सम्पादक, पत्रकार, सामाजिक कार्यकत्री, छोटे पर्दे की कथा लेखिका, के साथ-साथ डाक्यूमेन्ट्री फिल्मों की निर्माता भी रही है।
- प्रथम गढ़वाली फिल्म ‘जग्वाल’ और ‘हिमालय गर्ल’ की प्रोडक्शन करने वाली प्रभा किरण ने कई टेली फिल्मों की निर्माता भी रही है।
पुस्तक
- ‘आत्म साक्षात्कार’ एवं अभिव्यक्ति इनके द्वारा लिखित पुस्तकें हैं।
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FAQ – उत्तराखंड की प्रसिद्ध महिलाएं
जिया रानी को। विशनी देवीशाह। मेजर जनरल कु. माया टम्टा (अल्मोड़ा) कर्णावती रानी। 1923 ई. । सरला बहन। तीलू रौतेला। 1978 (सरला बहन) कमलेन्दुमती शाह। जियारानी। नवम्बर 1986 (गौरा देवी) बैडमिंटन से।कुमाऊँ की लक्ष्मीबाई कहा जाता है?
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जेल जानी वाली उत्तराखंड की प्रथम महिला कौन थी?
भारत की ही नहीं विश्व की पहली मेजर जनरल कौन हैं?
गढ़वाल के इतिहास में ‘नाक काटने वाली रानी’ के नाम से विख्यात है?
गौरा पन्त (शिवानी) का जन्म कब हुआ?
किस महिला को मूल रूप से ‘मिस कैथरीन मैरी हैलीमेन’ के नाम से जानी जाती है?
‘गढ़वाल की झांसी की रानी’ के नाम से किसे जाना जाता है?
जमनालाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित महिलाएं कौन-कौन हैं?
1992 (सुश्री राधा भट्ट जीवन ज्योति और माई इम्प्रेशन ऑफ अमेरिका पुस्तक के लेखक हैं?
‘कुमाऊँ की लक्ष्मीबाई’ के नाम से किसे जाना जाता है?
प्रथम वृक्ष मित्र पुरस्कार से सम्मानित महिला कौन थी?
मधुमिता बिष्ट का संबंध किसे खेल से है?