उत्तराखंड के प्रमुख ताल |
झील/ताल –
जल का वह स्थिर भाग है, जो चारों ओर से स्थलखंडों से घिरा होता है। झील का पानी स्थिर या शांत होता है।
बनावट के आधार पर झील दो प्रकार की होती है।
- प्राकृतिक झील
- कृत्रिम झील
प्राकृतिक झील –
भागार्भिक हलचलों एवं धरातल के बहिर्जात बलो से बनी झीलों को प्राकृतिक झील कहते हैं।
कृत्रिम झील –
मानव क्रियाओं द्वारा निर्मित झीलों को कृत्रिम झील कहते हैं। अर्थात इंसानों द्वारा बनाई गई झीलों को कृत्रिम झील कहते हैं।
झीलों के अन्य प्रकार
1. हिमानी झील
हिमनदियों अर्थात हिमालय से निकलने वाली नदियों के द्वारा बनाये जाने वाले गडडों में जब हिमनदियों का पानी एकत्रित हो जाता है। तो वह झील का रूप ले लेते हैं, तो इन्हीं झीलों को हिमानी झीले कहते हैं। जिसका सबसे बड़ा उत्तराखंड राज्य जहां हिमानी झीले सबसे ज्यादा है।
2. ज्वालामुखी झील
जब किसी स्थान पर ज्वालामुखी विस्फोट होता है। तो ज्वालामुखी विस्फोट के पश्चात उस स्थान पर बड़े-बड़े गडडों का निर्माण हो जाता है। जिस तत्पश्चात वर्षा जल भरने के कारण यह एक झील का रूप ले लेती है। जिसे हम कृत्रिम झील भी कह सकते हैं। महाराष्ट्र में स्थित लोनार झील ज्वालामुखी झील का एक उदाहरण है।
3. लैगून या अनूप झील
लैगून झीलों का निर्माण समुद्री तटों के किनारे होता है। जिसमें सामान्यत: लवणीय अर्थात खारा जल पाया जाता है। जो पीने योग्य नही होता है। इसका एक उदाहरण भारत के उड़ीसा राज्य में स्थित चिल्का और आंध्र प्रदेश की कोलेरू झील है।
उत्तराखंड के तालों का हम यहां पर दो भागों में बांट सकते हैं।
- गढ़वाल मंडल के ताल
- कुमांऊ मंडल के ताल
कुमांऊ मंडल के झील एवं ताल
उत्तराखंड के कुमाऊ क्षेत्र में हिमानी प्रकार की झीलें पाई जाती है। जिसमें झीलों के लिए विशेषत: कुमाऊ क्षेत्र में नैनीताल जिला प्रसिद्ध है। नैनीताल को झीलों की नगरी या सरोवर नगरी कहा जाता है।
नैनीताल जनपद में स्थित ताल
नैनी झील राज्य के नैनीताल जनपद में स्थित ताल है। जिसे नैनी झील या नैनीताल के नाम से भी जाना जाता है। और इसी झील के पास बसा नैनीताल शहर जो प्रकृति के शौन्दर्य का एक अनोखा रूप है।
ताल | Place |
भीमताल, नैनीताल, हरिशताल | नैनीताल |
नोकुछियाताल, सातताल, सूखाताल | नैनीताल |
खुर्पाताल, मलवाताल, सडियलताल | नैनीताल |
नल-दमयंति ताल, राम-सीता-लक्ष्मण ताल | नैनीताल |
भरत ताल, शत्रुघन ताल, पन्ना ताल | नैनीताल |
गर्भताल, सुरिया ताल, पुनाताल | नैनीताल |
मलवा ताल, लैम्पोखारा ताल, चौरीताल | नैनीताल |
मगरी गांव ताल, मालवा ताल | नैनीताल |
सागरीय ताल, भगटुरा ताल | नैनीताल |
नैनी ताल –
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निर्माण प्रकिया
नैनीताल झील की निर्माण प्रक्रिया को दो भागों में बांटा गया है।
- वैज्ञानिक या भूगोलवेताओं के आधार पर
- धार्मिक आधार पर
भूगोलवेताओं के आधार पर नैनीताल झील के निर्माण प्रक्रिया को लेकर अलग-अलग वैज्ञानिकों का अलग-अलग मत है।
जिसमें से कुछ वैज्ञानिकों का मत है कि, जब हिमालय की उत्पति हो रही थी। तो उस समय जब पृथ्वी का भू-भाग अलग-अलग प्लेटो में टूटने के कारण जहां-जहां बड़ी-बड़ी जो खाईयां या गडडे बने। वहां पर बाद में जलराशि भरने के कारण इस प्रकार की झीलों का निर्माण हुआ।
कुछ दूसरे वैज्ञानिको का मत है कि ऐसा नही है। उत्तराखंड की जो इस प्रकार की झीले हैं। इनका निर्माण हिमालय उत्पति के बाद हुई। अर्थात जब हिमालय बन गये। उसके बाद हिमालयों से लगातार नदीयां दक्षिण की ओर प्रवाहित हुई। और जब नदियां दक्षिण दिशा की ओर प्रवाहित हुई।
धार्मिक आधार पर भी झीलों के निर्माण प्रक्रिया को बताया गया है। जिसमें दो मुख्य कारण हैं। जिसमें स्कंद पुराण के मानसखंड में नैनीताल झील को त्री ऋषि सरोवर के नाम से संबोधित किया गया है। अर्थात तीन ऋषियों के द्वारा निर्मित सरोवर। ऐसी मान्यता है कि इस स्थान से तीन ऋषि गजर रहे थे। जिनका नाम था अत्रि, पुनस्य और पुण्य । जब ये तीनों ऋषि नैनीताल क्षेत्र से गुजर रहे थे। तो इस क्षेत्र मे आकर इन्हें प्यास लगती है। तो यह तीनो ऋषि मानसरोवर चले जाते हैं। और मानसरोवर से जल लेकर नैनीताल क्षेत्र में गहरे कुएं खोदकर जलराशि को भर देते हैं। तो कहा जाता है कि उनके इस जल से ही इस ताल का निर्माण हुआ है।
भीमताल
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नोकुछिया ताल –
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सातताल
सातताल भी कुमाऊ क्षेत्र के नैनीताल जनपद में स्थित है। यह सात तालों का समूह है जिसमें से कई ताल वर्तमान समय में सूख गये हैं। चलिए जानते हैं, वे सात ताल कौन-कौन से हैं।
क्योंकि ये सातों ताल एक-दूसरे के काफी पास हैं, इसलिए तालों के समूह को सात ताल कहा जाता है। राम-लक्ष्मण-सीता तालये तीनों ताल एक साथ आपस में जुड़े हुए ताल हैं। और इन तालों के पास प्रभु राम-लक्ष्मण और सीमा मय्या ने वास किया था। नल दमयंती तालनल दमयंती ताल के पांच कोने हैं, और पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा नल व उनकी पत्नी ने यहां पर वास किया था। जिस कारण से इस ताल को नल दमयंती ताल कहा जाता है। खुरपाताल |
उधमसिंह नगर में स्थित ताल
- द्रोण सागर
- गिरिताल
- नानकमत्ता ताल
द्रोण सागरयह ताल राज्य के उधमसिंह नगर में स्थित है। इस ताल के किनारे गुरू द्रोण की प्रतिमा स्थित है। जिस कारण से इस ताल को द्रोण ताल के नाम से जाना जाता है। और पौराणों में कहा गया है कि इसी ताल के पास गुरू द्रोण ने अपने शिष्यों को धनुर्विद्या की शिक्षा दी थी। गिरितालगिरिताल उधमसिंह नगर के काशीपुर क्षेत्र में स्थित ताल है। और इस ताल के समीप मॉं चामुंडा, संतोषीमाता मनसा देवी और नागनाथ का मंन्दिर स्थित है। |
चम्पावत जनपद में स्थित ताल
- श्यामताल
- झिलमिल ताल
श्यामतालयह ताल राज्य के चम्पावत जनपद में स्थित है। और इस ताल के किनारे स्वामी विवेकानंद आश्रम स्थित है। तथा इस ताल के पास झूला नाम से एक प्रसिद्ध मेला लगता है। |
पिथौरागढ़ जनपद में स्थित ताल
- थौमोरी ताल
- गंगपानी ताल
अल्मोड़ा जनपद में स्थित ताल
- तड़ागताल – तड़ाग ताल राज्य के अल्मोड़ा जनपद में स्थित है। और इस ताल के निचले भाग में पानी की निकासी हेतु पांच सुरंगे बनायी गयी है।
बागेश्वर जनपद में स्थित ताल
- सूकुंडाताल
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FAQ – कुमाऊं मडंल के ताल एवं झील
ताल या झील किसे कहते हैं?
जल का वह स्थिर भाग है, जो चारों ओर से स्थलखंडों से घिरा होता है। उसे ताल या झील कहते हैं। झील का पानी स्थिर या शांत होता है।
बनावट के आधार पर ताल या झील कितने प्रकार की होती है?
बनावट के आधार पर ताल या झील दो प्रकार की होती है। प्राकृतिक ताल और मानवीय ताल।
हिमानी झील किसे कहते हैं?
हिमनदियों अर्थात हिमालय से निकलने वाली नदियों के द्वारा बनाये जाने वाले गडडों में जब हिमनदियों का पानी एकत्रित हो जाता है। तो वह झील का रूप ले लेते हैं, तो इन्हीं झीलों को हिमानी झीले कहते हैं। जिसका सबसे बड़ा उत्तराखंड राज्य जहां हिमानी झीले सबसे ज्यादा है।
ज्वालामुखी झील किसे कहते हैं?
जब किसी स्थान पर ज्वालामुखी विस्फोट होता है। तो ज्वालामुखी विस्फोट के पश्चात उस स्थान पर बड़े-बड़े गडडों का निर्माण हो जाता है। जिस तत्पश्चात वर्षा जल भरने के कारण यह एक झील का रूप ले लेती है। जिसे हम कृत्रिम झील भी कह सकते हैं। महाराष्ट्र में स्थित लोनार झील ज्वालामुखी झील का एक उदाहरण है।
लैगून या अनूप झील किसे कहते हैं?
लैगून झीलों का निर्माण समुद्री तटों के किनारे होता है। जिसमें सामान्यत: लवणीय अर्थात खारा जल पाया जाता है। जो पीने योग्य नही होता है। इसका एक उदाहरण भारत के उड़ीसा राज्य में स्थित चिल्का और आंध्र प्रदेश की कोलेरू झील है।
उत्तराखंड में किस प्रकार के ताल या झीले पाई जाती है?
उत्तराखंड में अधिकांश तह हिमानी प्रकार की ताल या झीले पाई जाती है।
नैनी झील या नैनीताल किस जनपद में स्थित है?
नैनी झील या नैनीताल उत्तराखंड राज्य के नैनीताल जनपद में स्थित है।
नैनी ताल या नैनी झील की किसने की थी?
सन 1841 में सी पी बैरन ने नैनीताल झील की खोज की थी।
नैनीताल को पुराणों अन्य किस नाम से जाना जाता था?
नैनीताल को स्कंद पुराण के मानसखंड में त्रि-ऋषि सरोवर कहा गया है।
नैनी झील कितने तालों में बांटा हुआ है?
नैनी झील दो तालों में बांटा हुआ है। क्योंकि नैनीताल झील के मध्य में एक बड़ी चटान है,जिसके कारण यह झील दो भागों में विभाजित है। जिसके उत्तरी भाग को मल्लिताल व दक्षिणी भाग को तल्लीताल कहते हैं।
कुमाऊं क्षेत्र की सबसे बड़ी ताल कौन-सी है?
कुमाऊं क्षेत्र की सबसे बड़ी झील भीमताल है। जिसकी लम्बाई 1674 मीटर चौड़ाई 447 मीटर और गहराई 26 मीटर है।
कुमाऊं क्षेत्र की सबसे गहरी झील कौन-सी है?
कुमाऊं क्षेत्र की सबसे गहरी झील नोकुछिया ताल है। नोकुछिया ताल नैनीताल जिले में स्थित है। जिसकी लम्बाई 950 मीटर चौड़ाई 680 मीटर और गहराई 40 मीटर है।
उधमसिंहनगर में कौन-कौन से ताल हैं?
उधमसिंहनगर में द्रोण सागर, गिरिताल, और नानकमत्ता ताल स्थित हैं।
श्यामताल और झिलमिल ताल कहां स्थित हैं?
श्यामताल, झिलमिल ताल उत्तराखंड राज्य के चम्पावत जनपद में स्थित हैं।
थौमोरी ताल और गंगपानी ताल कहां स्थित है?
थौमोरी ताल और गंगपानी ताल पिथौरागढ़ जनपद में स्थित हैं।