अर्थव्यवस्था के प्रकार |
अर्थव्यवस्था के प्रकार
अर्थव्यवस्था के प्रकारों को 7 भागों में बांटा गया है।
विश्व के साथ अंतर्सबंधों के आधार पर |
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विकास के आधार पर |
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विश्व बैंक के अनुसार |
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देश समूह के आधार पर |
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संसाधनों के स्वामित्व के अधार पर |
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विभिन्न क्षेत्रों की भूमिका के आधार पर |
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नियोजन के आधार पर |
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विश्व के साथ अंतर्संबंधों के आधार पर अर्थव्यवस्था
विश्व के साथ ‘अंतर्संबंधों के आधार‘ पर अर्थव्यवस्था दो प्रकार की होती है।
- खुली अर्थव्यवस्था/Open economy
- बंद अर्थव्यवस्था/Closed economy
खुली अर्थव्यवस्था
एक ऐसी अर्थव्यवस्था जो शेष विश्व के साथ वस्तुओं और सेवाओं का आयात तथा निर्यात करती है। ऐसी अर्थव्यवस्था को खुली अर्थव्यवस्था कहते हैं।
बंद अर्थव्यवस्था
एक ऐसी अर्थव्यवस्था जो शेष विश्व के साथ वस्तुओं और सेवाओं का आयात तथा निर्यात नहीं करती है। तो ऐसी अर्थव्यवस्था को बंद अर्थव्यस्था कहते हैं।
संशाधनों के स्वामित्व के आधार पर अर्थव्यवस्था
‘संशाधनों के स्वामित्व के आधार‘ पर अर्थव्यवस्था तीन प्रकार की होती है। लेकिन उसके क्या-क्या आधार होते हैं। उसे हमे पहले समझना होगा। यहां पर अर्थव्यवस्था के तीन अलग- अलग आधार होते हैं।
- पहला होता है, संशाधनों का स्वामित्व
- और दूसरा होता है, उत्पादन के साधन
- और तीसरा होता है, सरकार की भूमिका
संशाधनों का स्वामित्व
संशाधनों का स्वामित्व का अर्थ होता है कि हर एक देश के पास अपने संशाधन होते हैं, भारत के पास भी अपने संशाधन हैं। अलग-अलग खनिज और पैसे हैं, इन्हीं को संशाधनों का स्वामित्व कहते हैं।
उत्पादन के साधन
उत्पदान के साधन का अर्थ होता है, कि
- कितना उत्पादन करना है।
- किसके लिए उत्पादन करना है।
- और किस चीज का उत्पादन करना है।
- किस कीमत पर चीजों को बेचना है।
ये सारी चीजें उत्पादन के साधनों में आती है।
सरकार की भूमिका
सरकार की भूमिका का अर्थ होता है, कि सरकार अर्थव्यवस्था पर कितना नियंत्रण स्थापित कर रही है।
- अगर बहुत ज्यादा नियंत्रित कर रही है। तो वह तो समाजवादी अर्थव्यवस्था होगी।
- अगर कम नियंत्रित कर रही है, तो वह पूंजीवादी अर्थव्यवस्था होगी।
- और अगर मध्यम नियंत्रित कर रही है, तो वह मिश्रित अर्थव्यवस्था होगी।
‘संशाधनों के स्वामित्व के अधार‘ पर अर्थव्यवस्था के 3 प्रकार होते हैं।
- समाजवादी अर्थव्यवस्था/Socialist Economy
- पूंजीवादी अर्थव्यवस्था/Capitalist Economy
- मिश्रित अर्थव्यवस्था/Mixed Economy
1.समाजवादी अर्थव्यवस्था
एक ऐसी अर्थव्यवस्था जिसमें ‘संशाधनों के स्वामित्व‘ तथा ‘उत्पादन के साधनों‘ पर सरकार का नियंत्रण बहुत ज्यादा होता है, उसे समाजवादी अर्थव्यवस्था कहते हैं। इस अर्थव्यवस्था में सरकार की भूमिका सबसे ज्यादा होती है।
संशाधनों के स्वामित्व पर | → सरकार का नियंत्रण | → समाजवादी अर्थव्यवस्था |
उत्पादन के साधनों पर | ||
सरकार की भूमिका (ज्यादा) |
समाजवादी अर्थव्यवस्था को जर्मन दार्शनिक कार्ल मार्क्स ने प्रस्तुत किया था। इन्होंने सन 1867 में दास कैपिटल नामक एक किताब लिखी थी। और इस पुस्तक में इन्होंने बताया कि किस प्रकार से पूंजीवादी अर्थव्यवस्थाएं लोगों का शोषण कर रही है। और लोगों के शोषण से उनका खास तौर पर तात्पर्य था कि किस प्रकार से मजदूर का शोषण किया जा रहा है।
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- क्योंकि उस समय जब एक व्यक्ति कोई कंपनी खोल रहा था। और अगर इस कंपनी से 100 रूपये का Profit बन रहा था। तो वो 99 रूपये का profit अपने पास रखता था और सिर्फ 1 रूपये का profit मजदूर के बीच में बांट देता था। जितने भी मजदूर काम कर रहे थे न तो उनका समय निश्चित था, सप्ताह के सातों दिनों तक काम कराया जाता था। बहुत कम वेतन मजदूर को दी जाती थी।
- ये सारी चीजें जब कार्ल मार्क्स ने देखी तो उन्होंने अपनी पुस्तक दास कैपिटल में लिखा कि ये देखिए ये सारी पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के दुष्प्रभाव हैं।
- तो इसी कारणवश कार्ल मार्क्स ने कहा हमें पूंजीवादी अर्थव्यवस्था को जड़ से उखाड़ फैकना होगा। और हमें एक ऐसी अर्थव्यवस्था बनानी होगी जिसमें पूरा का पूरा Control सरकार या मजदूरों के पास रहे। और यहीं से शुरूआत होती है समाजवादी अर्थव्यवस्था की।
2.पूंजीवादी अर्थव्यवस्था
जिस अर्थव्यवस्था जिसमें ‘संशाधनों के स्वामित्व‘ तथा ‘उत्पादन के साधनों‘ पर निजी व्यक्तियों का नियंत्रण ज्यादा होता है। और सरकार की भूमिका कम होती है। तो ऐसी अर्थव्यवस्था को पूंजीवादी अर्थव्यवस्था कहा जाता है।
संशाधनों के स्वामित्व पर | → निजी व्यक्तियों का नियंत्रण | → पूंजीवादी अर्थव्यवस्था |
उत्पादन के साधनों पर | ||
सरकार की भूमिका (कम) |
अब प्रश्न उठता है कि पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की शुरूआत कैसे हुई और पूंंजीवादी अर्थव्यवस्था का विचार किसने रखा।
- पूंजीवादी के अर्थव्यवस्था का विचार स्कॉटलैंड के अर्थशास्त्री एडम स्मिथ के द्वारा रखा गया। स्कॉटलैंड के अर्थशास्त्री एडम स्मिथ ने सन 1776 में The Wealth of Nation नाम की एक किताब लिखी। और इस किताब में इन्होंने एक सिद्धांत दिया जिसे अहस्तक्षेप का सिद्धांत कहा जाता है। जब एक व्यक्ति इतनी बड़ी अर्थव्यवस्था के बारे में सिद्धांत देता है। तो इसी कारण से इन्हें कहा गया कि ये अर्थव्यवस्था के जनक हैं।
- पूंजीवादी में एक शब्द है पूंजी जिसका अर्थ होता है कि इस अर्थव्यवस्था में पूरा का पूरा खेल पूंजी का होता है। क्योंकि सरकार तो इसमें आ नहीं रही है। पूरे के पूरे कार्य निजी क्षेत्रों के द्वारा किया जा रहा है। तो जो Private sector है, वो अपनी Capital को invest कर रहा है। और अगर Private sector अपनी पूंजी का लगाएगा तो उसका उदेश्य भी होगा लाभ प्राप्त करना। इसी कारण इस अर्थव्यवस्था को पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का नाम दिया गया।
पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की विशेषताए
- पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में स्वामित्व निजी क्षेत्र के पास होता है।
- बाजार की शक्तियां जिन्हें ( मांग और पूर्ति) कहा जाता है। अर्थव्यवस्था या आर्थिक क्रियाओं (उत्पादन, उपभोग, वितरण व विनमय) को संचालित करती है।
- इस अर्थव्यवस्था में प्रतिस्पर्धा Competition होती है।
- यहां पर जितने भी लोग उत्पादन करते हैं, उनका एक ही उद्देश्य होता है। – अधिकतम लाभ प्राप्त करना।
- पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में आर्थिक स्वतंत्रता होती है।
- उपभोक्ता ( के पास विकल्प )
- आर्थिक असमानताएं। भारत मात्र 10 प्रतिशत लोग 77 प्रतिशत धन को नियंत्रित करते हैं। जो पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का एक दुषप्रभाव है।
मिश्रित अर्थव्यवस्था
एक ऐसी अर्थव्यवस्था जिसमें ‘संशाधनों का स्वामित्व‘ तथा ‘उत्पादन के साधनों पर‘ नियंत्रण सरकार और निजी दोनों क्षेत्रों के पास होता है। उसे मिश्रित अर्थव्यवस्था कहते हैं।
- सरकार की भूमिका इस अर्थव्यवस्था में मध्यम होता है। जिसमें एडम स्मिथ ने कहा कि सरकार को अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण नही करना चाहिए। सरकार को सिर्फ Night Watch man की भूमिका निभानी चाहिए।
- अर्थात अहस्तक्षेप का अर्थ होता है कि सरकार नहीं बतायेगी किसी भी क्षेत्र को कि वो किस चीज का उत्पादन करें, और कितना उत्पादन करे।
- यहां पर Night Watchman का अर्थ है कि एडम स्मिथ कहते हैं कि सरकार को हस्तक्षेप इस चीज में नही करना है, कि किस चीज का उत्पादन करना है उसकी कितनी किमत हो, नहीं इस चीज में कोई हस्तक्षेप नही करना है।
- लेकिन सरकार को नियम बनाने पड़ेगे। कि बिजनिस इस प्रकार से होगा। बिजनेस करने के कुछ Ruls होगे। Fee किस प्रकार से लगेगी। टैक्स कितना लगेगा। तो इसे Night Watchman कहा जाता है। और कोई भी व्यक्ति गलत तरीके से व्यपार ना करे। ताकि जो प्रतिस्पर्धा है वो खराब हो जाए।
मिश्रित अर्थव्यवस्था का सिद्धांत ब्रिटिश अर्थशास्त्री जॉन मिनाड कींस ने दिया था। अब प्रश्न उठता है कि मिश्रित अर्थव्यवस्था की शुरूआत कैसे हुई।
जब प्रथम विश्व युद्ध खत्म हुआ। तो प्रथम विश्व के खत्म होने के बाद पूरे विश्व में धीरे-धीरे Recession मंदी की अवस्था आने लगी। जो बहुत ज्यादा बढ़ती गयी। और सबसे पहले ये मंदी पूंजीवादी अर्थव्यवस्था वाले देशों में पँहुची। जैसे की अमेरिका और ब्रिटेन।
मंदी का मतलब होता है, कि बाजार में चीजे तो थी लेकिन लोग के पास खरीदने के लिए पैसे नही थे। जिसके कारण पूरे की पूरे अर्थव्यवस्था ठप पड़ने लगी। और इसी अर्थव्यवस्था को मंदी कहा गया। और ये मंदी इतनी ज्यादा बढ़ गई कि 1929 तक आते आते इसे Great recession अर्थात महान मंदी कहा जाने लगा।
ये मंदी खास तौर पर सिर्फ पूंजीवादी देशों में फैल रही थी। जैसे – अमेरिका और ब्रिटेन। वहीं दूसरी ओर रूस जिसने 1917 में समाजवादी अर्थव्यवस्था को अपनाया था। वहां ये मंदी नही फैली थी। अब जब मंदी आती है तो पूरी दुनिया के अर्थशास्त्री इस बात पर विचार कर रहे थे कि आखिरकार इसका कारण क्या है।
तो इसी के बीच ब्रिटेन के अर्थशास्त्री जॉन मिनार्ड कींस एक किताब लिखी जिसका नाम था ( द जनरल थ्योरी ऑफ एंप्लॉयमेंट, इंटरेस्ट एंड मनी ) इस पुस्तक में इन्होंने एक शानदार बात कहीं कि ये जो मंदी है, ये सिर्फ पूंजीवादी देशों में आयी है। वहीं दूसरी ओर रूस है, जहां पर इस मंदी का प्रभाव नहीं पड़ा।
तो अब हमें पूरे के पूरे अर्थव्यवस्था के मॉडल को Change करना होगा। और Private sector के साथ-साथ सरकार को भी भाग लेना होगा। अर्थात सरकार को अपनी ओर से बाजार में पैसे लगाने होगे। सरकार को अपनी ओर से कुछ Factory को लगाना होगा।
जॉन मिनार्ड कींस ने सीधी से बात कह दी की Private sector के लोगों को सब कुछ मत दो। कुछ चीजे Private sector के पास रखो और कुछ चीजें सरकार को अपने पास रखने दो। मतलब जॉन मिनार्ड कींस ने ये कह दिया कि जो संशाधनों पर स्वामित्व और उत्पादन के कारक हैं, उस पर Private sector का अधिकार तो पहले से था, लेकिन अब उस पर सरकार का भी अधिकार होगा। जिसे मिश्रित अर्थव्यवस्था कहा गया। क्योंकि इसमे निजी क्षेत्र और सरकारी क्षेत्र दोनों शामिल है। जैसे – भारत, मलेशिया, और नॉर्वे देश मिश्रित अर्थव्यवस्थाएं के बड़े उदाहरण हैं।
मिश्रित अर्थव्यवस्था के उद्देश्य
- लोगों का कल्याण करना।
- कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना।
- आर्थिक नियोजन
- सामाजिक न्याय
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FAQ – अर्थव्यवस्था के प्रकार
विश्व के अंंतर्संबंधों के आधार पर अर्थव्यवस्था को कितने भागों में बांटा गया है?
विश्व के अंतर्संबंधों के आधार पर अर्थव्यवस्था को दो भागों में बांटा गया है। खुली अर्थव्यवस्था और बंद अर्थव्यवस्था।
संशाधनों के स्वामित्व के आधार पर अर्थव्यवस्था को कितने भागों में बांटा गया है?
संशाधनों के स्वामित्व के आधार पर अर्थव्यवस्था को तीन भागों में बांटा गया है। समाजवादी अर्थव्यवस्था, पूंजीवादी अर्थव्यवस्था और मिश्रित अर्थव्यवस्था।
खुली अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं?
एक ऐसी अर्थव्यवस्था जो शेष विश्व के साथ वस्तुओं और सेवाओं का आयात तथा निर्यात करती है। ऐसी अर्थव्यवस्था को खुली अर्थव्यवस्था कहते हैं।
बंद अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं?
एक ऐसी अर्थव्यवस्था जो शेष विश्व के साथ वस्तुओं और सेवाओं का आयात तथा निर्यात नहीं करती है। तो ऐसी अर्थव्यवस्था को बंद अर्थव्यस्था कहते हैं।
किसी भी अर्थव्यवस्था को किन-किन आधारों पर बांटा गया है?
किसी भी अर्थव्यवस्था को तीन अधारों में बांटा गया है। पहला संशाधनों का स्वामित्व, दूसरा उत्पादन के साधन, और तीसरा सरकार की भूमिका।
संशाधनों के स्वामित्व का क्या अर्थ होता है?
संशाधनों का स्वामित्व का अर्थ होता है हर एक देश के पास अपने संशाधन होते हैं भारत के पास अपने संशाधन हैं। अलग-अलग खनिज और पैसे हैं, इन्हीं को संशाधनों का स्वामित्व कहते हैं।
उत्पादन के साधन का क्या अर्थ होता है?
उत्पदान के साधन का अर्थ होता है, कि कितना उत्पादन करना है, किसके लिए उत्पादन करना है, और किस चीज का उत्पादन करना है। किस कीमत पर चीजों को बेचना है। ये सारी चीजें उत्पादन के साधनों में आती है।
सरकार की भूमिका का क्या अर्थ होता है?
सरकार की भूमिका का अर्थ होता है, कि सरकार अर्थव्यवस्था पर कितना नियंत्रण स्थापित कर रही है। अगर बहुत ज्यादा नियंत्रित कर रही है। तो वह तो समाजवादी अर्थव्यवस्था होगी। अगर कम नियंत्रित कर रही है, तो वह पूंजीवादी अर्थव्यवस्था होगी। और अगर मध्यम नियंत्रित कर रही है, तो वह मिश्रित अर्थव्यवस्था होगी।
समाजवादी अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं?
एक ऐसी अर्थव्यवस्था जिसमें संशाधनों के स्वामित्व और उत्पादन के साधनों पर सरकार का नियंत्रण बहुत ज्यादा होता है, उसे समाजवादी अर्थव्यवस्था कहते हैं। और इस अर्थव्यवस्था में सरकार की भूमिका सबसे ज्यादा होती है।
समाजवादी अर्थव्यवस्था को किसने प्रस्तुत किया था?
समाजवादी अर्थव्यवस्था को जर्मन दार्शनिक कार्ल मार्क्स ने प्रस्तुत किया था। जिन्हें समाजवादी अर्थव्यवस्था का जनक कहा जाता है।
दास कैपिटल नामक पुस्तक के लेखक कौन है?
दास कैपिटल नामक पुस्तक के लेखक कार्ल मार्क्स हैं।
पूंजीवादी अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं?
,एक ऐसी अर्थव्यवस्था जिसमें संशाधनों के स्वामित्व और उत्पादन के साधनों पर निजी व्यक्तियों का नियंत्रण ज्यादा होता है। और सरकार की भूमिका कम होती है। तो ऐसी अर्थव्यवस्था को पूंजीवादी अर्थव्यवस्था कहा जाता है।
पूंजीवादी अर्थव्यवस्था को किसने प्रस्तुत किया था?
पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का विचार स्कॉटलैंड के अर्थशास्त्री एडम स्मिथ के द्वारा रखा गया। जिन्हें पूंजीवाद अर्थव्यवस्था का जनक कहा जाता है।
The wealth of nation नाम की पुस्तक किसने लिखी थी?
पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के जनक एडम स्मिथ ने लिखी।
मिश्रित अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं?
एक ऐसी अर्थव्यवस्था जिसमें संशाधनों का स्वामित्व और उत्पादन के साधनों पर नियंत्रण सरकार और निजी दोनों क्षेत्रों के पास होता है। उसे मिश्रित अर्थव्यवस्था कहते हैं।
मिश्रित अर्थव्यवस्था का सिद्धांत किसने प्रस्तुत किया?
मिश्रित अर्थव्यवस्था का सिद्धांत ब्रिटिश अर्थशास्त्री जॉन मिनाड कींस ने प्रस्तुत किया था।
(द जनरल थ्योरी ऑफ एंप्लॉयमेंट, इंटरेस्ट एंड मनी ) नामक पुस्तक के लेखक कौन हैं?
ब्रिटेन के अर्थशास्त्री जॉन मिनार्ड कींस (द जनरल थ्योरी ऑफ एंप्लॉयमेंट, इंटरेस्ट एंड मनी ) के लेखक हैं।
समाजवादी अर्थव्यवस्था में कीमते कौन निर्धारित करता है?
समाजवादी अर्थव्यवस्था में सरकार कीमतों को निर्धारित करती है। क्योंकि समाजवादी अर्थव्यवस्था में संशाधनों के स्वामित्व और उत्पादन के साधनों पर सरकार का नियंत्रण होता है।
पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में बाजार की कीमतों का निर्धारण कौन करता है?
पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में बाजार की कीमतों का निर्धारण बाजार की शक्तियां (मांग और पूर्ति) करती हैं।