रेगुलेटिंग एक्ट 1773 |
रेगुलेटिंग एक्ट 1773
रेगुलेटिंग एक्ट 1773 अधिनियम ब्रिटिश सरकार द्वारा बनया गया था। उस समय ब्रिटेन के राजा जॉर्ज तृतीय थे। जो (1760-1820) तक ब्रिटेन के राजा थे। और प्रधानमंत्री लॉर्ड नार्थ थे । और उस समय भारत के गर्वनर लार्ड वारेन हेस्टिंग थे।
रेगुलेटिंग एक्ट 1773 को क्यों लाना पड़ा
रेगुलेटिंग एक्ट 1773 को लाने की आवश्यकता इसलिए पड़ी। क्योंकि जैसे ही (BEIC) ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी ने भारत के एक भू-भाग पर कब्जा किया और बंगाल में इन्होंने द्वैध शासन लगा दिया। और बंगाल में बहुत ज्यादा भष्ट्राचार करने लगे अर्थात छोटे-छोटे व्यापारियों व कटपुतली नवाब से हद से ज्यादा पैसे लेने लगे।
वहाँ पर (BEIC) कभी भी कोई भी कम्पनी का आदमी जाता और वहां के राजाओं, गरीब लोगों तथा कास्कारों से हद से ज्यादा पैसे लिये जाते थे। जो भी (BEIC) के लोग थे, वो कम्पनी के लिए व्यापर न करके स्वयं अर्थात व्यक्तिगत व्यापार करने लगे। तो इन्हीं सब चीजों से (BEIC) में पहले तो भष्ट्राचार में वृद्धि होने लगी। और दूसरी ब्रिटिश ईस्ट इंडिया की दयनीय आर्थिक स्थिति हो गई ।
यह सोचने वाली बात थी की पूरे भारत में (BEIC) व्यापार करने वाल इकलौती ऐसी ब्रिटिश कम्पनी होने के बावजूद भी इनकी दयनीय आर्थिक स्थिति हो गई । व आर्थिक स्थिति इतनी दयनीय हो गयी की (BEIC) कम्पनी को ब्रिटिश Parliament से (10 Lakh pond) मॉंगने पड़े ।
जिसमें ब्रिटिश (Government) यह सोचा की आप वहॉं पर अकेले शासन कर रहे हो । टैक्स के रूप में इतना पैसे कमा रहे हो । और इतना पैसा कमाने के बाद भी आप हम से (10 Lakh pond) मॉंग रहे हो ।
इन्हीं कारणों के कारण (British Parliament) ने लॉर्ड नार्थ के नेतृत्व में पहला अधिनियम भारत के लिए बनाया जिसका नाम था रेगुलेटिंग एक्ट 1773 । व बंगाल में द्वैध शासन भी इस अधिनियम का प्रमुख कारण है ।
1773 रेगुलेटिंग एक्ट के प्रवाधान
- यहां पर रेगुलेटिंग एक्ट के प्रावधान का अर्थ – नियम, कानून और व्यवस्था से है
पहला प्रावधान
इसमें पहला प्रवाधान ये रखा गया कि बंगाल के गवर्नर को बंगाल का गर्वनर जनरल बनाया गया। और बंगाल के प्रथम गर्वनर जनरल लार्ड वारेन हेस्टिंग को बनया गया। जब यह अधिनियम 1773 लाया गया तब ये बंगाल के गर्वनर थे। परन्तु जब इस अधिनियम को लागू कर दिया गया तब इन्हें बंगाल का पहला गर्वनर जनरल बनाया गया।
बंगाल के गर्वनर को गर्वनर जनरल इसलिए बनाया गया ताकि गर्वनर के पास ज्यादा शक्तिया आ सके। ताकि वह बेहतर ढंंग से बंगाल पर कंट्रोल कर सके। इसके पीछे एक छोटी-सी छिपी है।
Samll Story – 1773 तक बंगाल, बम्बई और मद्रास इन तीनोंं क्षेत्रों में अलग-अलग शासन चल रहा था। और इन तीनों क्षेत्रों के अलग-अलग गर्वनर थे। लेकिन 1773 के अधिनियम ने ये कहा कि बंगाल का गर्वनर जनरल (Head) होगा बम्बई और मद्रास के गर्वनर के। अर्थात बम्बई और मद्रास के गर्वनर बंगाल के गर्वनर जनरल के अर्न्तगत कार्य करेंगे।
दूसरा प्रावधान
फिर 4 सदस्यों की एक कार्यकारी परिषद बनायी गयी अब कहा गया की ये 4 सदस्य बैठगें और ये चारों सदस्य आपस में मिलकर के ये निर्णय लेगें कि भारत में किस प्रकार से शासन को चलाना है ।
तीसरा प्रावधान
20 वर्षों हेतु (BEIC) एकाधिकार दिया गया। (Monopoly) एकाधिकार का अर्थ होता है कि एक व्यक्ति का अधिकार। तो हुआ ये कि ब्रिटिश संसद ने अगले 20 वर्षों के लिए ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी को एकाधिकार दे दिया गया।
1773 से 1793 तक दो चीजों व्यापार और शासन का एकाधिकार (BEIC) को दे दिया गया। अर्थात भारत में 20 वर्षों तक अन्य कोई भी कम्पनी न तो व्यापार करेगी और न ही शासन करेगी। यही कारण रहा था कि 1600 से लेकर 1813 तक एक ही कम्पनी भारत में देखने को मिलती है। क्योंकि उसके पास एकाधिकार था ।
चौथा प्रावधान
चौथे प्रावधान में (रेगुलेटिंग एक्ट 1773) के तहत एक वर्ष बाद 1774 में कोलकाता में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की गई।
- इस कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एलिजा एम्पे थी।
- इनके अलावा तीन अन्य न्यायाधीश चैंवर्स, लेंमिस्टर, और हाईड थे।
Small Story – एलिजा एम्पे और लार्ड वारेन हेस्टिंग दोस्त थे। तो लार्ड वारेन हेस्टिंग ने बह्रामण और घसीटी बेगम पर एक केस दायर करवाया। इन पर ये आरोप था कि इन्होंंने अग्रेजो से गद्दारी की। जबकि ये लाग बेकसूर थे। तो लार्ड वारेन हेस्टिंग ने एलेजा एम्पे से ये कहा कि तुम इन लोगों को फॉंसी की सजा दे दो। और इन्हें फॉंसी की सजा सुनाई गयी।
जब ब्रिटिश संसद को यह पता चला कि लार्ड वारेन हेस्टिंग ने अपनी शक्तियाँ का गलत इस्तेमाल किया। तो उन्हें ब्रिटिश संसद में बुलाया गया। और इन पर महाभियोग चलाया गया । अर्थात कार्यवाही की गई।
पॉंचवा प्रावधान
इसमें उपहार, रिश्वत और निजी व्यापार पर प्रतिबंध लगाया गया। जिसके कारण (BEIC) दयनीय आर्थिक स्थिति हुई थी।
रेगुलेटिंग एक्ट 1773 के फायदे
- इस अधिनियम के तहत भारत पर ब्रिटिश संसद का ध्यान आर्किषित होना जो आगे चलकर भारत में शासन की प्रक्रिया सुधारना।
- (BEIC) कम्पनी पर ब्रिटिश संसद का नियंत्रण।
- उपहार, रिश्वत और निजी व्यापार पर रोक।
- इस एक्ट के तहत बंगाल, मद्रास और बम्बई में एक कुशल शासन चलाने का प्रयास।
निष्कर्ष
रेगुलेटिंग एक्ट के जरिये भारत में ब्रिटिश संसद का प्रथम नियंत्रण था। और भारत में प्रथम सुप्रीम कोर्ट की स्थापना हुई । साथ-ही-साथ बंगाल के गर्वनर को बंगाल का गर्वनर जनरल बनाया गया।
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FAQ
रेगुलेटिंग एक्ट कब और किसके द्वारा बनाया गया ?
रेगुलेटिंग एक्ट ब्रिटिश संसद द्वारा 1773 में बनाया गया।
किस एक्ट के द्वारा कलकाता में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की गयी ?
रेगुलेटिंग एक्ट 1773 के तहत सन 1774 में कलकाता में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की गयी।
किस एक्ट के द्वारा बंगाल के गर्वनर को बंगाल का गर्वनर जनरल बनाया गया ?
रेगुलेटिंग एक्ट 1773 के द्वारा बंगाल के गर्वनर को बंगाल का गर्वनर जनरल बनाया गया।
किस एक्ट के तहत ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी को 20 वर्षों के लिए भारत में व्यापार व शासन के लिए एकाधिकार दिया गया ?
रेगुलेटिंग एक्ट 1773 के ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी को 20 वर्षों के लिए भारत में व्यापार व शासन के लिए एकाधिकार दिया गया !