वर्णों का वर्गीकरण |
वर्णों का वर्गीकरण
हिंदी वर्णमाला में वर्णों का वर्गीकरण 3 भागों में किया गया है।
- उच्चारण के स्थान के आधार पर वर्ण।
- वायु संवेग के आधार पर वर्ण।
- तारत्व के आधार पर वर्ण।
1.उच्चारण के आधार पर वर्ण
- स्वर
- व्यंजन
उच्चारण के आधार पर वर्ण दो प्रकार के होते हैं। स्वर वर्ण और व्यंजन वर्ण
स्वर –
जिन वर्णों का स्वतंत्र अस्तित्व होता है। या जिनके उच्चारण मे कम समय लगता है। उसे स्वर या स्वर वर्ण कहते हैं। यहां पर स्वतंत्र अस्तित्व का मतलब है, कि जिन वर्णों को बोलते समय अन्य किसी दूसरे वर्णों की सहायता नहीं लेनी पड़ती है। उन्हें स्वर या स्वर वर्ण कहते हैं। इन स्वर वर्णों को मात्रा स्वर वर्ण भी कहते हैं। व स्वरों वर्णों की संख्या 11 होती है।
(अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ)
स्वर वर्णों प्रकार/भेद – स्वर वर्णों 4 प्रकार के होते हैं।
- हृस्व स्वर।
- दीर्घ स्वर।
- सयुक्त स्वर।
- प्लुप्त स्वर ।
1. हृस्व स्वर –जिन स्वर वर्णों के उच्चारण में सबसे कम समय लगता है, उन्हें हृस्व स्वर कहते है । और इनकी संख्या 4 होती है। ( अ, इ, उ, ऋ ) |
कुछ जानकारियां –
इन्हें मूल स्वर भी कहा जाता है। और (अ ) वर्ण को हिन्दी वर्णमाला का शहीद वर्ण कहा जाता है।
इसे आप (Practicaly) जल्दी समझ सकते हैं। जब आप स्वंय से इन चारों वणो॔ बोलेंगे तो आप स्वयं समझ सकते है कि इन चार वर्णो का उच्चारण करते समय कितना कम समय लग रहा है।
2. दीर्घ स्वर –जिन स्वर वर्णों के उच्चारण में हृस्व स्वर से 2 गुना समय लगता है, उन्हें दीर्घ स्वर कहते है। और दीर्घ स्वरों की संख्या 3 होती है। ( आ, ई, ऊ ) |
जितना समय हमें हृस्व स्वर ( अ, इ, उ, और ऋ, ) को बोलने मे लगता है। उससे 2 गुना समय हमें दीर्घ स्वर ( आ, ई, ऊ ) को बोलने मे लगता है।
3. सयुक्त स्वर –जिन स्वरों का निमार्ण दो से अधिक स्वरों के मेल से होता है, उन स्वर वर्णो को सयुक्त स्वर कहते है। और सयुक्त स्वरों की संख्या 4 होती है। ( ए, ऐ, ओ, औ ) |
चलिए अब जानते है कि ये चारों सयुक्त स्वर किन दो स्वरों के मेल से बनते है ।
उदाहरण – ए = अ/आ + इ/ई (अर्थात यदि अ के बाद इ/ई आये तो ए बनता है , और यदि आ के बाद भी इ/ई तब भी ए ही बनता है
ए = अ/आ + इ/ई
ऐ = अ/आ + ए/ऐ
ओ = अ/आ + उ/ऊ
औ = अ/आ + ओ/औ
4. प्लुप्त स्वर –जिस स्वर के उच्चारण मे हृस्व स्वर से तीगुना या उससे ज्यादा समय लगता है , उसे प्लुप्त स्वर कहते है। प्लुप्त स्वर की संख्या 1 ही होती है। प्लुप्त स्वर को कहीं-कहीं पर ओ३म और कहीं-कहीं पर ॐ दोनों प्रकार से लिखा जाता है । इसे स्वर माना जाता है, किन्तु वर्णमाला मे इसे स्थान नहीं दीया गया है। |
व्यंजन
जिन वर्णों का स्वतंत्र अस्तित्व नहीं होता है। या जो वर्ण हमेशा स्वर वर्णों की सहायता से ही बोले जाते हैं। ऐसे वर्णों को व्यंजन वर्ण कहते हैं।
यहाँ पर स्वतंत्र अस्तित्व का मतलब है कि व्यंजन वर्ण अपने-आप मे स्वतंत्र नहीं है। क्योंकि बिना स्वर वर्णों के सहायता से व्यंजन वर्ण को नहीं बोला जा सकता है।
उदाहरण – यदि जब हम क वर्ण का उच्चारण करते तो क वर्ण के साथ-साथ अ स्वर की भी सहायता भी लेनी पडती है।
क् + अ = क
ख् + अ = ख
1. नोट –
हिंदी वर्णमाला में कुल व्यंजनों की संख्या 39 तथा मूल व्यंजनों की संख्या 33 होती है।
2. नोट –
हिंदी वर्णमाला में कुल स्पर्शी व्यंजनों की संख्या 25 तथा मूल स्पर्शी व्यंजनों की संख्या 16 होती है।
2. वायु संवेग के आधार पर वर्ण
वायु संवेग के आधार पर वर्ण दो प्रकार के होते हैं। अल्प प्राण और महा प्राण वर्ण।
1.अल्प प्राण –प्रत्येक वर्ग का 1, 3, और 5वां वर्ण अल्प प्राण होता है। क वर्ग – क, ग, ड. च वर्ग – च, ज, ञ ट वर्ग – ट, ड, ण त वर्ग – त, द, न प वर्ग – प, ब, म |
2. महा प्राण –जिन वर्णों के उच्चारण के समय वायु तेजी से ली या छोड़ी जाय उसे महाप्राण कहते हैं। प्रत्येक वर्ग का 2 और 4 वर्ण महाप्राण वर्ण या महाप्राण व्यंजन होता है। क वर्ग – ख, घ च वर्ग – छ, झ ट वर्ग – ठ, ढ त वर्ग – थ, ध प वर्ग – फ, भ |
वाक्य किसे कहते हैं
3. तारत्व के आधार पर वर्ण –
तारत्व के आधार पर भी वर्ण दो प्रकार के होते हैं।
- घोष / संघोष वर्ण
- अघोष वर्ण
1.घोष वर्ण –जिन वर्णों के उच्चारण मे तारत्व या कम्पन पैदा होती है। उसे घोष/संघोष वर्ण कहते हैं। प्रत्येक वर्ग का 3, 4 और 5वां वर्ण को घोष वर्ण कहते हैं। क वर्ग – ग, घ, ड. च वर्ग – ज, झ, ञ ट वर्ग – ड, ढ, ण त वर्ग – द, ध, न प वर्ग – ब, भ, म प्रत्येक अन्तस्थ व्यंजन और ह उष्म व्यंजन को घोष वर्ण कहा जाता है। ( य, र, ल, व, ह ) प्रत्येक स्वर वर्ण को भी घोष वर्ण कहते हैं। |
2.अघोष वर्ण –जिन वर्णों के उच्चारण में तारत्व या कम्पन पैदा न हो उसे अघोष वर्ण कहते हैं। प्रत्येक वर्ग का 1 व 2 वर्ण अघोष वर्ण होता है। क वर्ग – क, ख च वर्ग – च, छ ट वर्ग – ट, ठ त वर्ग – त, थ प वर्ग – प, फ प्रत्येक उष्म व्यंजन ( ह को छोड़कर ) श, ष, स अघोष वर्ण होते हैं। |
Read – शब्द किसे कहते हैं
FAQ – वर्णों का वर्गीकरण
वर्णों के 3 प्रकार होते हैं। जिन वर्णों का स्वतंत्र अस्तित्व नहीं होता है। या जो वर्ण हमेशा स्वर वर्णों की सहायता से ही बोले जाते हैं। ऐसे वणो॔ को व्यंजन वर्ण कहते हैं। हिंदी वर्णमाला में कुल व्यंजनों की संख्या 39 होती है। हिंदी वर्णमाला में मूल व्यंजनों की संख्या 33 होती है। हिंदी वर्णमाला में कुल स्पर्शी व्यंजनों की संख्या 25 होती है। हिंदी वर्णमाला में मूल स्पर्शी व्यंजनों की संख्या 16 होती है। उच्चारण स्थान के आधार पर वर्ण दो प्रकार के होते हैं। स्वर और व्यंजन वर्ण। वही संवेग के आधार पर वर्ण दो प्रकार के होते हैं। अल्पप्राण और महाप्राण वर्ण। जिन वर्णों के उच्चारण के समय वायु धीरे से ली या छोड़ी जाये उसे अल्प प्राण कहते हैं। यहाँ पर अल्पप्राण शब्द का अर्थ कम या थोडी हवा से होता है। प्रत्येक वर्ग का 1, 3, और 5 वॉ वर्ण अल्प प्राण होता है। जिन वर्णों के उच्चारण के समय वायु तेजी से ली या छोड़ी जाय उसे महाप्राण कहते हैं। प्रत्येक वर्ग का 2 और 4 वर्ण महाप्राण वर्ण या महाप्राण व्यंजन होता है। तारत्व के आधार पर वर्ण दो प्रकार के होते हैं। घोष/संघोष वर्ण और अघोष वर्ण। जिन वर्णों के उच्चारण मे तारत्व या कम्पन पैदा होती है । उसे घोष/संघोष वर्ण कहते हैं। प्रत्येक वर्ग के 3, 4 और 5 वें वर्ण को घोष वर्ण कहा जाता है। जिन वर्णों के उच्चारण में तारत्व या कम्पन पैदा न हो उसे अघोष वर्ण कहते हैं। प्रत्येक वर्ण का 1 व 2 वर्ण अघोष वर्ण होता है।वर्णों के कितने प्रकार होते हैं?
i. उच्चारण स्थान के आधार पर वर्ण।
ii. वायु संवेग के आधार पर वर्ण
iii. तारत्व के आधार पर वर्ण।व्यंजन किसे कहते हैं?
हिंदी वर्णमाला में कुल व्यंजनों की संख्या कितनी होती है?
हिंदी वर्णमाला में मूल व्यंजनों की संख्या कितनी होती है?
हिंदी वर्णमाला में कुल स्पर्शी व्यंजनों की संख्या कितनी होती है?
हिंदी वर्णमाला में मूल स्पर्शी व्यंजनों की संख्या कितनी होती है?
उच्चारण स्थान के आधार पर वर्ण कितने प्रकार के होते हैं?
वायु संवेग के आधार पर वर्ण कितने प्रकार के होते हैं?
अल्पप्राण वर्ण किसे कहते हैं?
जैसे – क वर्ग – क, ग, ड.महाप्राण वर्ण किसे कहते हैं?
जैसे – क वर्ग – ख, घ तारत्व के आधार पर वर्ण कितने प्रकार के होते हैं?
घोष/संघोष वर्ण किसे कहते हैं?
क वर्ग – ग, घ, ड.अघोष वर्ण किसे कहते हैं?
जैसे – क वर्ग – क, ख