उत्पादन के कारक

उत्पादन के कारक


विषय – उत्पादन के कारक

उत्‍पादन –

उद्योगों द्वारा किसी वस्‍तु या सेवा का निमार्ण करना ही उत्‍पादन कहलाता है। जिससे मानवीय आवश्‍यकताओं की पूर्ति की जा सकती है। अर्थव्‍यवस्‍था में उत्‍पादन (Production) दो ही चीजों हाेता है। पहली या तो किसी Goods (वस्‍तु) से और दूसरी या तो किसी Service (सेवा) होती है। इसके अलावा तीसरा (Option) नहीं होता है। अर्थव्‍यवस्‍था को चलाने के लिए या तो हम किसी वस्‍तु का उत्‍पादन करेंगे या तो हम किसी सेवा का उत्‍पादन करेंगे। जितनी भी फिजिकल चीजें होती हैं।  जैसे – कार, बुक, या पेन ये सभी चीजें वस्‍तुओं के अर्न्‍तगत आते हैं। जैसे – डॉक्‍टर के पास हम जाते हैं, अध्‍यापक बच्‍चों को पढ़ाते हैं। ये सभी सेवा के अर्न्‍तगत आते हैं। उत्‍पादन के कारकों का मतलब होता है कि अगर हमें दुनिया में किसी भी वस्‍तु या सेवा का उत्‍पादन करना है, तो उसके लिए  Basic चीजें क्‍या होनी चाहिए। क्‍या-क्‍या Fundmental aliment होने चाहिए।

Important Point

उत्‍पादन के कारक 

किसी वस्‍तु और सेवा के उत्‍पादन के चार कारक होते हैं।

  1. पूँजी                     –      Capital
  2. भूमि                     –      Land
  3. श्रम                      –      Labar
  4. उद्यमशीलता          –      Enterpreneurship –                                         (जोखिम लेनी की क्षमता)

किसी भी चीज का उत्‍पादन करने के लिए हमें किन-किन चीजों की जरूरत पड़ती है चलिए समझते हैं। जैसे मान लीजिए हमें एक Biscuit की Factory खोलनी है। और मेरे बिस्‍कुट का नाम है (Parle Biscuit)। और हमें Biscuit की Factory खोलने के लिए किन-किन चीजों की आवश्‍यकता होगी। अब प्रश्‍न उठता है कि Factory खोलने के लिए सबसे पहले हमें किस चीज की जरूरत है। 


सबसे पहले हमें किस चीज की जरूरत होगी

सबसे पहले हमें Biscuit की Factory खोलने के लिए Capital (पूँजी) की आवश्‍यकता पड़ेगी। जो हमारी पहली Requirement जरूरत होगी। यद‍ि हमारे पास पूँजी नहीं है, तो बिना पूँजी के हम कोई भी Business नहीं कर सकते हैं। तो सबसे पहले हमें पूँजी अर्थात मुद्रा की जरूरत पड़ेगी। जो अर्थव्‍यवस्‍था में उत्‍पादन का पहला कारक माना जाता है। और यदि हमारे पास पूँजी है तो क्‍या हम पूँजी से ही किसी वस्‍तु का उत्‍पादन कर सकते हैं, नहीं इसके लिए और भी चीजों की जरूरत पड़ेगी।   


दूसरी जिस चीज की हमें जरूरत पड़ेगी

अब मान लीजिए हमारे पास पैसे आ गये और हमें पता है, कि Biscuit कैसे बनाना है। अब यदि हमें किसी चीज का Production (उत्‍पादन) करना है, तो इसके लिए हमें एक Factory लगानी होगी। और Factory किस पर लगेगी भूमि पर। जिसके लिए हमें एक Land (भूमि) की आवश्‍यकता पड़े़े़ेगी। और भूमि में दो चीजें आती हैं, एक तो प्राकृतिक संसाधन और दूसरी मशीनरी चीजें। तो हमें किसी भी वस्‍तु का उत्‍पादन करने के लिए दूसरी जिस चीज की आवश्‍यकता पड़ती है, वह भूमि है। जिस अर्थव्‍यवस्‍था में उत्‍पादन का दूसरा कारक माना जाता है। अब हमारे पास दो चीजें आ गयी हैं, पूँजी और भूमि। लेकिन सिर्फ पूँजी और भूमि के माध्‍यम से ही हम किसी वस्‍तु का उत्‍पादन नहीं कर सकते हैं। इसके लिए हमें अन्‍य चीजों की भी जरूरत पड़ती है। 


तीसरी जिस चीज की हमें जरूरत पड़ेगी

अब हमें उत्‍पादन के लिए जिस तीसरी चीज की जरूरत पड़ेगी। वह चीज है, Labor (श्रम)। क्‍योंकि Factory में केवल हम ही पूरा-का-पूरा कार्य नहीं कर सकते हैं। तो इसके लिए हमें लेबर की जरूरत होगी। बल्कि लेबर की नहीं उनके श्रम की जरूरत होगी। इसका अर्थ निकला है कि यदि हमें किसी चीज का उत्‍पादन करना है, तो उसके लिए तीसरी जिस चीज की हमें जरूरत पड़ेगी वह है Labor (श्रम) की। जिस अर्थव्‍यवस्‍था में उत्‍पादन का तीसरा सबसे बड़ा कारक माना जाता है।


चौथी जिस चीज हमें जरूरत पड़ेगी

अब हमारे पास तीन चीजें हो गई हैं, पूँजी, भूमि, श्रम इन तीनों चीजों होने के बाद भी हमारे पास सबसे महत्‍वपूर्ण चीज होनी चाहिए। उसे न तो खरीद सकते हैं न ही हम उसे किसी से मॉंग सकते हैं। क्‍योंकि वह चीज स्‍वंय हमारे पास ही होती है। और चीज का नाम है, उद्यमशीलता। पूँजी, भूमि, और श्रम इन तीनों चीजों के होने के बाद भी हमें उत्‍पादन करने के लिए जिस चीज की सबसे ज्‍यादा जरूरत पड़ती है, उसे  उद्यमशीलता कहते हैं। उद्यमशीलता का अर्थ होता है, कि Risk appetite (जोखिम लेने कि क्षमता)। यदि हमारे पास पूँजी, भूमि और श्रम ये तीनों के तीनों चीजे (Availble) है। लेकिन इसके बाद भी हम किसी वस्‍तु या सेवा का उत्‍पादन नहीं कर पा रहे हैं, तो इसका मतलब ये हुआ कि हमारे अन्‍दर उद्यमशीलता अर्थात जोखिम लेने की कमी है। तो अर्थव्‍यस्‍था में उत्‍पादन के लिए चौथी  सबसे बड़ी जिस चीज Requirement (आवश्‍यकता) होती है, उसे उद्यमशीलता अर्थात (जोखिम लेने की क्षमता) कहते है।


2. उत्‍पादन के कारकों का प्रतिफल

उत्‍पादन के कारकों के प्रतिफल का मतलब है कि अभी तक हमने उदाहरण के माध्‍यम से उत्‍पादन के कारकों को समझा है कि उत्‍पादन के कितने कारक होते हैं। और ये किस प्रकार से किसी भी वस्‍तु और सेवा के उत्‍पादन के लिए जरूरी है। लेकिन अब हम उत्‍पादन के कारकों प्रतिफल में ये जानेगें कि।

  1. पूँजी के बदले क्‍या मिलेगा।
  2. भूमि के बदले क्‍या मिलेगा।
  3. श्रम के बदले क्‍या मिलेगा।
  4. उद्यमशीलता के बदले क्‍या मिलेगा।

जो भी चीज हमें इन चार के बदले में मिलेगी वह उस चीज का प्रतिफल हाेगा।

 

 
 

उत्‍पादन के कितने कारक होते हैं?

उत्‍पादन के 4 कारक होते हैं।
 

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