उत्तराखंड के प्रतीक चिन्ह |
उत्तराखंड के प्रतीक चिह्न
शासकीय चिन्ह
उत्तराखण्ड का राज्य-चिह्न उत्तराखण्ड सरकार की राजकीय मोहर है, जिसका उपयोग राज्य द्वारा सभी प्रकार के प्रशासनिक एवं राजकीय क्रियाकलापों अर्थात राजकीय कार्यों में राज्य का प्रतिनिधित्व करने के लिये किया जाता है।
- शासकीय कार्यों मे जिस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। उसे राज्य चिन्ह कहते हैं।
- यदि हम उत्तराखंड के राज्य चिन्ह के आकार की बात करें, तो यह चिन्ह हीरे के आकार या समचतुर्भुज जैसा प्रतीत होता है।
- इस राज्य चिन्ह में (तीन पर्वत चोटियां) दिखाई देती हैं। जिसमें बीच वाली चोटी पर लाल पृष्ठ में अशोक की लाट अंकित है।
- अशोक की लाट के नीचे संस्कृत भाषा में (सत्यमेव जयते) लिखा गया है। जिसे मुण्डोकपनिषद से लिया गया है।
- राज्य चिन्ह के बीच वाले भाग में श्वेत पृष्ठ पर चार जल धारायें हैं। जो प्रदेश की 4 प्रमुख नदीयों को दर्शाती है। जिसमें गंगा, यमुना, राम गंगा एवं काली आती है।
- पृष्ठ का लाल रंग शहदी राज्य आन्दोलनकारियों के रक्त का प्रतीक है।
- श्वेत रंग की पृष्ठभूमि शांति प्रिय प्रवृति वाले उत्तराखंडवासियों का प्रतीक है।
- राज्य चिन्ह के सबसे नीचे वाले भाग में नीले रंग में उत्तराखंड राज्य अंकित है।
- यह प्रतीक चिन्ह उत्तराखंड शासन के सभी दस्तावेजों में प्रयुक्त किया जाता है।
उत्तराखंड का राज्य गीत
- उत्तराखंड के प्रतीक चि का राज्य गीत – ”उत्तराखंड देवभूमि मातृभूमि शत शत वंदन अभिनंदन” है।
- उत्तराखंड का राज्य गीत (6 फरवरी 2016 हेमन्त बिष्ट) द्वारा लिखित है।
- उत्तराखंड राज्य गीत चयन समिति के अध्यक्ष – लक्ष्मण सिंह बटोही जी हैं।
- राज्य गीत में आवाज (श्री नरेन्द्र सिंह नेगी व अनुराधा निराला) जी ने दी है।
उत्तराखंड का राज्य पशु
उत्तराखंड राज्य का राज्य पशु कस्तूरी मृग है। जो राज्य में 3600 मीटर से लेकर 4400 मीटर की ऊँचाई पर पाये जाते हैं।
- कस्तूरी मृग को (हिमालय का मस्कडियर) कहा जाता है।
- इसका मृग का वैज्ञानिक नाम (मास्कस काइसोगासटर) है।
- कस्तूरी मृग राज्य के जंगलों में (3600 मी० से 4400 मी०) उॅंचाई पर पाये जाते हैं।
- राज्य मे कस्तूरी मृग की 4 प्रजातियाँ पाई जाती है।
- कस्तूरी मृग ‘अंगुलोटा कुल’ व ‘मोशिडे परिवार‘ का सदस्य है।
- कस्तूरी मृग ज्यादा मात्रा में केदारनाथ, फूलों की घाटी, पिथौरागढ़ और उत्तरकाशी में पाये जाते है।
- कस्तूरी मृग राज्य के अलावा हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, कश्मीर में भी पाये जाते हैं।
उत्तराखंड का राज्य पुष्प
उत्तराखंड का राज्य पुष्प ब्रह्मकमल है। जिसे एक पवित्र और दुर्लभ फूल माना जाता है। यह वर्ष में केवल एक बार खिलता है।
- ब्रह्मकमल राज्य के हिमालयी क्षेत्रों में 4800 मीटर से 6000 मीटर की ऊँचाई पाये जाते हैं।
- ब्रह्मकमल का फूल (ऐसटेरसी कुल) का पौधा है।
- जिसका वैज्ञानिक नाम (सोसूरिया अबबेलेटा) है।
- ब्रह्मकमल की अन्य प्रजातियों में ‘फेनकमल व कस्तूरा‘ कमल भी मिलते है।
- ब्रह्मकमल को स्थानीय भाषा में कौंल पद्म कहा जाता है।
- कश्मीर में ब्रह्मकमल को दूधाफूल कहते है।
- कश्मीर में ब्रह्मकमल को गलगल कहा जाता है।
- नेपाल में ब्रह्मकमल को टोपगोला कहते है।
- महाभारत के वन पर्व में ब्रह्मकमल को सौगन्धिक पुष्प कहा गया है।
उत्तराखंड का राज्य वृक्ष
उत्तराखंड का राज्य पुष्प बुरांश है। जो राज्य के विभिन्न ऊँचाई वाले क्षेत्रों में अत्यधिक मात्रा में पाया जाता है।
- बुरांश वृक्ष (1500-4000) मी० ऊँचाई की पर मिलने वाला एक सदाबहार वृक्ष है।
- जिसका वैज्ञानिक नाम (रोडोडेन्ड्रान अरबोरियम) है।
- बुरांश एरिकेसई कुल का वृक्ष है। बुरांश वृक्ष को हिमाचल प्रदेश में बुरांशों एवं कन्नड़ में बुरांश को बिली कहा जाता है।
- बुरांश नेपाल का राष्ट्रीय पुष्प है। जहां इस वृक्ष को गुरांश कहा जाता है।
- बुरांश वृक्ष को (वन्य अधिनियम 1974) के तहत संरक्षित वृक्ष घोषित किया गया है।
उत्तराखंड का राज्य पक्षी
उत्तराखंड राज्य का राज्य पक्षी मोनाल है। जो राज्य में 2500 से 5000 मीटर की ऊँचाई पर पाया जाता है।
- मोनाल को हिमालय का मयूर कहा जाता है।
- जिसका वैज्ञानिक नाम लोफोफोरस इंपीजेनस है।
- मोनाल नेपाल का राष्ट्रीय पक्षी है। जो डफिया परिवार से सम्बन्धित पक्षी है।
- मोनाल पक्षी को स्थानीय भाषा में मन्याल या मुनाल कहते हैं।
- मोनाल फेंजेण्ड परिवार का पक्षी है। जिसकी 4 अन्य प्रजातियां पायी जाती है।
उत्तराखंड की राज्य तितली
उत्तराखंड की राज्य तितली कॉमन पीकॉक है।
- जिसे 7 अप्रैल 2016 का उत्तराखंड राज्य की कॉमन पीकॉक या लोग मोर को राज्य तितली घोषित किया गया।
- जो हिमालयी क्षेत्रों में 7000 फीट की ऊँचाई में पायी जाती है।
- कॉमन पीकॉक का वैज्ञानिक नाम (पैपिलियों बायनर) है।
- सन 1996 को लिम्बा बुक ने कॉमन पीकॉक को भारत की सबसे सुन्दर तितली का खिताब दिया।
- कॉमन पीकॉक प्रिय भोजन टिमरू के पेड़ की पत्तियां होती है।
- सन 2016 में उत्तराखंड राज्य के देहरादून जनपद में स्थित क्षेत्र लच्छीवाला में (बटरफ्लाई पार्क) खोला गया।
उत्तराखंड राज्य का वाद्य यंत्र
- उत्तराखंड राज्य का वाद्यंयत्र ढोल है।
- भंडारी कमेटी की सिफारिश पर तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सन 2015 में ढोल को राज्य वाद्यंत्र घोषित किया ।
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