उत्तराखंड के प्रमुख कलाकार |
कबूतरी देवी
- ‘कुमाऊॅं कोकिला’ व ‘उत्तराखंड की जीतनबाई’ के उपनामों से विख्यात प्रसिद्ध लोक गायिका कबूतरी देवी का जन्म सन 1950 तके उत्तराखंड राज्य के चंपावत जनपद में हुआ था।
- उत्तराखंड के लोकगीतों को आकाशवाणी, रेडियो जगत व प्रतिष्ठित मंचों के माध्यम से पहचान दिलाने वाली इस लोकगायिका का उत्तराखंड के लोकगीतों को एक नई पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका है।
- राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित लोकगायिका कबूतरी देवी को ‘वाइस ऑफ द हिल’ भी कहा जाता है।
- सन 2016 इन्हें ‘उत्तराखंड लाइफटाईम अचीवमेंट अवार्ड’ से भी सम्मानित किया गया है।
इन्द्र मणि बडोनी
- ‘उत्तराखंड का गाॅंधी‘ एवं ‘माउंटेन गॉंधी‘ के नाम से सम्मानित इन्द्र मणि बडोनी जी का जन्म 24 दिसम्बर 1924 में टिहरी जनपद के अखोड़ी गांव में हुआ था।
- इन्होंने सर्वप्रथम लोक कलाकार के रूप में कर्मक्षेत्र में पदार्पण किया। इसके पश्चात रंगकर्मी, एक वक्ता तथा राजनेता के तौर पर भी अपने आप को पेश किया।
- सन 1956 में बडोनी जी के नेतृत्व में लखनऊ में ‘चौफला केदार‘ नृत्यगीत प्रस्तुत किया गया।
- पृथक उत्तराखंड राज्य की मांग करने वाली यह पहली राजनेता थी।
- पृथक उत्तराखंड राज्य की मांग को जन समर्थन प्राप्त करने के लिए इन्होंने 1979 में ‘उत्तराखंड क्रांति दल‘ का गठन किया।
हरिराम कोहली
- हरिराम कोहली का जन्म 13 जून 1953 प्रदेश के अल्मोड़ा जनपद में हुआ था।
- ये उत्तराखंड के पहले ‘माउथ एण्ड फुट पेंटिग आर्टिस्ट’ हैं।
अब प्रश्न उठता है कि (माउथ एण्ड फुट पेंटिग आर्टिस्ट) क्या होते हैं और किन्हें कहते हैं।
- ‘माउथ एण्ड फुट पेंटिग आर्टिस्ट’ एक ऐसी तकनीकी होती हैं, जिसमें ब्रश और अन्य औजारों को मुंह या पैर चलाकर चित्र, पेंटिग तथा अन्य कलाकृतियां बनाई जाती है।
- इस तकनीकी का इस्तेमाल ज्यादातर ऐसे कलाकार करते हैं, जो किसी दुर्घटना, बीमारी या जन्मजात से विकलांगता के कारण अपने हाथों का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं।
- हरिराम कोहली कई पुरस्कारों से सम्मानित उत्तराखंड के पहले हाथ पैरों से विकलांग चित्रकार हैं।
- हरिराम ने मुँह से कैंची पकड़कर चित्रकारी आरम्भ की और एक दिन उनकी यह मेहनत रंग लाई।
- जिसका परिणाम यह रहा की एक दिन वह जर्मन की ‘माउथ एण्ड फुट पेंटिग संस्था’ के सदस्य बन गये।
उत्तम दास
- ढोलवादक के रूप में प्रख्यात उत्तम दास का जन्म सन 1960 में हुआ था।
- राज्य में उत्तम दास ढोल सागर के अकेले ज्ञाता हैं। जो पारंपरिक वाद्य यंत्र ‘ढोल-दमाऊ‘ बजाने में कुशल हैं।
- ढोलवादक कला में कुशल उत्तम दास जी को राष्ट्रपति पुरस्कार मिल चुका है।
अनूप शाह
- स्वतंत्र छायाकार (फोटोग्राफर), पर्वतारोही और लेखक श्री अनूप शाह का जन्म 1949 में प्रदेश के नैनीताल जनपद में हुआ था।
- 1983 में इनकी ‘कुमाऊँ-हिमालय टेम्पटेशन्स‘ (पिक्टोरियल बुक) प्रकाशित हुुई।
- 1999 में ‘नैनीताल-दि लैण्ड आफ वुड ट्रम्पेट एण्ड सांग्स’ (पिक्टोरियल बुक) प्रकाशित हुई।
- 2019 में पदमश्री से सम्मानित अनूप शाह को उत्तराखंंड में ‘जैवविविधता का इनसाइक्लोपीडिया’ कहा जाता है।
- अस्कोट नंदाखाट व कैलाश मानसरोवर सहित 6 बड़ी चोटियों को फतह करने वाले शाह की लगभग 350 फोटोग्राॅफ्स को राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत किया जा चुका है।
यशोधर मठपाल
- यशोधर मठपाल जी का जन्म प्रदेश के अल्मोड़ा जनपद के नौला गांव में हुआ था।
- मठपाल जी ने ‘राष्ट्रीय मानव संग्रहालय’ की नौकरी छोड़कर।
- नैनीताल के भीमताल में ‘लोक संस्कृत संग्रहालय’ की स्थापना की।
- प्रागैतिहासिक पुरातत्व एवं लोककला संस्कृति पर इन्होंने 19 मौलिक पुस्तकों का सृजन किया।
- तथा इनके 200 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित हुए हैं। मठपाल जी ने उत्तराखंड की काष्ठ शिल्प पर प्रशंसनीय कार्य किए हैं।
- यशोधर मठपाल जी उत्तराखंड संस्कृति, कला एवं साहित्य परिषद के उपाध्यक्ष का पद भार भी संभाला है।
- इन्हें 2005 में पदश्री, तथा 2012 में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला आवार्ड व उज्जैन के कालीदास सम्मान से भी सम्मानित किया गया।
नरेन्द्र सिंह नेगी
- नरेन्द्र सिंह नेगी जी का जन्म 12 अगस्त 1949 को प्रदेश के पौढ़ी जनपद में हुआ था।
- गढ़वाली गीत लेखन तथा गायन से जुड़े नरेन्द्र नेगी को ‘गढरतन‘ गढ़गौरव तथा ‘पहाड़ियों का बॉब डिलन‘ कहा जाता है।
- खुचकण्डि, गाण्यूं कि गंगा-स्याण्यूं का समोदर, मुट्ठि बोटि कर रख उनके प्रमुख गीत एवं कविता का संग्रह है।
- नेगी जी 2022 संगीत नाटक अकादमी, 2021 उत्तराखंड गौरव सम्मान, 2021 आवाज रत्न से सम्मानित हुए हैं।
- अनेक पुरस्कारों से सम्मानित नेगी जी ने 200 से अधिक गीतों को गाया है।
- इनका सर्वाधिक प्रसिद्ध गीत ‘बुरांश’ है।
चन्द्र सिंह राही
- उत्तराखंड लोक संगीत के ‘भीष्म पितामह’ कहे जाने वाले प्रसिद्ध गढ़वाली गायक कवि एवं संगीतकार राही जी का जन्म सन 1942 में प्रदेश के पौढ़ी जनपद में मांडास्यूं गांव में हुआ है।
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