उत्तराखंड के वन्‍यजीव अभ्‍यारण्‍य

उत्तराखंड के वन्‍यजीव अभ्‍यारण्‍य

 


उत्तराखंड के वन्‍यजीव अभ्‍यारण्‍य

गोविंद वन्‍य-जीव विहार

 485 किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले ‘गोविंद वन्‍य-जीव अभ्‍यारण’ की स्‍थापना में सन 1955 उत्तरकाशी जनपद कि गयी थी। इस वन्‍य जीव अभ्‍यारण में मुख्‍य रूप से हिम बाघ (स्‍नो लेपर्ड), गुलदार, बिल्‍ली, काला व भूरा भालू, काकड़ तथा अन्‍य पक्षी जैसे कस्‍तूरी मृग, मोनाल फीजेंट, कोकलास फीजेंट आदि पक्षी पाये जाते हैं।

केदारनाथ वन्यजीव अभ्‍यारण्य

सन 1972 में स्‍थापित ‘केदारनाथ वन्‍य जीव अभ्‍यारण्‍य’ 975 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।

  • जो राज्‍य के चमोली एवं रूद्रप्रयाग जनपद के केदारखण्‍ड क्षेत्र में स्थित है।
  • क्षेत्रफल की दृष्टि से यह राज्‍य का सबसे बड़ा वन्‍य जीव अभ्‍यारण्‍य है।
  • इस वन्‍य जीव अभ्‍यारण्‍य को हिमालयी कस्‍तुरी मृग के संरक्षण हेतु स्‍थापित किया गया है।

 

अस्‍कोट वन्‍य जीव अभ्‍यारण्‍य

पिथौरागढ़ जनपद में स्थित ‘अस्‍कोट वन्‍य जीव अभ्‍यारण्‍य’ की स्‍थापना सन 1986 की गयी थी।

  • यह वन्‍य जीव अभ्‍यारण्‍य 600 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल फैला हुआ है।
  • यहॉं पर पाये जाने वाले प्रमुख वन्‍य जीवों में हिम बाघ, रीछ अर्थात भालू, भरल, थार तथा पक्षियों में कोकलास, फीजेन्‍ट, मोनाल, हिमालयन स्‍नोकोक, तथा ट्रेगोपान आदि हैं।

 

सोन नदी वन्‍य-जीव अभ्‍यारण्‍य

सन 1987 स्‍थापित सोन नदी वन्‍य जीव अभ्‍यारण्‍य पिथौरागढ़ जनपद में स्थित है।

  • जो 301 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है।
  • यहां के वन्‍य जीवों में  – हाथी, शेर, सियार, मगरमच्‍छ, घड़‍ियाल, अजगर तथा गोह हैं।
  • तथा वन्‍य पक्षियों में  – ग्रेड पाइड, हॉर्नबिल, पलास फिशिंग ईगल, कलीज, हिमालयन पाइड तथा किंग फिशर है।
  • वन्‍य वनस्‍पतियों में – साल, शीशम, शैर, असना, जामुन, बॉंस, आदि वनस्‍पतियों से आच्‍छादित वन हैं।

 

बिनसर वन्‍य-जीव अभ्‍यारण्‍य

सन 1988 में स्‍थापित ‘बिनसर वन्‍य-जीव अभ्‍यारण्‍य‘ प्रदेश के अल्‍मोड़ा जनपद में स्‍थापित है।

  • जो 47 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है।
  • यहां पाये जाने वाले वनस्‍पतियों में देवदार, बॉंज, बुरॉंश, सुरई, अंयार इत्‍यादि हैं।

 

मसूरी वन्‍य जीव अभ्‍यारण्‍य

सन 1993 में स्‍थापित मसूरी वन्‍य जीव अभ्‍यारण्‍य देहरादून जनपद में स्थित राज्‍य का सबसे छोटा वन्‍य जीव अभ्‍यारण्‍य है।

  • जो 11 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है।
  • इसे ‘विनोग माउन्‍टेन क्‍वेल‘ वन्‍य जीव अभ्‍यारण्‍य के नाम से भी जाना जाता है।
  • विलुप्‍त घोषित माउन्‍टेन क्‍वेल (पहाड़ी बटेर) को अन्तिम बार यहीं देखा गया था।

 

उत्तराखंड के राष्‍ट्रीय उद्यान


नन्‍धौर वन्‍य जीव अभ्‍यारण्‍य

सन 2012 में स्‍थापित नन्‍धौर वन्‍य जीव अभ्‍यारण्‍य को वन्‍य जीवो तथा वनस्‍पतियों के संरक्षण हेतु नैनीताल में नन्‍धौर नदी तथा ऊधमसिंहनगर जनपद की सीमा के पर इस वन्‍य जीव अभ्‍यारण का गठन किया गया।

  • जो 270 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है।

 

क्षेत्रफल की दृृष्टि से उत्तराखंड के वन्‍यजीव अभ्‍यारण्‍य

उत्तराखंड के वन्‍यजीव अभ्‍यारण्‍य

क्षेत्रफल

बड़ा/छोटा 

केदारनाथ वन्‍य-जीव अभ्‍यारण्‍य  975 वर्ग किमी.  राज्‍य का (सबसे बड़ा अभ्‍यारण्‍य) 
अस्‍कोट वन्‍य-जीव अभ्‍यारण्‍य 600 वर्ग किमी.
गोविंद वन्‍य-जीव अभ्‍यारण्‍य  485 वर्ग किमी.
सोना नदी वन्‍य-जीव अभ्‍यारण्‍य 301 वर्ग किमी.
नन्‍धौर वन्‍य-जीव अभ्‍यारण्‍य  270 वर्ग किमी.
बिनसर वन्‍य-जीव अभ्‍यारण्‍य 47 वर्ग किमी.
मसूरी वन्‍य-जीव अभ्‍यारण्‍य 11 वर्ग किमी.  राज्‍य का (सबसे छोटा अभ्‍यारण्‍य) 

 

उत्तराखंड के वन्यजीव अभ्यारण्य भारतीय हिमालय में महत्वपूर्ण स्थल हैं, जो विविधता से भरपूर हैं। यहां वन्य जीवन की अनेक प्रजातियां और उनके आवास स्थल पाए जाते हैं, जैसे कि हिमालयन ब्लैक बीअर, स्नो लियोपर्ड, हिमालयन थार, और बर्ड स्पेशिज। ये अभ्यारण्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और पर्यटन के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। उनकी शांति, सुंदरता और प्राकृतिक समृद्धि उत्तराखंड के पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।

 

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