अर्थव्यवस्था के क्षेत्र |
अर्थव्यवस्था के क्षेत्र
अर्थव्यवस्था के क्षेत्र को 3 भागों में बॉंटा गया है।
- पहला – आर्थिक क्रियाओं के आधार पर
- दूसरा – कार्य के आधार पर
- तीसरा – स्वामित्व के आधार पर।
1.आर्थिक क्रियाओं के आधार पर
आर्थिक क्रियाओं के आधार पर अर्थव्यवस्था को 5 क्षेत्रों में बांटा गया है।
- प्राथमिक क्षेत्र
- द्वितीयक क्षेत्र
- तृतीयक क्षेत्र
- चतुर्थ क्षेत्र
- पंचत क्षेत्र
प्राथमिक क्षेत्र – Primary Sector
अर्थव्यवस्था का ऐसा क्षेत्र जहां पर उत्पादन प्राकृतिक संशाधनों के द्वारा किया जाता है, उसे प्राथमिक क्षेत्र कहते है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कृषि।
- अगर हम Ariculture में सारी चीजों को देखें तो कृषि एक पूर्ण रूप से प्राकृतिक प्रक्रिया है। कृषि से जितनी भी फसले हमें प्राप्त होती है। वो सारी प्राथमिक क्षेत्र में आती है।
- कृषि के अलावा इस क्षेत्र में पशुपालन भी आयेगा। और जितनी भी चीजें हमें पशुओं से मिलती है वो भी प्राकृतिक होती है।
- इसके अलावा प्राथमिक क्षेत्र में मत्स्य पालन भी आ जायेगा।
- इसके साथ ही साथ इस क्षेत्र में खनन भी आता है।
- इस क्षेत्र कृषि और कृषि के साथ ही पशुपालन और मत्स्य पालन भी जुड़ा हुआ है। इसलिए हम इस क्षेत्र को कृषि एवं सहायक क्षेत्र भी बोलते हैं।
- जितने भी लोग प्राथमिक क्षेत्र में कार्य करते हैं, उन्हें Red coller job कहा जाता है।
प्राथमिक क्षेत्र का योगदान भारत की GDP में मात्र 17% है। लेकिन भारत के लिए सबसे बड़ी समस्या ये है कि जो क्षेत्र 17 प्रतिशत का योगदान भारत की GDP में कर रहा है। उस क्षेत्र में भारत के लगभग 55 प्रतिशत लोग प्रत्यक्ष रूप से और 65 प्रतिशत लोग अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं।
द्वितीयक क्षेत्र – Secondary sector
अर्थव्यवस्था का ऐसा क्षेत्र जो प्राथमिक क्षेत्र से मिलने वाले कच्चे माल का ‘मूल्यवर्धन‘ करके उत्पादन करता है। उस क्षेत्र को द्वितीयक क्षेत्र कहा जाता है। इस प्रकार के कार्य को उद्योगों द्वारा किया जाता है।
Example
गेहूँ → | Factory → | बिस्किट का निर्माण |
- जैसे कि मान लीजिए प्राथमिक क्षेत्र से हमे गेहूँ प्राप्त हुआ। अब ये गेहूँ एक Factory में गया, और इस Factory में जाने के बाद गेहूँ से बिस्किट बना दिया। अब यहां पर हो सकता है 1 kg गेहूँ सिर्फ 5 रूपये में बिक रहा हूँ। लेकिन जब इस 1 किलो गेहूँ से 1 किलो बिस्किट तैयार किए जायेगे। तो वह 100 रूपये में बिकेंगे। तो क्या यहां पर गेहूँ का मूल्यवर्धन Value addition है।
- हाँँ, यहां पर गेहूँ का मल्यवर्धन हुआ है। क्योंकि जो गेहूँ हमें सामान्यत: 5 रूपये किलो बाजार से मिलता है। अब वहीं बिस्किट के रूप में 100 रूपये किलो में मिल रहा है।
- इस क्षेत्र में सारे के सारे उद्योग आते हैं, इसी कारण से इसे औद्योगिक व विनिर्माण क्षेत्र भी कहते हैं।
इस क्षेत्र में दो प्रकार के लेबर काम करते हैं।
- एक तो वो लेबर हैं, जो कुशल Skillful होते हैं, अर्थात इंजीनियर और कंप्यूटर वाले। और जितने भी कुशल लोग द्वितीयक क्षेत्र में काम करते हैं। उन्हें (White Collar) कहा जाता है।
- दूसरे यहां पर वो लेबर आते हैं, जो अकुशल Unskill होते हैंं। अर्थात की मजदूरी का काम करते हैं। और जितने भी अकुशल लोग द्वितीयक क्षेत्र में काम करते हैं, उन्हें ( Blue Collar ) कहा जाता है।
तृतीयक क्षेत्र – Tertiary Sector
अर्थव्यवस्था का ऐसा क्षेत्र जो प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रों को सेवाएं प्रदान करता है, उसे तृतीयक क्षेत्र कहा जाता है। इन सेवाओं में परिवहन, बैंक, ट्रासपोटेशन, साफटवेयर, शिक्षा, स्वास्थ सेवाएं इत्यादि आते हैं।
- अब क्योंकि इस पूरे के पूरे क्षेत्र में हम सेवाएं ही प्रदान कर रहे हैं। जिस कारण इस क्षेत्र को सेवा क्षेत्र भी कहा जाता है।
- इस क्षेत्र का भारत की GDP में 55 प्रतिशत का योगदान है।
लेकिन समस्या यहां पर ये है कि प्रत्यक्ष रूप से भारत की आबादी का 10 प्रतिशत हिस्सा ही काम करता है। तो यही भारत की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ी समस्या है, एक ओर प्राथमिक क्षेत्र है। जिसका भारत की GDP में 65 प्रतिशत का योगदान है। लेकिन वहां पर 50 प्रतिशत से ज्यादा लोग काम कर रहे हैं।
वहीं दूसरी ओर तृतीयक क्षेत्र है। जो भारत की अर्थव्यवस्था में 55 प्रतिशत का योगदान दे रहा है। लेकिन वहां प्रत्यक्ष रूप से मात्र 10 प्रतिशत ही लोग काम कर रहे हैं। यही भारतीय अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी समस्या है। हमें इसको Balance करना है। और इसी चीज को Balance करने के लिए भारत सरकार बहुत-सी योजनाएं लाती है।
चतुर्थक क्षेत्र – Quaternary Sector
जितनी भी ज्ञान आधारित सेवाएं होती हैं जैसे – अनुसंधान इन सबको चतुर्थ क्षेत्र में शामिल किया गया है।
- इस क्षेत्र के अन्तर्गत ज्ञान आधारित उद्योगों को शामिल किया गया है।
- इस क्षेत्र से संबंध गतिविधियां अनुसंधान व विकास पर केंद्रित होती है।
- इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को White Collar कहा जाता है।
पंचम क्षेत्र – Quinary Sector
- इस क्षेत्र के अन्तर्गत उच्चतम स्तर पर नीतियों के निर्धारण एवं निर्णय प्रक्रिया से संबंधित गतिविधियों को शामिल किया जाता है। अर्थात उन लोगों को पंचम क्षेत्र में शामिल किया जाता है। जो नीतियों को बनाने का काम करते हैं। जो पंचम क्षेत्र होता है। इसमें नीति निर्माता और प्रबंधको को शामिल किया जाता है।
- जैसे इस क्षेत्र के अंर्तगत वरिष्ठ व्यावसायिक अधिकारी, अनुसंधान वैज्ञानिक, विधि व वित परामर्शदाता आदि को शामिल किया गया है।
- पंचम क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को Gold Collar कहा जाता है।
2.कार्य के आधार पर
कार्य के आधार पर अर्थव्यवस्था के दो प्रकार के क्षेत्र होते हैं।
- संगठित क्षेत्र । Organized Sector
- असंगठित क्षेत्र । Unorganized Sector
संगठित क्षेत्र – Organized sector
संगठित क्षेत्र ऐसे क्षेत्र को कहा जाता है। जिसमें रोजगार की शर्ते निश्चित और नियमित होती है। तथा कर्मचारियों को सुनिश्चित कार्य व सामाजिक सुरक्षा मिलती है।
अर्थात ऐसी Job जिसमें सेवा शर्ते नियमित और निर्धारित होती है। मतलब की
- एक रेगुलर आपको Working condition मिलती है।
- एक Particular salary आपको मिलती है।
- और इसमें समाजिक सुरक्षा जिसमें पेंशन और बीमा की सुविधा आती है।
- और साथ ही इसमें अवकाश की सुविधा भी होती है।
तो ऐसा कोई भी कार्य जो इस प्रकार का होता है। उसे संगठित क्षेत्र का रोजगार कहा जाता है। इसमें जितनी भी सरकारी नौकरीयां होती है। वो सारी संगठित क्षेत्र में आती है। इसके अलावा जो बड़ी- बड़ी Private companies होती है वो जो Job provide करती है वो भी संगठित क्षेत्र में आती है।
असंगठित क्षेत्र – Unoragnized Sector
असंगठित क्षेत्र ऐसे क्षेत्र को कहा जाता है। जिसमें एक Job में वो सारी सुविधाएं नहीं मिलती है जो कि एक संगठित क्षेत्र में मिलती है।क्र
- असंगठित क्षेत्र मे न तो अवकाश निश्चित होता है।
- और ना ही इसमें Salary fix होती है।
- किसी भी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा नहीं मिलती है। अर्थात न तो बीमा की सुविधा और न ही पेंशन की सुविधा मिलती है।
जो आपको छोटे-छोटे बिजनेस में देखने को मिलेगी। अब भारत में माना लीजिए 100 प्रतिशत लोग काम कर रहे हैं। तो उसका
- 10 प्रतिशत हिस्सा संगठित क्षेत्र में कार्य करता है।
- और 90 प्रतिशत हिस्सा असंगठित क्षेत्र में कार्य करता है।
मतबल भारत के पूरे के पूरे श्रम बल का जितने भी लोग भारत में काम करते हैं। उसमें से 90 प्रतिशत लोग असंगठित रोजगार में लगे हुए हैं। यही कारण है कि भारतीय सरकार ने कुछ योजनाएं जारी की थी। जैसे -अटल पेंशन योजना और प्रधानमंत्री जीवन बीमा योजना जारी की गई थी। जो खास तौर असंगठित क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों के लिए की गई थी।
3.स्वामित्व के आधार पर
स्वामित्व के आधार पर अर्थव्यवस्था के दो प्रकार क्षेत्र होते हैं।
- सार्वजनिक क्षेत्र/Public Sector
- निजी क्षेत्र/Private Sector
सार्वजनिक क्षेत्र – Public Sector
सार्वजनिक क्षेत्र का अर्थ होता है कि यदि किसी भी (इकाई) Unit में सरकार की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से ज्यादा है। तो उसे हम सार्वजनिक क्षेत्र कहते हैं। अर्थात उसे हम कहेगे कि यह सार्वजनिक क्षेत्र में कार्य करता है।
निजी क्षेत्र – Private Sector
निजी क्षेत्र का अर्थ होता है कि यदि किसी भी इकाई में निजी क्षेत्र की भागीदारी 50 प्रतिशत से ज्यादा होती है। तो उसे हम निजी क्षेत्र कहते हैं। या हम कह सकते हैं यह Private Sector Industry है।
Examlpe
- जैसे मान लीजिए हमारी Boat नाम की एक कंपनी है। और अगर इस कंपनी में सरकार की भागीदारी 51 प्रतिशत की है। तो Boat नाम की यह कंपनी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हो जाएगी। वहीं इस कंपनी में निजी भागीदारी 51 प्रतिशत से ज्यादा है। तो फिर यह निजी क्षेत्र की कंपनी हो जाएगी।
Read Post….उत्पादन के कारक
तीन ऐसे शब्द जो हर वक्त चर्चा में रहते हैं।
- निजीकरण
- विनिवेश
- राष्ट्रीयकरण
निजीकरण – Privatization
जब सरकार बहुत सारी चीजों का निजीकरण Privatization कर रही है। निजीकरण का मतलब होता है कि
- मान लीजिए Boat नाम कंपनी में 100 प्रतिशत की हिस्सेदारी सरकार की है। तो यह एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हो गई। अर्थात एक सरकारी कंपनी है।
- अब सरकार ने निर्णय लिया कि वो इस कंपनी का निजीकरण करेगी। तो सरकार Boat कंपनी के 51 प्रतिशत के शेयर को बेच देगी।और जैसे ही सरकार ने 51 प्रतिशत शेयर Boat कंपनी के बेच दिए। तो अब ये कंपनी निजी कंपनी में आ जाएगी। और ये इसका कंपनी का निजीकरण Privatization कहलाता है।
विनिवेश – Disinvestment
जब सरकार किसी भी सरकारी कंपनी के शेयर को बेचती है। तो इसे विनिवेश Disinvestment कहा जाता है।
- मान लीजिए सरकार के पास Boat नाम की कंपनी के 100 प्रतिशत शेयर है। अब सरकार ने ये नही कहा कि हम इसका Privatization (निजीकरण) करेगे। लेकिन सरकार ने ये कहा कि हम इस कंपनी के 20 प्रतिशत शेयर को बेचना चाहते हैं।
- तो जब सरकार Boat कंपनी के इन 20 प्रतिशत शेयर को बेचेगी। तो इसे कहा जायेगा विनिवेश Disinvestment।
राष्ट्रीयकरण -Nationlization
राष्ट्रीयकरण का अर्थ होता है, जब सरकार किसी निजी कंपनी के 51 प्रतिशत शेयर को खरीद लेती है। तो इसे राष्ट्रीयकरण Nationlization कहा जाता है।
जब सरकार किसी Private company के 51 प्रतिशत शेयर को खरीद लेती है। तो अब वो कंपनी सरकार की हो जाती है। अर्थात सरकार की हो गई मतलब वो राष्ट्र की हो गई। तो उसे राष्ट्रीयकरण कहा जाता है।
FAQ – अर्थव्यवस्था के क्षेत्र
अर्थव्यवस्था के क्षेत्र को तीन भागों में बांटा गया है। आर्थिक क्रियाओं के आधार पर, कार्य के आधार पर, और स्वामित्व के आधार पर। आर्थिक क्रियाओं के आधार पर अर्थव्यवस्था को 5 क्षेत्रों में बांटा गया है। प्राथमिक क्षेत्र, द्वितीयक क्षेत्र, तृतीय क्षेत्र, चर्थुत क्षेत्र और पंचत क्षेत्र। कार्य के आधार पर अर्थव्यवस्था को 2 क्षेत्रों में बांटा गया है। संगठित क्षेत्र और असंगठित क्षेत्र। स्वामित्व के आधार पर अर्थव्यवस्था को 2 क्षेत्रों में बांटा गया है। अर्थव्यवस्था का ऐसा क्षेत्र जहां पर उत्पादन प्राकृतिक संशाधनों के द्वारा किया जाता है, उसे प्राथमिक क्षेत्र कहते है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण कृषि है। Red Collar द्वितीय क्षेत्र में कार्य करने वाले कुशल लोगों को White Collar और अकुशल लोगों को Blue Collar कहा जाता है। एक ऐसा क्षेत्र जो प्राथमिक क्षेत्र से मिलने वाले कच्चे माल का मूल्यवर्धन करके उत्पादन करते हैं। उस क्षेत्र को द्वितीयक क्षेत्र कहा जाता है। और इस कार्य को उद्योगों द्वारा किया जाता है। एक ऐसा क्षेत्र जो प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रों को सेवाएं प्रदान करता है, उसे तृतीयक क्षेत्र कहा जाता है। इन सेवाओं में परिवहन, बैंक, ट्रासपोटेशन, साफटवेयर, शिक्षा, स्वास्थय इत्यादि आते हैं। सेवा क्षेत्र। जितनी भी ज्ञान आधारित सेवाएं होती हैं जैसे – अनुसंधान इन सबको चतुर्थ क्षेत्र में शामिल किया गया है। और इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को White Collar कहा जाता है। उन लोगों को पंचम क्षेत्र में शामिल किया जाता है। जो नीतियों को बनाने का काम करते हैं। जो पंचम क्षेत्र होता है। इसमें नीति निर्माता और प्रबंधको को शामिल किया जाता है। पंचम क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को Gold Collar कहा जाता है। संगठित क्षेत्र ऐसे क्षेत्र को कहा जाता है। जिसमें रोजगार की शर्ते निश्चित और नियमित होती है। तथा कर्मचारियों को सुनिश्चित कार्य व सामाजिक सुरक्षा मिलती है। असंगठित क्षेत्र ऐसे क्षेत्र को कहा जाता है। जिसमें एक Job में वो सारी सुविधाएं नहीं मिलती है जो कि एक संगठित क्षेत्र में मिलती है। सार्वजनिक क्षेत्र का अर्थ होता है कि यदि किसी भी (इकाई) Unit में सरकार की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से ज्यादा है। तो उसे हम सार्वजनिक क्षेत्र कहते हैं। अर्थात उसे हम कहेगे कि यह सार्वजनिक क्षेत्र में कार्य करता है। निजी क्षेत्र का अर्थ होता है कि यदि किसी भी इकाई में निजी क्षेत्र की भागीदारी 50 प्रतिशत से ज्यादा होती है। तो उसे हम निजी क्षेत्र कहते हैं। या हम कह सकते हैं यह Private Sector industary है।अर्थव्यवस्था के क्षेत्र को कितने भागों में बांटा गया है?
आर्थिक क्रियाओं के आधार पर अर्थव्यवस्था को कितने क्षेत्रों में बांटा गया है?
कार्य के आधार पर अर्थव्यवस्था को कितने क्षेत्रों में बांटा गया है?
स्वामित्व के अधार पर अर्थव्यवस्था को कितने क्षेत्रों में बॉंटा गया है?
प्राथमिक क्षेत्र किसे कहते हैं?
प्राथमिक क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को क्या कहा जाता है?
द्वितीय क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को क्या कहा जाता है?
द्वितीयक क्षेत्र किसे कहते हैं?
तृतीयक क्षेत्र किसे कहते हैं?
तृतीयक क्षेत्र को अन्य किस नाम से जाना जाता है?
चतुर्थ क्षेत्र किसे कहते हैं?
पंचम क्षेत्र किसे कहते हैं?
पंचम क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को क्या कहा जाता है?
संगठित क्षेत्र किसे कहते हैं?
असंगठित क्षेत्र किसे कहते हैं?
सार्वजनिक क्षेत्र किसे कहते हैं?
निजी क्षेत्र किसे कहते हैं?