सिंधु घाटी सभ्यता |
सिंधु घाटी सभ्यता
इस सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता क्यों कहा जाता है
इस सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता इसलिए कहा जाता है। क्योंकि इस सभ्यता के ज्यादतर स्थान (सिंधु नदी तंत्र) के क्षेत्र में या इस सभ्यता के अधिकतम स्थान (सिंधु बेसन) में स्थित हैं।
सिंधु नदी के बेसन
- यहा पर सिंधु नदी के बेसन का मतलब है, कि सिंधु और उसकी सहायक नदीयों से है। जिसमें सिंधु प्रमुख नदी और बेसन उसकी सहायक नदीयॉं हैं।
- सिंधु घाटी सभ्यता से हमें लिपि (Script) देखने को मिलती है। परंतु जो लिपि हमें सिंधु घाटी सभ्यता से मिली है, उसे अब तक हम पढ़ नहीं पाये हैं। जिस कारण से सिंधु घाटी सभ्यता को ‘आद्य ऐतिहासिक सभ्यता’ भी कहा जाता है।
सिंधु घाटी सभ्यता में धातुओं का उपयोग
सिंधु घाटी सभ्यता में कास्य धातु (Bronze metal) का उपयोग किया गया है। जिस कारण से इस सभ्यता को कास्ययुगीन सभ्यता भी कहा जाता है।
सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल
इस सभ्यता में बड़े-बड़े नगर हुआ करते थे। जिसमें मोहनजोदोड़ो एक बहुत बड़ा शहर था। हड़प्पा एक बहुत बड़ा शहर था। तो इस कारण से इसे नगरीय सभ्यता भी कहा जाता है।
तो हम एक वाक्य में कह सकते हैं कि सिंधु घाटी सभ्यता आज से लगभग 4.5 हजार साल पहले विकसित एक आद्य ऐतिहासि, कांस्ययुगीन, और नगरीय सभ्यता थी।
सिंधु घाटी सभ्यता को किसने बसाया था।
सिंधु घाटी सभ्यता में दो प्रकार के लोग रहते थे।
- एक तो भूमध्य सागरीय लोग यहॉं आकर रहते थे। ऐसे लोग जो कि भूमध्य सागर के आस-पास के इलाकों से आये थे।
- और दूसरा द्रविड लोंगो ने इस सभ्यता को बसाया था। और द्रविड वहीं लोग हैं जो आज दक्षिण भारत (South India) में रहते हैं या जो वहॉं के मूल निवासी है।
सिंधु घाटी सभ्यता की खोज
- एक व्यक्ति थे। जिनका नाम था (रायबहादुर दयाराम) साहनी। तो रायबहादुर दयाराम साहनी ने 1921 में रावी नदी के किनारे एक बहुत बड़े शहर को खोजा। और इस शहर का नाम इन्होने रखा हड़प्पा । तो इस सभ्यता को क्या कहा जाने लगा। (हड़प्पा की सभ्यता (Harappan Civilization)। सिंधु घाटी सभ्यता में हड़प्पा वह पहला स्थान या शहर था। जिसकी खोज सबसे पहले की गयी।
- हड़प्पा की खोज के अगले ही वर्ष (राखल दास बनर्जी) नाम के एक व्यक्ति आते हैं। और राखल दास बनर्जी ने 1922 में सिंधु नदी के किनारे एक बहुत बड़े शहर की खोज की। जो हड़प्पा शहर से भी बड़ा शहर था। और इस शहर को नाम दिया गया। (मोहनजोदड़ो) ।
फिर इसके बाद लगातार एक के बाद एक के बाद एक शहरों की खोज होती गयी। लेकिन जितने भी शहर खोजे जा रहे थे। वो सारे-के- सारे शहर सिंधु नदी तंत्र में आते थे। तो कहा गया हम इसे हड़प्पा सभ्यता नहीं कहेंगे हम इसे सिन्धु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) कहेंगे।
जब भारत में सिंधु घाटी सभ्यता का विकास हो रहा था। तो उस समय ईरान और इराक वाले क्षेत्र में एक सभ्यता विकसित थी जिसे कहा जाता था। (मेसोपोटामिया की सभ्यता)। और उसी एक और सभ्यता अफ्रीका के मिस्त्र वाले इलाके में विकसित थी। जिसे कहा जाता था। मिस्र की सभ्यता।
तो क्या होता था। ये जो सभ्यताएं थी। इनके बीच में व्यापार हुआ करता था। और ये जो मोसोपोटामिया की सभ्यता थी। यहॉं से एक अभिलेख (Edict) मिला है। और इस अभिलेख में सिंधु घाटी सभ्यता के लिए (मेलुहा) शब्द का उपयोग हुआ है। अर्थात सिंधु घाटी सभ्यता को मेसोपोटामिया वाले क्षेत्र में मेलुहा कहा जाता था।
सिंधु घाटी सभ्यता का विस्तार
सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे उत्तरी बिन्दु (मांडा) है ये वर्तमान में जम्मू-कश्मीर मे स्थित चिनाब नदी के तट पर स्थित है।
और सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे दक्षिणी बिन्दु (दाइमाबाद) जो वर्तमान में अहमदनगर (महाराष्ट्र) में आता है। जो गोदावरी नदी तंत्र में है।
और सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे पूर्वी बिन्दु (आलमगीरपुर) है। जो मेरठ (उतरप्रदेश) में स्थित हिंडन नदी के पास स्थित है।
व इस सभ्यता का सबसे पश्चिमी बिन्दु (सुतकागेंडोर) है। जो वर्तमान समय में पाकिस्तान के बलूचिस्तान में आता है। और (दाश्क नदी) यहॉं से बहती है।
नगरीय सभ्यता
सिंधु घाटी सभ्यता एक नगरीय सभ्यता थी। नगरीय सभ्यता होने का मतलब होता है यहॉं पर कृषि भी थी और व्यापार भी था।
नगर/शहर का मतलब होता है यह एक प्रकार का बाजार होता है। जहां बाहर से कृषक, शिल्पी अपने वस्तुओं को ले कर आते हैं और यहॉं पर बेचते हैं। तथा ऐसे बाजारों से चीजे न सिर्फ दूसरे शहरों मे जाती थी बल्कि दूसरे देशों तक भी जाया करती थी। अर्थात मेसोपोटामिया और मिस्र की सभ्यता तक सिंधु घाटी सभ्यता का व्यापार हुआ करता था।
व्यापार नगरों के साथ-साथ अन्य सभ्याताओं के साथ भी हुआ करता था। और सिंधु घाटी सभ्यता में हमें बहुत बड़े नगर देखने को मिलते हैं। जिसमें से 6 नगर बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।
- मोहनजोदड़ो
- हड़प्पा
- गणवारीवाला
- धौलावीरा
- राखीगढ़ी
- कालीबंगा
FAQ – सिंधु घाटी सभ्यता
हड़प्पा शहर की खोज सन 1921 में रायबहादुर दयाराम साहनी ने की थी। मोहनजोदड़ो शहर की खोज सन 1922 में राखल दास बनर्जी ने की थी। सिंधु घाटी सभ्यता को भूमध्य सागरीय और द्रविड़ लोगों ने बसाया था। सिंधु घाटी सभ्यता लगभग 4.5 हजार साल पुरानी सभ्यता है। क्योंकि इस सभ्यता से हमें लिपि मिली है जिसे अभी तक हम पढ़ नहीं पाये हैं। इसलिए सिंधु घाटी सभ्यता को आद्य ऐतिहासिक इतिहास कहते हैं। मेसोपोटामिया की सभ्यता ने सिंधु घाटी सभ्यता के लिए मेलुहा शब्द का उपयोग किया है। सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे उत्तरी बिन्दु मांडा है। जो वर्तमान समय में जम्मू-कश्मीर के चिनाब नदी के तट पर स्थित है। सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे दक्षिणी बिन्दु दाइमाबाद है जो वर्तमान में महाराष्ट्र के अहमदनगर में आता है। यह गोदावरी नदी के तंत्र में स्थित है। सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे पूर्वी बिन्दु आलमगीरपुर उत्तर प्रदेश (मेरठ) में स्थित है। और यहाँ से हिंडन नदी गुजरती है। सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे पश्चिमी बिन्दु सुतकांगेडोर है। जो वर्तमान समय में पाकिस्तान के बलूचिस्तान में आता है। और यहॉं से दाश्क नदी बहती है।हड़प्पा शहर की खोज किसने और कब की?
मोहनजोदड़ो शहर की खोज कब और किसने की थी?
सिंधु घाटी सभ्यता को किन लोगों ने बसाया था?
सिंधु घाटी सभ्यता लगभग कितनी पुरानी सभ्यता है?
सिंधु घाटी सभ्यता को आद्य ऐतिहासिक इतिहास क्यों कहते हैं?
किस सभ्यता ने सिंधु घाटी सभ्यता के लिए मेलुहा शब्द का उपयोग किया?
सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे उत्तरी बिन्दु कौन-सा है?
सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे दक्षिणी बिन्दु कौन-सा है?
सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे पूर्वी बिन्दु कौन-सा है?
सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे पश्चिमी बिन्दु कौन-सा है?