गंगा नदी तंत्र |
विषय – गंगा नदी तंत्र
गंगा नदी तंत्र में गंगा नदी और उसकी प्रमुख सहायक नदियां आती है। जो भारत का सबसे बड़ा अपवाह तंत्र बनाती है। गंगा नद का क्षेत्रफल 8.6 लाख वर्ग किलोमीटर है। गंगा नदी और उसकी सहायक नदियां जिस क्षेत्र में फैली हुई है, वह गंगा नदी का अपवाह तंत्र कहलाता है। जो 8.6 लाख वर्ग किलोमीटर में जो (भारत के लगभग 15 राज्यों में फैला हुआ है। गंगा नदी तंत्र एक अंतराष्ट्रीय अपवाह तंत्र है। इसका मतलब ये है कि जब भी आप कहते हैं, कि कोई नदी अंतराष्ट्रीय नदी है, या फिर किसी नदी का तंत्र अंतराष्ट्रीय तंत्र है, तो इसका अर्थ होता है, कि वह नदी एक से ज्यादा देशों में फैली हुई है। गंगा की सहायक नदियां चीन के तिब्बत वाले से भी आती है। नेपाल वाले इलाके से भी आती है। और भारत व बांग्लादेश में गंगा नदी का तंत्र स्थापित है ही। अर्थात गंगा नदी का तंत्र चीन (तिब्बत), भारत, बांग्लादेश, और नेपाल वाले इलाके तक फैला हुआ है। जिस कारण से इस नदी तंत्र को अंतराष्ट्रीय नदी तंत्र या अंतराष्ट्रीय अपवाह तंत्र कहते हैं। गंगा द्रोणी की अधिकांश नदियां सदानीरा है। तथा गंगा नदी के अपवाह तंत्र का बहुत ज्यादा धार्मिक और आर्थिक महत्व है। गंगा नदी का मुहाना बंगाल की खाड़ी है। अर्थात जिसमें गंगा नदी अंत में जाकर गिरती है। |
गंगा नदी तंत्र की शुरूआत
सबसे पहले गंगा नदी तंत्र की शुरूआत उत्तराखंड राज्य के चमोली जनपद से होती है। जिसमें यह नदी तंत्र पहले पंचप्रयागों का निर्माण करते करते गंगा नदी का निर्माण उत्तराखंड राज्य के अंतिम या पांचवे प्रयाग में करती है।
पंचप्रयागों का निर्माण
विष्णुप्रयाग
गंगा नदी तंत्र की शुरूआत सतोपंथ ग्लेशियर से निकलने वाली अलकनन्दा नदी से होती है। जो उत्तराखंड राज्य के (चमोली जनपद) पड़ता है। इसके बाद अलकनन्दा नदी में एक नदी का संगम होता है, जिसका नाम धौलीगंगा है। जिस स्थान पर अलकनन्दा और धौली गंगा संगम होता है, उस स्थान को विष्णुप्रयाग के नाम से जाना जाता है। जो उत्तराखंड के पंचप्रयागों मे प्रथम प्रयाग है। |
नंदप्रयाग
इसके बाद जब अलकनन्दा नदी अपने पथ पर आगे की ओर बढ़ती है, तो तोड़ी से दूरी पर अलकनन्दा में दूसरी नदी मिलती है। और उस नदी का नाम नन्दाकिनी नदी है। जिस स्थान पर अलकनन्दा और नंदाकिनी नदी का संगम होता है। उस स्थान को नंदप्रयाग के नाम से जाना जाता है। जो उत्तराखंड के पंचप्रयागों में दूसरा प्रयाग है। |
कर्णप्रयाग
इसके बाद जब अलकनन्दा नदी अपने मार्ग पर और आगे बढ़ती है, तो अलकनन्दा नदी से तीसरी प्रमुख नदी का मिलन होता है। और उस नदी का नाम है, पिंडर नदी। तथा जिस स्थान पर अलकनन्दा और पिंडर नदी का मिलन होता है, उस स्थान को कर्णप्रयाग के नाम से जाना जाता है। जो की पर्यटन के लिए एक बहुत खूबसूरत जगह है। कर्णप्रयाग उत्तराखंड के पंच प्रयागों में तीसरा प्रयाग है। |
रूद्रप्रयाग
इसके बाद आगे चलकर अलकनन्दा से चौथी प्रमुख नदी का मिलन होता है। और उस नदी को हम नाम मंदाकिनी नदी कहते हैं। जो केदारनाथ से निकलकर आती है। और जिस स्थान पर अलकनन्दा और मंदाकिनी नदी का संगम होता है। उस स्थान को रूप्रयाग के नाम से जाना जाता है। जो उत्तराखंड राज्य का चौथा प्रयाग है। |
इसके बाद उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद में स्थित गंगोत्री नामक ग्लेशियर से पड़ता है। जहां से गंगोत्री नदी निकलती है। अर्थात गंगोत्री नदी गंगोत्री ग्लेशियर से निकलती है। जब गंगोत्री नदी उत्तराखंड राज्य के टिहरी जनपद में भिलांगना नदी से मिलती है, जिससे भागीरथी नदी का निर्माण होता है। अर्थात इन दोनों नदीयों के संगम से भागीरथी नदी का निर्माण होता है। जो आगे चलकर देवप्रयाग में अलकनन्दा नदी से मिल जाती है। तथा जिस स्थान पर भागीरथी और अलकनन्दा नदी का मिलन होता है। उस स्थान को देवप्रयाग के नाम से जाना जाता है। जो उत्तराखंड राज्य के पंचप्रयागों में 5वां प्रयाग है।
जिस स्थान पर गंगोत्री नदी से भिलांगना नदी से आकर मिलती है वह टिहरी नाम से प्रख्यात स्थान है। और इन दोनों नदीयों के संगम पर ही भारत का सबसे ऊंचा बांध का निर्माण किया गया है। जिसे टिहरी बांध के नाम से जाना जाता है।
देवप्रयाग में अलकनन्दा और भागीरथी नदी के मिलन से एक नई नदी (गंगा नदी) का निर्माण होता है। जो उत्तराखंड में ही नही पूरे विश्व में प्रख्यात है। देवप्रयाग से आगे यह नदी गंगा नदी के नाम से जानी जाती है।
देवप्रयाग से जब गंगा नदी आगे बढ़ती हुए ऋषिकेश पहुंचती है। जो एक बहुत खुबसूरत Place है। और ऋषिकेश के बाद ये पहुंचती है, हरिद्वार में जहां से गंगा नदी मैदानों में प्रवेश करती है।
हरिद्वार से आगे बढ़ते हुए गंगा नदी उत्तर प्रदेश राज्य में प्रवेश करती है। जहां गंगा नदी को उसकी पहली बड़ी सहायक नदी मिलती है। जिसे हम रामगंगा के नाम से जानते हैं। रामगंगा उत्तर प्रदेश के कन्नौज वाले इलाके में गंगा नदी से मिलती है।
यमुना और उसकी सहायक नदियां
उत्तर प्रदेश के कन्नौज वाले इलाके से आगे बढ़ते हुए गंगा नदी से एक और नदी का मिलन होता है। जिसे हम यमुना नदी के नाम से जानते हैं। जो (UP) के प्रयागराज में गंगा नदी से मिलती है। यमुना नदी जो कि उत्तराखंड की यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है।
गंगा नदी में मिलने से पहले यमुना नदी में कई नदियां मिलती है। सबसे पहले यमुना नदी में टोंस नदी आकर मिलती है। फिर यमुना नदी आगे बढ़ते हुए इसमें हिंडन नदी का मिलन होता है। टोंस और हिंडन उत्तराखंड में ही यमुना नदी से मिलती है। जो यमुना नदी की सहायक नदियां हैं। और यमुना गंगा नदी की सहायक नदी हो जाएगी।
जब यमुना और आगे बढ़ती है, तो उसमें एक और नदी का मिलन होता है, और उस नदी का नाम हैं, (चंबल नदी)। जो मध्य प्रदेश में स्थित जानापाव पहाड़ी से निकलती है। और (उत्तर प्रदेश) के इटावा में क्षेत्र में यमुना नदी से मिलती है। चंबल नदी घड़ियाल के लिए बहुत प्रसिद्ध नदी है। जिस पर राष्ट्रय चम्बल घड़ियाल अभयारण्य बनाया गया है।
अब जो चंबल नदी इसमें बहुत सारी सहायक नदियां मिलती है। जिसमें राजस्थान राज्य से चंबल नदी तीन नदियां आकर मिलती है। जिसमें सबसे पहले (खारी ) उसके बाद (मेज) और फिर (बनास नदी) ये तीनों नदी चंबल नदी में आकर मिलती है।
व मध्य प्रदेश से भी चंबल नदी में कई सहायक नदियां मिलती है। जिसमें सबसे पहले क्ष्रिपा नदी उसके बाद कालीसिंध और फिर पार्वती नदी मिलती है। ये सारी 6 के 6 नदियां चंबल नदी की सहायक नदियां हैं। और चंबल नदी स्वंय इटावा में यमुना नदी से मिल जाती है।
जब यमुना नदी इटावा से आगे बढ़ती है, तो इसमें सिंध नामक नदी का मिलती है। सिंध के बाद एक और नदी यमुना में आकर मिलती है, जिसका नाम है, (बेतवा नदी) जो (UP) के हमीरपुर में यमुना से मिलती है। और बेतवा की एक सहायक नदी है, धशान।
बेतवा नदी के बाद यमुना में एक और नदी मिलती है, (केन नदी) जो (UP) बांदा में जाकर यमुना में मिलती है।
जब गंगा (UP) के प्रयागराज से आगे बढ़ती है, तो आगे बढ़ते हुए गंगा में एक और नदी का मिलन होता है, और इस नदी का नाम है (गोमती नदी)। और गोमती (UP) गाजीपुर में गंगा नदी से मिल जाती है।
उसके बाद गंगा नदी में (UP) से आने वाली कर्मनाशा नदी का मिलन होता है। जो बिहार के चौसा नामक स्थान पर गंगा नदी से मिल जाती है। कर्मनाशा नदी बहुत ज्यादा प्रदूषित नदी है।
फिर उसके बाद गंगा घाघरा नदी मिलन होता है। घाघरा नदी दो नदियों (घाघरा और शारदा) नदीयों से मिलकर बनी है। जो बिहार के छपरा में गंगा नदी से मिल जाती है।
इसके बाद गंगा में सोन नदी मिलन होता है। मध्य प्रदेश के (अमरकंठक) से निकलने वाली यह नदी बिहार के पटना में जाकर गंगा नदी से मिल जाती है। और पटना में यही पर महात्मागांधी सेतु बनाया गया है।
गंगा जब इसके बाद और आगे बढ़ेगी तो इसमें पुनपुन नदी का मिलन होता है। जो बिहार के फतुहा में जाकर गंगा में मिल जाएगी।
इसके बाद नेपाल से एक नदी आकर गंगा में मिल जाती है। और इस नदी का नाम है, गंडक नदी। जो बिहार के सोनपुर में आकर गंगा नदी से मिल जाती है।
गंडक नदी के बाद अगली नदी जो गंगा में मिलती है, उसका नाम है, कोसी नदी। जो तिब्बत के गोसाई धाम से निकलती है। जो बिहार के भागलपुर में आकर गंगा नदी में मिल जाती है। व इसमें भयंकर बाढ़ आती है। कोसी नदी अपना मार्ग बदलने के लिए सबसे ज्यादा कुख्यात नदी है। और कोसी नदी को बिहार का शोक कहा जाता है।
गंगा नदी में हुगली नदी का मिलन
इसके बाद गंगा से (एक वितृका नदी) नदी निकली है। और इस वितृका नदी का नाम है, हुगली नदी। जो गंगा की एक वितृका नदी है। जो पश्चिम बंगाल में स्थित है। वितृका नदी का अर्थ होता है। जब किसी नदी की एक प्रमुख धारा बाहर की ओर निकल कर आ जाती है। तो उसे उस नदी की वितृका नदीं कहते हैं। हुगली नदी को विश्व की सबसे बड़ी विश्वासघाती नदी कहा जाता है। समस्या ये थी कि हुगली नदी में पानी की बहुत ज्यादा कमी हो रही थी। और हुगली नदी के किनारे बना हुआ है कलकत्ता बंदरगाह। तो कलकत्ता बंदरगाह के लिए पानी की बहुत ज्यादा कमी हो रही थी। तो 1972 के आस-पास ये प्लान किया गया कि हमें गंगा नदी पर फरक्का बैराज का निर्माण करना चाहिए। और फरक्का बैराज बना करके गंगा नदी के पानी को हुगली नदी की ओर मोड़ा गया। फरक्का बैराज को पश्चिम बंगाल वाले इलाके में बनाया गया है। जो भारत और बंगालदेश के बीच विवादित है। हुगली में एक नदी आकर मिलती है, जिसका नाम दामोदर नदी। जिसे बंगाल का शोक कहा जाता है। दामोदर नदी पर भारत की प्रथम नदी परियोजना प्रारंभ हुई थी। और इस नदी को जैव मरूस्थल कहा जाता है। क्योंकि यह नदी बहुत ज्यादा प्रदूषित नदी है। |
इसके बाद गंगा नदी के साथ महानंदा नदी का मिलन होता है। और महानंंदा पश्चिम बंगाल में गंगा नदी से मिलती है।
महानंदा के मिलन के बाद जैसे ही गंगा नदी बांग्लादेश में प्रवेश करती है, तो गंगा नदी में एक और नदी (जमुना नदी) मिलन बांग्लादेश में होता है। और ब्रहापुत्र नदी को बांग्लादेश में जमुना के नाम से जाना जाता है। जैसे ही गंगा नदी बांग्लादेश में प्रवेश करती है। तो गंगा नदी को बांग्लादेश में पद्यमा के नाम से जाना जाता है।
जब बांग्लादेश में पद्यमा और जमुना नदी एक-दूसरे से मिलती है, तो ये दोनों नदियां एक नयी नदी का निर्माण करती है। जिसे हम मेघना नदी के नाम से जानते हैं। इसके बाद मेघना नदी विश्व का सबसे बड़ा सुंदरवन का डेल्टा बनाते हुए बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।
गंगा नदी महत्वपूर्ण जानकारियां
|
गंगा नदी की विशेषताएं
|
Read More Post…..बहुउदेशीय नदी घाटी परियोजनाएं
FAQ – गंगा नदी अपवाह तंत्र
गंगा नदी मैदानों में उत्तराखंड राज्य के हरिद्वार जिले से प्रवेश करती है। गंगा नदी का निर्माण देवप्रयाग से हुआ है। गंगा नदी की पहली बड़ी सहायक नदी रामगंगा है, जो उत्तर प्रदेश के कन्नौज क्षेत्र में गंगा नदी से मिलती है। यमुना नदी उत्तराखंड राज्य में स्थित यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है।गंगा नदी मैदानों में प्रवेश कहां से करती है?
गंगा नदी का निर्माण कहां से हुआ है?
गंगा नदी की पहली बड़ी सहायक नदी कौन-सी है?
यमुना नदी कहां से निकलती है?