भूकंप के कारण |
भूकंप/ Earthquake
भूकंप शब्द को यदि हम तोड़ेगे तो इससे दो शब्द निकल कर आते हैं। भू + कंप अर्थात पृथ्वी का कंपन। जब पृथ्वी के भू-पृष्ठ (सतह) में किसी भी प्रकार का कंपन उत्पन्न हो जाए तो उसे भूकंप कहते हैं।
भूकंप आने के कारण
- मानवीय कारण –
- प्राकृतिक कारण
मानवीय कारण
मानवीय कारणों में जो सबसे बड़ा कारण होता है वो होता है, (जलाशयों का निर्माण) और (खनन कार्य) Construction।
अगर आप किसी ऐसी जगह पर निर्माण कर रहे हैं, जो इलाका भूकंप के लिए संवेदशील है। तो वहां पर भूकंप आने के ज्यादा संभावनाएं होती हैं।
प्राकृतिक कारण
प्रत्यास्थ पुनश्चलन सिद्धांत/Elastic rebound theory
- भू-विज्ञान के क्षेत्र में एक बहुत बड़े भू-विज्ञानिक थे, जिनका नाम था रीड।
- इन्होंने एक थ्योरी दी थी जिसे कहते हैं, प्रत्यास्थ पुनश्चलन सिद्धांत
रीड ने ‘प्रत्यास्थ पुनश्चलन सिद्धांत’ के माध्यम से ये बताया कि जितनी भी चट्टरने होती हैं, उनमें प्रत्यास्थता का गुण पाया जाता है। प्रत्यास्थता का सामान्य अर्थ होता है, कि यदि आप किसी भी चीज को मोड़गे तो वह एक हद तक मोड़ती है, फिर वह टूट जाती है। उसी को प्रत्यास्थता का गुण कहते हैं।
रीड ने कहा कि चट्टानों में प्रत्यास्थता का गुण होता है। लेकिन एक समय के बाद जब इन चट्टानों की प्रत्यास्था खत्म होती है। अर्थात अगर किसी भी चट्टान पर बहुत ज्यादा खींचा या दबाव दिया जाए तो एक निश्चित समय पर यह चट्टानें टूट जाती।
और जब ये चट्टानें टूटती है। तो इनसे एक ऊर्जा उत्पन्न होती है। जिसे प्रत्यास्थ ऊर्जा कहते हैं। इसी प्रत्यास्थ ऊर्जा की वजह से पृथ्वी की सतह में कंपन होती है।
वो इलाका जहां से भूकंप की शुरूआत होती है, उस इलाके को Focus कहते हैं। तथा जिस इलाके पर भूकंप का अनुभव होता है अर्थात (धरातल पर) उस इलाके को Epicenter कहते हैं। Epicenter हमेशा Focus से 90 डिग्री का कोण बनाता है।
भूकंंपीय तरंगें
जब कभी भी भूकंप आता है तो भूकंंप आने से सामान्यत: दो प्रकार होती है।
- आंतरीक तरंगे
- पृष्ठीय तरंगे
आंतरीक तरंगे
आंतरीक तरंगों में दो प्रकार की तरंगें होती हैं।
- प्राथमिक तरंगें
- द्वितीय तरंगें/गौण तरंंगें
ये दोनों तरंगें आंतरीक तरंगें होती हैं। अर्थात ये तरंगें पृथ्वी के अन्दर आती है। और पृथ्वी के अन्दर ही अपना कार्य करती है। इन तरंगों की गति बहुत तेज होती है। लेकिन ये दोनों ही तरंगें पृथ्वी पर किसी प्रकार का नुकसान नहीं करती हैं। क्योंकि ये पृथ्वी के अन्दर होती हैं।
पृष्ठीय तरंगें
भू-पृष्ठीय तरंगों में भी दो प्रकार की तरंगें होती हैं।
- L तरंगें
- R तरंगें
पृष्ठीय तरंगें ऐसी तरंगें होती है। जो भूकंप में सबसे ज्यादा तबाही मचाती है। इसलिए इन्हें विनाशकारी तरेगें भी कहा जाता है।
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और जानकारी
FAQ – भूकंप
भूकंप के समय किस प्रकार की ऊर्जा निकली है।
प्रत्यास्थ ऊर्जा।
भूकंप की व्याख्या करने वाला सबसे अच्छा सिद्धांत कौन-सा है?
प्रत्यास्थ पुनश्चलन सिद्धांत/Elastic rebound theory
प्रत्यास्थ पुनश्चलन सिद्धांत किसने दिया है?
भू-विज्ञानिक रीड ने।