स्वतंत्रता का अधिकार |
स्वतंत्रता का अधिकार
‘स्वतंत्रता के अधिकारों‘ को भारतीय संविधान में ‘अनुच्छेद 19‘ से ‘अनुच्छेद 22‘ तक दिया गया है। जिसमें भारत का संविधान हमें 4 स्वतंत्रता के अधिकार प्रदान करता है।
अनुच्छेद (Artical) | अधिकार (Rights) |
अनुच्छेद 19 | (वाक्-स्वातंत्र्य) आदि विषयक कुछ अधिकारों का संरक्षण |
अनुच्छेद 20 | (अपरोधों के लिए दोषसिद्धि के सबंध में संरक्षण |
अनुच्छेद 21 | (प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण |
अनुच्छेद 22 | (कुछ दशाओं मे गिरपतारी और निरोध से संरक्षण |
अनुच्छेद 19
‘वाक्-स्वातंत्र्य आदि विषयक कुछ अधिकारों का संरक्षण’
- अनुच्देछ 19 (1) हमें 6 प्रकार की स्वतंत्रता देता है।
अनुच्छेद 19 – सभी नागरिकों को
अनुच्छेद19 (1)(A)
- सभी नागरिकों को (वाक्-स्वातंत्र्य और अभिव्यक्ति-स्वातंत्र्य का) अर्थात वाक्-स्वतंत्रता का अधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देता है।
- जो पत्रिकारिता का क्षेत्र होता है, उसे अनुच्छेद 19 (1) A में रखा गया है। क्योंकि पत्रिकारिता के माध्यम से आप अपने विचाारों को अभिव्यक्त Express करते हैं। इसीलिए प्रेस की जो स्वतंत्रता है, उसे अनुच्छेद 19 (1) (A) में रखा गया है।
- अगर आपको कोई भी सूचना देनी या लेनी है, तो भारत सरकार द्वारा बनाये गये ‘सूचना विभाग‘ के माध्यम से आप किसी भी प्रकार की सूचना ले सकते हैं। इसके लिए भी संविधान के अनुच्छेद 19 (1)( A) में हमें सूचना का अधिकार दिया गया है।
- यहीं कारण है कि जो सूचना का अधिकार है, वो भी अनुच्छेद 19 (1) A के तहत आता है। हमें दो मुख्य चीजें याद रखनी है, कि अनुच्छेद 19 (1) (A) के तहत ‘प्रेस की स्वतंत्रता’ जुड़ी हुई है। और सूचना का अधिकार RTI ( Right to Information) भी जुड़ा हुआ है।
- सूचना का अधिकार (RTI) के लिए 2003 में Supreme Court में एक Case हुआ था। और Supreme Court ने कहा था कि RTI (Right to Information) नागरिकों का मौलिक अधिकार है अनुच्छेद 19 (1) A के तहत। और इसी Case के बाद सरकार RTI (अधिनियम 2005) लेकर आयी थी।
- जो अनुच्छेद 19 है – ये बात करता है,नागरिकों को स्वतंत्रता देनी की। लेकिन अनुच्छेद 19 (2) से लेकर के अनुच्छेद 19 (6) तक जितने भी प्रकार की स्वतंत्रता हैं। उनके ऊपर ‘युक्तियुक्त‘ Reasonable प्रतिबंध लगाया गया है। और कहा गया है कि आप ऐसा कोई भी कार्य नहीं करेगे जो व्यक्ति की गरिमा को ठेस पहुॅंंचाए। जो भारत की स्वतंत्रता की ‘स्वतंत्रता को ठेस’ पहुँचाए।
- जितने भी मौलिक अधिकार हमें दिए गए हैं। ये मौलिक अधिकार (आत्यांतिक) नही हैं। Absolute होने का मतलब ये होता है कि जितने भी मौलिक अधिकार हमें दिए गये हैं। उन सारे अधिकारों पर एक सीमा लगाई गई है। अर्थात एक दायरे में बांधा गया है।
अनुच्छेद 19 (1)(B)
- सभी नागरिकों को (शांतिपूर्वक और निरायुध सम्मेलन का) अधिकार प्रदान करता है।
अनुच्छेद 19 (1)(C)
- सभी नागरिकों को (संगम या संघ बनाने का) अधिकार प्रदान करता है।
अनुच्छेद 19 (1)(D)
- सभी नागरिकों को (भारत के राज्य क्षेत्र में सर्वत्र अबाध संचरण का) अधिकार प्रदान करता है।
अनुच्छेद 19 (1)(E)
- सभी नागरिकों को (भारत के राज्यक्षेत्र के किसी भाग में निवास करने और बस जाने का) अधिकार प्रदान करता है।
अनुच्छेद 19 (1) (E) के बाद अनुच्छेद 19 (1) (F) को हटा दिया गया है। समझए कैसे?
संपत्ति का अधिकार
अनुच्छेद 19 (1)(F)
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अनुच्छेद 19 (1)(G)
सभी नागरिकों को अनुच्छेद 19(1)(G) (कोई वृति, उपजीविका, व्यापार या कारोबार करने का अधिकार प्रदान किया गया है।
यहां पर हमने स्वतंत्रता अधिकार के अन्तर्गत अलग-अलग अधिकारों की बात की। जिसमें सबसे पहले हमने देखा कि संविधान ने हमें बात करने की ( वाक्-स्वातंत्र्य) और अभिव्यक्ति की आजादी दी है। और जब आप किसी से बात करोगे तो बात करने के बाद आपको को भाषण या सभा करने का अधिकार होना चाहिए। और अगर आपको अपनी बात को अभिव्यक्ति करना है। तो आप अपनी बात को कहां अभिव्यक्ति करोगे। एक सभा या सम्मेलन के सामने करोगे।
तो अनुच्छेद 19 (1) B में हमें अधिकार मिल गया सभा बनाने का। और जब सभा बन गयी तो उसका सम्मेलन आप एक सम्मेलन भी कर सकते हैं।
तो अनुच्छेद 19 (1) C में हमें अधिकार दे दिया गया कि आप एक संघ बना सकते हैं। और जो ये अनुच्छेद 19 (1) C है। इसमें 97 संविधान संशोधन 2011 के द्वारा एक और प्रावधान बनाने का जोड़ा गया है, सहकारी संघ बनाने का।
अनुच्छेद 20
अनुच्छेद 20 में ‘अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण‘ की बात कहीं गई है।
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अनुच्छेद 20 (2)
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अनुच्छेद 20(3)
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अनुच्छेद 21 :
प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण
- किसी व्यक्ति को उसके प्राण या दैहिक स्वतंत्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही वंचित किया जाएगा, अन्यथा नहीं।
- अनुच्छेद 21 कहता है कि अगर किसी व्यक्ति को उसके प्राणों से वंचित करना है तो सिर्फ एक तरीका है और वो तरीका है। उस प्रक्रिया को अपनाया जाए जो विधि द्वारा स्थापित । तो कानून के द्वारा ही किसी व्यक्ति के प्राणों को ले लिया जा सकता है, अन्यथा नहीं।
- अनुच्छेद 21 जो है वो बहुत ज्यादा गतिमान अधिकार है। गतिमान होने का मतलब है, कि इसका जो दायरा है वो बहुत बड़ा है। अर्थात हर एक चीज का संबंध जीने के अधिकार से होता है।
अनुच्छेद 21 (A)
शिक्षा का अधिकार
- राज्य, छह वर्ष से चौदह वर्ष तक की आयु वाले सभी बालको के लिए नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा देने का ऐसी रीति में, जो राज्य विधि द्वारा, अवधारित करे, उपलबंंध करेगा।
- जो अनुच्छेद 21 (A) उसे संविधान में जोडा गया है। अगर आप संविधान में कोई भी चीज जोड़ते या हटाते हैं। तो आपको संविधान में संशोधन करना पड़ता है। 86वां संविधान संशोधन 2002 के द्वारा भारत के संविधान में अनुच्छेद 21 (A) जोड़ा गया। जो हमें (Rights to Education) शिक्षा का अधिकार देता है।
- अनुच्छेद 21 (A) छह से चौदह वर्ष के बच्चोंं को ना सिर्फ नि:शुल्क बल्कि अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने की बात करता है।
- 86 वां संविधान संशोधन के द्वारा केवल मौलिक अधिकारों में ही बदलाव नही किया गया। बल्कि इसी संविधान संशोधन के द्वारा (DPSP) राज्य के नीति निदेशक तत्वों में भी बदलाव किया गया।
अनुच्छेद 22
कुछ दशाओं में गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण
अनुच्छेद 22 (1)
किसी व्यक्ति को जो गिरफ्तारी किया गया है, ऐसी गिरफ्तारी के कारणों से यथाशीघ्र अवगत कराए बिना अभिरक्षा में निरूध नहीं रखा जाएगा।
Artical 22 (1) में कहा गया है कि जिस व्यक्ति को भी (Arrest) गिरफ्तार किया जायेगा उसे Arrest होने का कारण बताना पड़ेगा।
अनुच्छेद 22 (2)
प्रत्येक व्यक्ति को जो गिरफ्तार किया गया है, और अभिरक्षा में निरूद्ध रखा गया है, गिरफ्तारी के स्थान से मजिस्ट्रेट के न्यायालय तक यात्रा के लिए आवश्यक समय को छोड़कर ऐसी गिरफ्तारी से चौबीस घंटे की अवधि में निकटतम मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाएगा।
Artical 22 (2) में कहा गया है, कि यदि किसी व्यक्ति को (Arrest) गिरफ्तार किया गया है, तो 24 घंण्टे के अन्दर उसे न्यायालय के समक्ष पेश करना होगा।
अनुच्छेद 22 (3)
निवारक गतिविधियों की बात करता है।
निवारक गतिविधियों में ये बताया गया है यदि आपको लगता है, कोई व्यक्ति है और वो आने वाले समय में कोई अपराध कर सकता है। तो आप उसे पहले ही गिरफ्तार कर सकते हैं।
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FAQ – स्वतंत्रता का अधिकार
भारतीय संविधान में स्वतंत्रता के अधिकार कहाँ से कहाॅं तक हैं?
भारतीय संविधान में स्वतंत्रता के अधिकार अनुच्छेद 19 से अनुच्छेद 22 तक दिए गये हैं।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19 हमें कितने प्रकार की स्वतंत्रता देता है?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद19 हमें 6 प्रकार की स्वतंत्रता देता है।
1. वाक् स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता,
2. शांतिपूर्ण और निरायुध सम्मेलन करने का अधिकार,
3. संगम या संघ बनाने का अधिकार,
4. भारत के राज्य क्षेत्र में सर्वत्र संचरण करने का अधिकार,
5. भारत के राज्यक्षेत्र में किसी भाग में निवास या बसने का अधिकार,
6. व्यापार या कारोबार करने का अधिकार
संपत्ति का अधिकार किस अनुच्छेद से संबंधित है?
अनुच्छेद 19 (1) F से।
संपत्ति के अधिकार को किस संविधान संशोधन के द्वारा हटाया गया?
संपत्ति के अधिकार अनुच्छेद 19 (1) F को 44वें संविधान संशोधन 1978 के तहत हटाया गया।
संपत्ति के अधिकार को किस अनुच्छेद में रखा गया है?
संपत्ति के अधिकार को अनुच्छेद 300 (A) में रखा गया है।
संविधान में Small अनुच्छेद (a) और Capital अनुच्छेद (A) का क्या अर्थ होता है?
संविधान में Small अनुच्छेद (a) का अर्थ होता है कि यह मूूल संविधान का हिस्सा है। और Capital अनुच्छेद (A) का अर्थ होता है कि इसे संविधान में संशोधन करके जोड़ा गया है।
वर्तमान में संपत्ति का अधिकार भारत में किस प्रकार का अधिकार है?
विधिक अधिकार।
भारतीय संविधान का वह कौन-सा अनुच्छेद है जो व्यक्तियों के जबरन गवाही से संरक्षित प्रदान करता है?
अनुच्छेद 20।
प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण का अधिकार किस अनुच्छेद में है?
अनुच्छेद 21 में।
शिक्षा का अधिकार संविधान में कहां पर दिया गया है?
अनुच्छेद 21 (A) में ।
किस संविधान संशोधन के द्वारा शिक्षा के अधिकार को संविधान में जोड़ा गया?
86वां संविधान संशोधन 2002 के द्वारा शिक्षा के अधिकार को भारत के संविधान में अनुच्छेद 21 (A) जोड़ा गया।