भारत के राष्‍ट्रपति

भारत के राष्‍ट्रपति

 


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भारत के राष्‍ट्रपति

भारतीय संविधान में राष्‍ट्रपत‍ि से सं‍बंधित विवरण संविधान के भाग 5 में दिया गया है। जिसमें राष्‍ट्रपति संघ की कार्यपालिका के अन्‍तर्गत आता है।


राष्‍ट्रपति की प्ररेणा

  • राष्‍ट्रपति पद की प्ररेणा भारत ने ब्रिटेन से ली है। अर्थात ब्रिटेन में जो व्‍यवस्‍था है उसे कहा जाता है (Constitutional Monarchy) संवैधानिक राजतंत्र।

  • संवैधानिक राजतंत्र का अर्थ होता है, कि जो ब्रिटेन का जो कानून है, उसके निर्माण की पूरी-की-पूरी शक्ति ब्रिटेन की संसद के पास है। ब्रिटेन मे जब संसद कोई कानून बनाती है। तो उस कानून पर जिस व्‍यक्ति के अंतिम हस्‍तक्षर होते हैं। वो ब्रिटेन का (Crown) राजा या रानी देती है।

  • जबकि भारत में लोकसभा और राज्‍यसभाएं कानून बनाती है। जिसके बाद वह कानून (बिल) राष्‍ट्रपति के पास जाता है। और राष्‍ट्रपति उस कानून पर हस्‍ताक्षर करता है। जिसके बाद वह कानून पारित या लागू हो जाता है।

  • किसी भी देश का जो (Highest Post) सबसे बड़ा पद होता है। यदि वह पद किसी राजा या मुनार्क के पास होता है। तो उसे राजतंत्र कहते हैं। लेकिन उस राज्‍य में कानून बनाने की एक निश्चित प्रक्रिया (संविधान) होता है। जिसे संवैधानिक राजतंत्र कहते हैं।

  • ब्रिटेन से हमें यह प्रेरणा मिली है, कि ब्रिटेन में जो सबसे पद होता है। वो राजा Crown का होता है। लेकिन भारत ने कहा कि हम ऐसा कोई भी पद नहीं बनायेगे, जो वंशानुगत हो।

  • भारत ने ये फैसला (Decision) लिया कि भारत में भी सबसे बड़ा एक पद होगा। जो पद राष्‍ट्रपति President का होगा। लेकिन वो पद निर्वाचित Elected होगा। अर्थात ”वो पद किसी राजा” या “रानी का नहीं होगा। वो पद वंश के आधार पर वंशानुगत नहीं होगा।  ये बात को भारत के संविधान निर्माताओं ने स्‍वीकार किया।

  • यहीं से राष्‍ट्रपति का जो पद है, वह भारत का सबसे बड़ा पद बना। जो एक निर्वाचित पद है।

  • जब किसी देश का सबसे बड़ा पद निर्वाचित होता है। ऐसे देश को गणतंत्र Republic कहते हैं।


राष्‍ट्रपति की निर्वाचन प्रणाली

राष्‍ट्रपति की निर्वाचन प्रणाली (Election Process) भारत ने आयरलैंड से लिया है। तथा आयरलैंड से भारत ने (राज्‍य के नीतिनिदेशक तत्‍वों को भी लिया है।

 


राष्‍ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया

भारत ने राष्‍ट्रपति पर महाभियोग Impeachment चलाने की प्रक्रिया अमेरिका से ली है।

 


भारतीय संविधान में राष्‍ट्रपति का संक्षिप्‍त विवरण

भारतीय संविधान के भाग 5 में अनुच्‍छेद 52 से लेकर अनुच्‍छेद 62 में  भारत राष्‍ट्रपति के बारे में बाताया गया है, कि भारत का राष्‍ट्रपति कैसा होना चाहिए।

  • भारत का एक राष्‍ट्रपति कैसा होना चाहिए।
  • एक राष्‍ट्रपति बनने की क्‍या-क्‍या योग्‍यताएं होनी चाहिए।
  • राष्‍ट्रपति का चुनाव प्रक्रिया किस प्रकार होनी चाहिए इत्‍यादि।


अनुच्‍छेद 52 / Article 52

अनुच्‍छेद 52 कहता है, कि भारत का एक राष्‍ट्रपति होगा There shall be a President of India इसका अर्थ है, कि भारत में एक राष्‍ट्रपति ही होगा, जो अनिवार्य है।

 


अनुच्‍छेद 53/ Article 53

अनुच्‍छेद 53 में (संघ की कार्यपालिका की शक्तियां का विवरण दिया गया है।) Executive power of the Union।

अनुच्‍छेद 53 – (1) 

  • संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्‍ट्रपति में निहित होगी। और वह इसका प्रयोग इस संविधान के अनुसार स्‍वंय या अपने अधीनस्‍थ अधिकारियों के द्वारा करेगा।

  • अनुच्‍छेद 53 (1) में कहा गया है कि जो संघ की कार्यपालिका शक्ति है, वो राष्‍ट्रपत‍ि के पास होगी। इसका अर्थ है, कि आपने पढ़ा होगा कि भारत सरकार कि जितनी भी कार्यवाही होती है, वो राष्‍ट्रपति के नाम पर होती है।

  • जिस तरह से राज्‍यों की सरकारों में कार्यपालिका का प्रमुख राज्‍यपाल होता है। उसी तरह केन्‍द्र सरकार में कार्यपालिका का प्रमुख राष्‍ट्रपति होता है।

  • लेकिन अनुच्‍छेद 53 ने यहां पर पहले तो कहता है, की जो कार्यपालिका की पूरी की पूरी शक्ति जो होगी वो राष्‍ट्रपति के पास होगी। लेकिन दूसरे ही पल Artical 53  यह भी कहता है कि वह इनका प्रयोग स्‍वंय नहीं करेगा वह इनका प्रयोग कुछ अधिकारियों  या अपने  (अधीनस्‍‍थ) Subordinate अधिकारियों द्वारा करेगा।

  • यहीं कारण है, कि राष्‍ट्रपति को हम कहते हैं, कि वह वास्‍तविक प्रमुख नहीं है, कार्यपालिका का। वह एक प्रकार से सांकेतिक हेड है। और जो वास्‍‍तविक शक्ति होती है, वो (मंत्रीमंडल) Council of Minister के पास होती है। क्‍योंकि बिना मंत्रीमंडल के सलाह के राष्‍ट्रपति कुछ भी नहीं कर सकता है।

 


अनुच्‍छेद 53 – (2) 

संघ के रक्षा बलों का सर्वोच्‍च राष्‍ट्रपति होगा।

अनुच्‍छेद 53 के भाग 2 में कहा गया है, कि तीनों सेनाओं का अध्‍यक्ष या सर्वोच अधिकारी राष्‍ट्रपति होगा।

 


अनुच्‍छेद 54 / Article 54

भारतीय राष्‍ट्रपति का चुनाव

अनुच्‍छेद 54  (राष्‍ट्रपति निर्वाचकगण के सदस्‍य) के बारे में बताता है, अर्थात वह कौन-कौन से लोग या सदस्‍य हैं, जो राष्‍ट्रपति के निर्वाचन में भाग लेते हैं।

  • संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्‍य।

  • राज्‍यों के विधानसभा के निर्वाचित सदस्‍य, होगे।

70वां संविधान संशोधन 1992 के द्वारा दिल्‍ली और पुडुचेरी कि जो विधान सभाएं हैं, उनके सदस्‍यों को भी राष्‍ट्रपति निर्वाचन अर्थात राष्‍ट्रपति चुनने का अधिकार दिया गया है।


यहां पर एक शब्‍द आया है – निर्वाचित Elected जिसका अर्थ होता है, कि वो कौन से सदस्‍य हैं, जो राष्‍ट्रपति के निर्वाचन का हिस्‍सा होंगे। और वह कौन से सदस्‍य हैं, जो राष्‍ट्रपति के निर्वाचन का हिस्‍सा नहीं होगें। राष्‍ट्रपति के निर्वाचन में जितने भी सदस्‍य भाग लेंगे उनकी पहली शर्त यह है, कि वो निर्वाचित होने चाहिए। 

राष्‍ट्रपति के निर्वाचन में भाग नहीं ले सकने वाले सदस्‍य।

  1. राज्‍यसभा में राष्‍ट्रपति जिन 12 सदस्‍यों को (मनोनीत) Nominate करता है। वो राष्‍ट्रपति के निर्वाचन भाग नहीं लेंगे।

  2. अनुच्‍छेद 331 के द्वारा राष्‍ट्रपति जिन एंग्‍लो इंडियन को (मनोनीत) Nominate करता है। वो भी राष्‍ट्रपति के निर्वाचन में भाग नहीं लेंगे।

  3. अनुच्‍छेद 333 के द्वारा जो राज्‍यों का राज्‍यपाल होता है। वो राज्‍यों की विधान सभाओं में जिन एंग्‍लो इंडियन को (मनोनीत) Nominate करता है। वो सभी सदस्‍य भी राष्‍ट्रपत‍ि के निर्वाचन में भाग नहीं ले सकते हैं।

  4. राज्‍यों की विधान सभाओं के सदस्‍य भी राष्‍ट्रपति के निर्वाचन में भाग नहीं ले सकते हैं।

 

राष्‍ट्रपति के निर्वाचन में भाग लेने वाले सदस्‍य।

  1. संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्‍य। संसद में लोकसभा और राज्‍यसभा के जितने भी निर्वाचित सदस्‍य हैं, वो राष्‍ट्रपति के निर्वाचन में भाग ले सकते हैं।

  2. राज्‍य की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्‍य भी राष्‍ट्रपति के निर्वाचन में भाग ले सकते हैं।

  3. 70 वां संविधान संशोधन 1992 के द्वारा दिल्‍ली और पुडुचेरी भारत के दो ऐसे केन्‍द्रशासित प्रदेश है जिनके पास विधायिका है उनके जो विधायक है वो भी राष्‍ट्रपति के निर्वाचन में भाग ले सकते हैं। बशर्तें वो निवाचित होने चाहिए।

 


अनुच्‍छेद 55 –

राष्‍ट्रपति निर्वाचन की प्रक्रिया

  • अप्रत्‍यक्ष (Indirect)
  • आनुपातिक प्रतिनिधित्‍व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत
  • गुप्‍त मतदान (Secret ballot)

राष्‍ट्रपति को जो चुनाव होता है वो Indirect (अप्रत्‍यक्ष) होता है। अप्रत्‍यक्ष होने का मतलब ये है कि राष्‍ट्रपति के लिए हम लोग या जो आम जनता है वो सीधे वोट नहीं कर रहे हैं। आम जनता जिसमें आप और हम आते हैं हम दो लोगों को चुनाव करते हैं, राज्‍य के स्‍तर पर विधान सभा में हम M.L.A का चुनाव करते हैं। और केन्‍द्र स्‍तर पर हम M.P का चुनाव करते हैं। और फिर ये निर्वाचित M.L.A  और M.P. जाकर राष्‍ट्रपति का चुनाव करते हैं। इसीलिए इसे अप्रत्‍यक्ष निर्वाचन कहा जाता है।

 


  • इसी निर्वाचन से संबंधित अनुच्‍छेद 71 में कहा गया है, कि राष्‍ट्रपति और उपराष्‍ट्रपति के चुनाव से सं‍बंधित किसी भी प्रकार के विवाद का समाधान मात्र High Court (उच्‍चतम न्‍यायालय) के द्वारा किया जाएगा।
  • संविधान के अलावा राष्‍ट्रपति और उपराष्‍ट्रपति के चुनाव हेतु राष्‍ट्रपति और उपराष्‍ट्रपति निर्वाचन अधिनियम 1952 बनाया गया।

 


अनुच्‍छेद 56 –

राष्‍ट्रपति का पद

1. अनुच्‍छेद 56 में राष्‍ट्रपति की पदावधि के बारे में बताया गया है।

राष्‍ट्रपति की पदावधि या कार्यकाल पांच वर्ष की होती है। साथ ही साथ राष्‍ट्रपति के Resignation (त्‍यागपत्र) का जिक्र भी अनुच्‍छेद 56 में किया गया है। और राष्‍ट्रपति अपना Resignation (त्‍यागपत्र) उपराष्‍ट्रपति को देता है।

2. राष्‍ट्रपति अपने पद की अवधि समाप्‍त हो जाने पर भी, तब तक पद धारण करता रहेगा जब तक उसका उत्तराधिकारी अपना पद ग्रहण नहीं कर लेता है।

सामान्‍य सी बात है कि मान लीजिए कोई राष्‍ट्रपति था। उसके पांच वर्ष का कार्यकाल खत्‍म हो गया। लेकिन अभी जो नया राष्‍ट्रपति आना है उसकी प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। तो जो पहले का राष्‍ट्रपति है वो तब तक राष्‍ट्रपति बना रहेगा। जब तक की नया राष्‍ट्रपति अपना पद ग्रहण नहीं कर लेता।

3. उपराष्‍ट्रपति त्‍यागपत्र की सूचना लोकसभा अध्‍यक्ष को देगा।

 


अनुच्‍छेद 57 –

पुनर्निवाचन के लिए पात्रता

Artical 57 में पुन‍िर्निवाचन के लिए पात्रता की बात की गयी है। अर्थात इसमें कहा गया है अगर कोई व्‍यक्ति एक बार राष्‍ट्रपति बन गया है तो वो दुबारा भी राष्‍ट्रपति बन सकता है।

अमेरिका के संविधान में प्रावधान दिया गया है कि एक व्‍यक्ति सिर्फ दो बार ही राष्‍ट्रपति बन स‍कता है। लेकिन भारतीय संविधान के अनुच्‍छेद 57 में कहा गया है कि भारत में एक व्‍यक्ति जितने बार चाहे उतने बार राष्‍ट्रपति बन सकता है।

ये क्‍यों महत्‍वपूर्ण हो जाता है क्‍योंकि भारत में एक प्रथा चल चुकी है। जो Unofficial (अनौपचारिक) है। अगर किसी व्‍यक्ति को एक बार राष्‍ट्रपति बना दिया जाता है। तो वह सामान्‍यत: दुबारा राष्‍ट्रपति नही बनता। बस एक ही राष्‍ट्रपति भारत में ऐसे हुए हैं, जिन्‍होंंने दो बार राष्‍ट्रपति का पद धारणा किया है। वो रहे हैं, डाॅ राजेन्‍द्र प्रसाद ।

 

 


अनुच्‍छेद 58 –

राष्‍ट्रपति निर्वाचन होने के लिए अर्हताऍं 

अनुच्‍छेद 58 में राष्‍ट्रपति निर्वाचन होने के लिए अर्हताओं या योग्‍याताओं की बात की गयी है।

  1. वह व्‍यक्ति जो भारत का नागरिक है।


  2. वह 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।


  3. वह लोकसभा का सदस्‍य निर्वाचित होने के लिए अर्हित है। मतलब जो व्‍यक्ति राष्‍ट्रपति का चुनाव लड़ रहा है। वो कम से कम लोकसभा का सदस्‍य चुने जाने के योग्‍य हो।

कोई लाभ का पद धारण करता है, तो वह राष्‍ट्रपति निर्वाच‍ित होने का पात्र नहीं होगा। यहां पर एक शब्‍द आया है (लाभ का पद) जो बड़ा ही महत्‍वपूर्ण है। लाभ् के पद का मतलब होता है, कि वह किसी (सरकारी नौकरी) में नही होना चाहिए।

लेकिन इस (लाभ के पद) के तहत मंत्री, M.P और M.L.A  को नहीं रखा गया है। इसमें कहा गया है कि अगर कोई व्‍यक्ति मंत्री, M.P या कोई M.L.A हो तो वो (लाभ का पद नहीं माना) जायेगा। इसका मतलब ये हुआ कि एक व्‍यक्ति जो M.P या M.L.A है वो चुनाव लड़ सकता है राष्‍ट्रपति का। उसे Resignation तब करना पड़ेगा जब वह राष्‍ट्रपति का चुनाव जीत जायेगा।

लेकिन कोई व्‍यक्ति जो सरकारी पद पर है उसे राष्‍ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए पहले अपने पद से इस्‍तीफा देना होगा। तब जाकर वह चुनाव लड़ सकता है।

 


राष्‍ट्रपति का चुनाव लड़ने हेतु 50 अनुमोदक व 50 प्रस्‍तावक होना चाहिए

  • 1997 से पहले यह संख्‍या 10 हुआ करती थी।
  • जमानत राशि – 15000 यदि व्‍यक्ति को 1/6 वोट नहीं मिलते हैं तो 15000 की राशि जप्‍त हो जाती है।

सामान्‍यत: होता क्‍या है कि जब आप राष्‍ट्रपति का चुनाव लड़ते हैं तब आपको 15000 रू जमानत राशि के रूप में जमा करने पड़ते हैं। और जब किसी व्‍यक्ति ने राष्‍ट्रपति का चुनाव लड़ा तो उसे यदि 1/6 से कम वोट मिले तो उसकी जो 15000 रू की जमानत राशि है उसे जब्‍त कर लिये जाते हैं। व 15000 रू की राशि को जब्‍त करने का कार्य RBI ( Reserve Bank of India) करती है।

 

 


अनुच्‍छेद 59 – राष्‍ट्रपति के पद के लिए शर्तें

अनुच्‍छेद 59 में राष्‍ट्रपति पद के लिए Condition (शर्तें) दी गयी है। और ये शर्तें सामान्‍यत: तब हैं, जब एक व्‍यक्ति राष्‍ट्रपति बन जाता है।

  • राष्‍ट्रपति संसद के किसी सदन का या किसी राज्‍य के विधान-मंडल के किसी सदन का सदस्‍य नहीं होगा। मान लीजिए कोई एक  M.P. सांसद या M.L.A (विधायक) है। और इन में से किसी ने राष्‍ट्रपति का चुनाव लड़ा। और चुनाव में  जीत गए। अब इन दोनों को अपने पद से इस्‍तीफा देने पड़ेगा।

 

  • यदि कोई व्‍यक्ति राष्‍ट्रपति है तो वह कोई और पद धारण नहीं कर सकता है। अगर एक व्‍यक्ति को राष्‍ट्रपति बना दिया गया है। तो इसके अलावा वो दूसरा पद धारण नहीं करेगा। सिर्फ राष्‍ट्रपति ही रहेगाा।

 

  • मकान इत्‍यादि की सुविधाएं मुफ्त में मिलेंगे।

 

  • पदावधि के दौरान वेतन व भत्‍तों को कम नहीं किया जाएगा।

 

  • राष्‍ट्रपति का वेतन संसद द्वारा तय किया जाता है।

 

  • राष्‍ट्रपत‍ि के वेतन और भत्‍तों के लिए एक अधिनियम बनाया गया है। (राष्‍ट्रपति वेतन भत्‍ता अधिनियम 1951)। जब भी राष्‍ट्रपति के वेतन को बढ़ाना पड़ता है। तो राष्‍ट्रपति वेतन भत्‍ता अधिनियम और पेंशन अधिनियम 951 में संशोधन किया जाता है।

 

  • वर्तमान समय में राष्‍ट्र्रपति का वेतन – 5 लाख रूपये प्रतिमाह है। जो कि टैक्‍स फ्री होता है। राष्‍ट्रपति वेतन भत्‍ता अधिनियम और पेंशन अधिनियम में 1951 Clearly Mention किया गया है कि जो भी वेतन राष्‍टपति को मिलेगी। उस पर किसी भी प्रकार का कोई Income Tax नहीं लगाया जायेगा।

 


अनुच्‍छेद 60 –

राष्‍ट्रपति द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान

राष्‍ट्रपति की शपथ की चर्चा Artical 60 में की गई है।

  • भारत के मुख्‍य न्‍यायमूर्ति या उसकी अनुपस्थिति में उच्‍चतम न्‍यायालय के उपलब्‍ध ज्‍येष्‍ठतम न्‍यायाधीश के समक्ष। राष्‍ट्रपति को Chief Justice of India (भारत के मुख्‍य न्‍यायाधीश) शपथ दिलवाते हैं। और अगर वो नहीं हैं, तो उच्‍चतम न्‍यायालय के उपब्‍ध The senior-most Judge of the Supreme Court (ज्‍येष्‍ठम न्‍यायाधीश) राष्‍ट्रपति को शपथ दिलवाते हैं।

 


अनुच्‍छेद 61 –

राष्‍ट्रति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया

  • राष्‍ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया की चर्चा अनुच्‍छेद 61  की गई है। और भारत ने राष्‍ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया को संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका से लिया है।

 

  • यहां पर (Impeachment) महाभियोग शब्‍द का अर्थ है, कि किसी को पद से हटाना। महाभियोग सिर्फ और सिर्फ राष्‍ट्रपति पर लगाया जाता है। बाकी Supreme Court, High Court, और उपराष्‍ट्रपति इनको हटाने के लिए Process of Removel (हटाने की प्रक्रिया शब्‍द का प्रयोग किया गया है।

 

  • अनुच्‍छेद 61 में चार भाग है। 61 का (1) ।  61 का (2) । 63 का (3) । 64 का (4) इन चारों भागों में बताया गया है कि कैसे राष्‍ट्रपति को उसके पद से हटाया जायेगा।

 


1. जब संविधान के अतिक्रमण के लिए राष्‍ट्रपति पर महाभियोग चलाना हो, तब संसद का कोई सदन आरोप लाएगा। 

अनुच्‍छेद 61 (1) में दो बातें बता दी गयी है। पहला राष्‍ट्रपति पर महाभियोग चलाया जायेगा। और उसका जो आधार होगा। वो होगा संविधान का अतिक्रमण।

दूसरा (संसद का कोई सदन आरोप लगायेगा)। अर्थात संसद का कोई भी सदन का मतलब लोकसभा और राज्‍य सभा कोई भी महाभियोग के लिए प्रस्‍ताव ला सकते हैं।

 


2. अगर आपको राष्‍ट्रपति को हटाने के लिए महाभियोग का प्रस्‍ताव लाना है। तो संसद को राष्‍ट्रपति को 14 दिन पहले बताना होगा। उसके बाद संसद का कोई भी सदन महाभियोग का प्रस्‍ताव लेकर आ सकती है।

जैसे माना लीजिए आपके पास एक प्रस्‍ताव (पत्र) है। और आप इस महाभियोग के प्रस्‍ताव को लोकसभा में लेकर आ रहे हैं। कि राष्‍ट्रपति पर महाभियोग चलाया जाना चाहिए। क्‍योंकि उन्‍होंने संविधान का अतिक्रमण किया है।

अब अगर आपको सदन में महाभियोग का प्रस्‍ताव पेश भी करना है सदन में। तो सिर्फ पेश करने के लिए जो भी सदन है, उसके 1/4 सदस्‍यों के हस्‍ताक्षर चाहिए। उसके बाद ही आप उस प्रस्‍ताव को सदन में पेश कर सकते हैं।

अब माना लीजिए आपका प्रस्‍ताव पेश हो गया है। अर्थात आपके प्रस्‍ताव पर 1/4 सदस्‍यों के हस्‍ताक्षर हो गये। तो पहले प्रस्‍ताव आया है। लोकसभा में । और अब लोकसभा में इस प्रस्‍ताव पर वोटिंग होगी। और अगर पूरे सदन में उपस्थित 2/3 सदस्‍यों ने इसे पास कर दिया। तो फिर ये प्रस्‍ताव लोकसभा से पास (पारित) हो जायेगा।

अब जैसे ही ये प्रस्‍ताव लोकसभा में पास हो जायेगा। उसके बाद यह प्रस्‍ताव राज्‍यसभा में जायेगा। और राज्‍यसभा इस पर सीधे वोटिंग नही करेगा। क्‍योंकि नियम ये है कि एक सदन जिसमें प्रस्‍ताव पेश किया जाता है। तो फिर दूसरा सदन उसकी जॉंच करेगा।

चूँकि हम यहां पर प्रस्‍ताव लोकसभा में लेकर के आये थे। तो राज्‍यसभा इस प्रस्‍ताव की जॉंच करेगी। क्‍या राष्‍ट्रपति ने सच में संविधान का अतिक्रमण किया है कि नहीं किया है।

माना लीजिए राज्‍यसभा ने भी इसकी जॉंच कर ली। और राज्‍यसभा ने भी मान लिया कि जो राष्‍ट्रपति हैं उन्‍होंने संविधान का अतिक्रमण किया है। फिर अगर राज्‍यसभा के 2/3 सदस्‍यों ने मिलकर उस प्रस्‍ताव को पारित कर दिया है। तो फिर राष्‍ट्रपति उनके पद से हटा दिया जायेगा।

 


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FAQ – भारत के राष्‍ट्रपति

रक्षा बलों का अध्‍यक्ष कौन होता है?

राष्‍ट्रपति तीनों सेनाओं का अध्‍यक्ष होता है।

किस अनुच्‍छेद में कहा गया है क‍ि तीनों सेनाओं राष्‍ट्रपति होगा?

अनुच्‍छेद 53 में कहा गया है कि राष्‍ट्रपति तीनों सेनाओं का अध्‍यक्ष होता है।

राष्‍ट्रपति और उपराष्‍ट्रपति के चुनाव से सं‍बंधित किसी भी प्रकार के विवाद को कौन Resolve करता है?

सुप्रीम कोर्ट।

राष्‍ट्रपति के त्‍यागपत्र का जिक्र किस अनुच्‍छेद में किया गया है?

अनुच्‍छेद 56 में।

राष्‍ट्रपति का वेतन किसके द्वारा तय किया जाता है?

संसद के द्वारा राष्‍ट्रपति का वेतन तय किया जाता है।

राष्‍ट्रपत‍ि के शपथ का प्रावधान किस अनुच्‍छेद में दिया गया है?

अनुच्‍छेद 60 में।

भारत के राष्‍ट्रपति को शपथ कौन दिलवाता है?

भारत के राष्‍ट्रपति को भारत के मुख्‍य न्‍यायाधीश शपथ दिलवाते हैं। और मुख्‍य न्‍यायाधीश की अनुपस्थिति में ज्‍येष्‍ठतम न्‍यायाधीश राष्‍ट्रपति को शपथ दिलवाते हैं।

महाभियोग की प्रक्रिया किस-किस पर चलायी जाती है?

महाभियोग की प्रक्रिया सिर्फ और सिर्फ राष्‍ट्रपति पर चलायी जाती है।

अनुच्‍छेद 57 में किस चीज की चर्चा कि गयी है?

अनुच्‍छेद 57 में पुनर्निवाचन की पात्रता की चर्चा की गयी है।

राष्‍ट्रपति की पदा‍वधि का विवरण किस अनुच्‍छेद में दिया गया है?

अनुच्‍छेद 56 में राष्‍ट्रपति की पदावधि का विवरण दिया गया है।

राष्‍ट्रपति का कार्यकाल कितने वर्षों का होता है?

5 वर्ष का।

राष्‍ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए कितने रूपये की जमानत राशि लगती है?

राष्‍ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए 15000 रू जमानत राशि लगती है।

राष्‍ट्रपति की जमानत राशि को जब्‍त करने का कार्य कौन करता है?

RBI ( Reserve Bank of India ) राष्‍ट्रपति की जमानत को जब्‍त करता है।

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