उत्तराखंड की खनिज सम्पदा |
उत्तराखंड की खनिज सम्पदा
उत्तराखंड अभी तक की खनिज सम्पदाओं की खोज के आधार पर देश का एक देश का एक मध्यम श्रेणी का राज्य है। यहां लघु हिमालय तथा शिवालिक श्रेणी के शैलों, दून तथा नदी घाटियों में खनिज व उपखनिज पाये जाते हैं।
राज्य में खनिजों की खोज, सर्वेक्षण आदि हेतु भूतत्व एवं खनिज कर्म निदेशालय का गठन किया गया है। राज्य में पाये जाने वाले प्रमुख खनिज व उपखनिज इस प्रकार के हैं।
संगमरमर
संगरमरमर मुख्य रूप से देहरादून एवं टिहरी जिलों में तथा गौण रूप से चमों के उलकनन्दा व विरही गंगा घाटियों में पाया जाता हैं। मसूरी (दूहरादून) के समीप संगमरमर के पर्याप्त भण्डार 4 मिलियन टन है।
खड़िया (चाक)
प्रदेश में खड़िया (चाक) देहरादून, टिहरी, पौढ़ी, चमोली, तथ नैनीताल जिलों में पाया जाता है। देहारदून में मसूरी के समीप स्थित महागांव और कियारकुली खड़िया के मुख्य क्षेत्र हैं।
खड़िया एक ऐसा खजिन प्रदार्थ है जिसमें कैल्शियम सल्फेट की मात्रा पायी जाती है। तथा इसका उपयोग उर्वरक पोर्टलैंड सीमेंट, प्लॉस्टर ऑफ पेरिस (POP) आदि में किया जाता है।
- सहस्त्रधारा (देहरादून) में मंझरा में खड़िया के निक्षेपों के अन्वेषण हुआ है। जिसमें चूना व शैल का मिश्रण है तथा यह कड़ी, सफेद एवं पथरीली है।
- टिहरी में सोंग नदी के दाहिने किनारे के रंगार गांव एवं रीरा गांव में खड़िया की बड़ी पेटियां चूने तथा स्टेल के साथ प्राप्त हुई है। इस क्षेत्र में 30 हजार टन खड़िया के निक्षेप अनुमानित है।
- लक्ष्मण झूला (देहरादून) के समीप नीट गांव में खड़िया की पेटिया हैं, जिनमें 5000 टन खड़िया होने का अनुमान है।
टिन
चमोली प्रदेश का एक मात्र ऐसा जिल्ला है। जहां टिन धातु पायी जाती है।
चांदी
राज्य के अल्मोड़ा जिल्ले के कुछ स्थानों से चांदी की कुछ मात्रा मिली है।
सोना
राज्य की अलकनन्दा और पिण्डार नदियों की बालू में सोना मिलता है। वहीं कुछ मात्रा में सोना शारदा और रामगंगा की बालू में भी पाया जाता है।
पाथर और पटाल
प्रदेश में श्रेष्ठतम प्रकार का पाथर (पटाल) अल्मोड़ा जिले में प्रचुर मात्रा में पाया जात है। पटाल का उपयोग मकानों की छतों, आंगन, नालियों, सड़कों आदि के निर्माण में किया जाता है।
गंधक
राज्य में गधक की खोज सर्वप्रथम 1957 में चमोल के नंद प्रयाग से लगभग 51 Km दूर पर्व दिशा में स्थित रूपगंगा घाटी में सुदौला ग्राम के समीप स्फटिक शिलाओं में किया गया था।
- इसके बाद चमोली के गोहानाताल के पास चूने में बद्रीनाथ के तप्तकुण्ड व तपोवन के तप्तकुण्ड के पास इस खनिज का पाया गया।
- देहरादून के सहस्त्रधारा प्रपात के जल में गंधक घुला होता है। इस जल से स्नान करने से त्वचा के कई रोग ठीक हो जाते हैं।
माक्षिका या पाइराइट
यह एक लोहे का सल्फाइड है जो सल्फर का मुख्य अयस्क है। लौह खनिज होते हुए भी पाइराइट का उपयोग लौह उद्योग में नहीं होता है। पीले रंग के कारण इसे ‘मूर्खो का सोना’ भी कहते हैं। यह मुख्यत: प्रदेश के अल्मोड़ा जनपद में पाया जाता है।
सीसा (सिलिकासैन्ड)
राज्य के पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, देहरादून, उत्तरकाशी तथा पौढ़ी जिलों में सिलिकासैन्ड पाया जाता है।
- पिथौरागढ़ के चंडाक, देवलगढ़, रालम तथा भैंसवाल आदि स्थानों पर सीसा मिलता है।
- अल्मोड़ा के राई, चैनापानी, पट्टी खराही और विलौन क्षेत्र में मिलता है।
- देहरादून के टोंस घाटी क्षेत्र के कुमा-बुरेला तथा मुघौला में सीसा पाया जाता है।
एस्बेस्टास
यह खनिज राज्य के ऊखीमठ व कांधेरा (पौढ़ी) तथा अल्मोड़ा जिलों में पाया जाता है। ताप सहन करने एवं रासायनिक क्रिया से अधिक प्र|भावित क्षमता न होने के कारण औद्योगिक क्षेत्र में इसका अधिक प्रयोग होता है। इसका उपयोग तापरोधी वस्तुओं के निर्माण में किया जाता है।
बेराइटस
राज्य के देहरादून जिले में बेराइटस के पर्याप्त भण्डार है।