भारतीय राजव्यस्था |
विषय – भारतीय राजव्यस्था
राजव्यवस्था का उदभव
Political philosophy। राजनैतिक दर्शन
अगर आप Origin की बात करे तो दुनिया के जितने भी विषय हैं, वे सभी एक चीज से निकले हैं। वो है, Philosophy (दर्शन)। अब प्रश्न उठता है, कि दर्शन क्या है।
Philosophy (दर्शन) एक सोच है। और जब इस सोच अर्थात (दर्शन) को सबूत मिल जाते हैं, तो यही Philosophy तो Sciencc बन जाती है।
For example
अगर हम भूगोल की बात करे तो पहले लोग कहते थे कि पृथ्वी जो है वो केन्द्र में हैं। सूर्य और सारे ग्रह उसके आस-पास चक्कर लगाते हैं। फिर कुछ लोगों ने कहा कि ऐसा नहीं है, पृथ्वी जो है वो सूर्य के आस-पास चक्कर लगाती है। तो अनके प्रकार की त्योरियां दी गयी। Science में हम अलग-अलग बाते किया करते थे कि हमारे पास एक दिन ये होगा वो होगा।
तो हर चीज शुरूआती रूप में एक दर्शन होती है, एक सोच होती है। और जब उस दर्शन को सूबत मिल जाता हैं, और जब आप उसे apply कर देते हैं। तो वही दर्शन Science बन जाता है।
राजनीति दर्शन ने राजनीति विज्ञान को जन्म दिया और राजनीति विज्ञान ने राजव्यस्था को जन्म दिया।
राजनीति दर्शन → राजनीति विज्ञान → राजव्यस्था |
Political Philosophy → Political Science → Polity |
राजनैतिक दर्शन की शुरूआत Greek (यूनान) से हुई है। जो वर्तमान समय में ग्रीस नाम के देश में पड़ता है। जिसकी राज्यधानी एथेंस है और यह यूरोप में आता है।
यूनान से सबसे पहले नाम आता है, सुकरात।
सुकरात ने पहली बार एक Phylosophy दी। और इस Philosophy में इन्होंने राजा के बारे में बातें की। कि राजा को कैसा होना चाहिए। एक राजा को किस तरीके से काम करना चाहिए। किस तरह से एक राजा के द्वारा राज्य को किस प्रकार से चलाया जाना चाहिए। पर सुकरात ने पहली बार Philosophy तो दी। लेकिन सुकरात ने कोई भी ग्रंथ नहीं लिखा। पर सुकरात के एक शिष्य हुए जिनका नाम था प्लेटो।
सुकरात के शिष्य
सुकरात के एक शिष्य हुए जिनका नाम था प्लेटो। तो प्लेटो ने दो महत्वपूर्ण काम किए। और जिन दो काम से ही शुरूआत होती है, राजनीति विज्ञान की।
- सबसे पहले प्लेटो ने एक किताब लिखी जिसका नाम था रिपब्लिक।
- प्लेटो ने एक किताब लिखी तो लिखी लेकिन उसके साथ इन्होंने एक Education Institute (शैक्षिण संस्थान) भी खोला। और उस शैक्षिण संस्थान का नाम था ( The Academy ) जिस यूनान में खोला गया।
प्लेटो ने अपनी पुस्तक रिपब्लिक में इन्होंने सुकरात के कुछ सिद्धांत और कुछ अपने विचारों को लिखा। और जब रिपब्लिक में इन सब चीजों को लिख दिया तो एक प्रकार से यह राजनीति विज्ञान को आकार मिलने लगा। और जब आपके पास कुछ किताबें हो जाती है। कुछ ज्ञान हो जाता है, तो उस ज्ञान को अगर आपको आगे बढ़ाना है। तो कुछ तो करना पड़ेगा। तो उसी ज्ञान को आगे बढ़ाने के लिए प्लेटो ने एक शैक्षिण संस्थान खोला। The Academy
और जब आप एक शैक्षिण संस्थान खोलते हैं, तो वहां पर अलग-अलग जगहों से बच्चे पढ़ने आते हैं। एक दो बच्चे ऐसे निकलते हैं जो Brilliant निकलते हैं जो उस शैक्षिण संस्थान और उसमें पढ़ाने वाले गुरूओं का पुरे दुनिया में नाम रोशन करते हैं।
The Academy से पढ़कर प्लेटो का एक ऐसा ही शिष्य निकला जिसका नाम था अरस्तु। अरस्तु सबसे पहले एक पुस्तक लिखी जिसका नाम था Politices (राजनीति) ।और जब अरस्तु ने Politices नाम की पुस्तक लिखी। तो वहीं से इन्हें राजनीति विज्ञान का जनक कहा गया।
अरस्तु के भी एक शिष्य हुए जिनका नाम था। सिकंरद। या Alexander lll ( Alexander the Great) ये कोई philosopher नहीं थे।
गुरू और शिष्य |
सुकरात → प्लेटो → अरस्तु → सिकंदर |
राजव्यवस्था
अभी हमनें पढ़ा की शुरूआत हुई थी राजनैतिक दर्शन से जिससे राजनीति विज्ञान निकलकर आया और राजनीति विज्ञान से राजव्यवस्था निकल कर आया है।
अब यदि हम राजव्यवस्था को दो भागों में बांटे तो यहां से दो शब्द निकल कर आते हैं। पहला शब्द है, राज्य/State और दूसरा शब्द है, व्यवस्था/System। अब अगर हमें राजव्यस्था समझना है। तो उससे पहले हमें राज्य और व्यवस्था का अर्थ समझना होगा।
सन 1993 में मोटेंवीडियो कन्वेशन का आयोजन कीया गया। दक्षिण अमेरिका का एक देश है उरूगवे जिसकी राजधानी मोटेंवीडियो है। इस कन्वेशन में बड़े-बड़े विद्वान, स्काॅलर, अमेरिका के राष्ट्रपति सारे लोग आकर इकट्ठे हुए। और इन सब ने एक प्रयास किया कि हम एक राज्य की परिभाषा दे सके। ताकि जब हम अलग-अलग सन्धियों में राज्य शब्द का प्रयोग करे तो हम उसे Difine कर सके।
फिर सन 1993 में सभी लोग ने मिलकर राज्य की परिभाषा चार तत्वों के आधार पर दी।
- भू-भाग / Area
- जनसंख्या / Population
- सरकार / Goverment
- सम्प्रभुता / Sovereignty
मोटेंवीडियो कन्वेशन जो कि 1933 में आयोजित की गयी। उसमें कहा गया कि
जिस भी क्षेत्र के पास ये चार चीजें (भू-भाग, जनसंख्या, सरकार, और संम्प्रभुता) हैं, तो उसे राज्य कहा जायेगा।
क्या भारत 1947 से पहले एक राज्य था ?
1.भाग – क्या भारत के पास अपना भू-भाग है। हाँ भारत के पास एक बहुत बड़ा भू-भाग है।
2.जनसंख्या – क्या भारत के पास एक बड़ी आबादी है। हॉं भारत के पास एक बहुत बड़ी आबादी है।
3.सरकार – भारत के पास भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न राजाओं का शासन तो था । लेकिन पूर्ण रूप से एक सरकार नहीं थी।
4.सम्प्रभुता – क्या भारत के पास सम्प्रभुता है। सम्प्रभुता का अर्थ होता है निर्णय लेने की क्षमता। जब किसी देश के पास अपने आन्तरिक व बाह्यय निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होती है। तो उसे सम्प्रभुता देश कहते हैं। सम्प्रभुता किसी भी राज्य का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। परन्तु 1947 से पहले भारत एक सम्प्रभुता देश नहीं था। क्योंकि सन 1947 से पहले भारत के पास अपने आन्तरिक और बाह्राय निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र नही था। इसी कारणवश भारत सन 1947 से पहले एक राज्य नहीं था। एक सम्प्रभुता देश नहीं था।
लेकिन वर्तमान समय में भारत एक सम्प्रभुता देश है।
व्यवस्था / System
जब हम किसी भी व्यवस्था को चलाने के लिए नियमों को बनाते हैं। और जब उन नियमों को एक समूह के रूप में रखा दिया जाता है। तो उससे संविधान का निर्माण होता है।
नियम – किसी भी राज्य की व्यवस्था के संचालन को बनाये रखने में मौलिक नियमों का एक महत्वपूर्ण योगदान है । तथा मौलिक नियमों के समूह को संविधान कहते हैं। हमें संविधान के अनुच्छेद 21 में (प्राण व दैयिक) जीने की स्वतंत्रता है ।
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