हरिद्वार जिला

 हरिद्वार जिला


विषय – हरिद्वार जिला

हरिद्वार उत्तराखंड का एक विशिष्‍ट जिला है। इस जिल्‍ले का गठन 28 दिसम्‍बर 1988 को किया गया था। यह जिल्‍ला पहले उत्तर प्रदेश के सहारनपुर मंडल में था। और 1988 से लेकर उत्तराखंड राज्य के गठन तक यह जिला उत्तर प्रदेश के सहारनपुर मंडल में ही रहा। लेकिन जब 9 नवंबर सन 2000 में उत्तराखंड राज्‍य का गठन के बाद इस जिल्‍ले को भी उत्तराखंड राज्‍य में शामिल किया गया।


हरिद्वार जिला      हरिद्वा जिला ( हर की पैड़ी )


हरिद्वार जनपद को पुराण तथा संस्‍कृत साहित्‍य में  इसे ( चार धामों का द्वारा,  तीर्थस्‍थलों का प्रवेश द्वार,  स्‍वर्ग का द्वार,  तथा गंगाद्वार और मायापुरी या मायाक्षेत्र आदि नामों से भी जाना जाता है


हरिद्वार जनपद का इतिहास

  • प्राचीन इतिहासकारों के अनुसार इस क्षेत्र के वन का नाम ‘खांडववन‘ के नाम से प्रसिद्ध था। जिसमें पांडवों ने अपने अज्ञातवास के समय को गुजारा था।
  • 1000 वर्ष पूर्व जैन ग्रन्‍थ के अनुसार प्रथम जैन तीर्थंकर भगवान आदिनाथ ने हरिद्वार क्षेत्र में रहकर तपस्‍या की थी।
  • आज से लगभग 2056 वर्ष पूर्व उज्‍जैन के राजा ( विक्रमादित्‍य ) के बड़े भाई राजा भर्तृहरि ने हरिद्वार के शिवालिक श्रेणी पर तपस्‍या की और दो महान ग्रथों ( नीतिशक और वैराग्‍य शतक) की रचना की थी। 
  • राजा विक्रमादित्‍य ने अपने भाई की याद में हरिद्वार में गंगा नदी पर ( पौड़‍ियों ) अर्थात सीढियों का निर्माण कराया था। जिसे भर्तृहर‍ि की पैड़ी कहा जाता था। और वर्तमान समय में इसे (हर की पैड़ी) बोला जाता हैं।
  • इसी के साथ राजा विक्रमादित्‍य ने हरिद्वार में एक भवन का निर्माण भी करवाया था। जो भग्‍नावेशेषों के रूप में ( डाट हवेली ) के नाम से आज हर की पैड़ी में स्थित है। 
  • सन 1915 और 1927 में महात्‍मा गांधी भी हरिद्वार की यात्रा पर आये थे।
  • चीनी यात्री ह्वेनसांग सन 634 में हरिद्वार आया था। उसने हरिद्वार जिल्‍ले ”मो-यू-लो”  और गंगा नदी को भद्रा कहा था।

पौराणिक ग्रन्‍थों में वर्णित 5 महत्‍वपूर्ण तीर्थं स्‍थान

हर की पैड़ी 

यहॉं का पवित्र घाट राजा विक्रमादित्य ने अपने भाई भर्तृहरि की स्मृति में बनवाया था। अकबर के सेनापति राजा मानसिंह ने हर की पैड़ी का नए सिरे से निर्माण शुरू किया था। यह पवित्र स्थान ब्रह्मकुंड घाट के रूप में भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है, कि यहां पर स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है

शांति कुंज – 

आचार्य प्रवर पं. श्रीराम शर्मा के संरक्षण मे शान्तिकुंज संस्‍थान की स्‍थापना सन 1971 में हुई। इस संस्‍थान में नृत्‍य, गायत्री यज्ञ व साधना होती है। आज यह स्‍थान गायत्री तीर्थं के रूप में प्रसिद्ध है।

सप्‍तऋषि आश्रम

कहा जाता है कि जब गंगा जी पृथ्‍वी पर उतरी तो हरिद्वार के निकट सप्‍तऋषियों के आश्रम को देखकर रूक गई और यह निर्णय नहीं कर पायी कि किस ऋषि के आश्रम के सामने से प्रवाहित हों, क्‍योंकि प्रश्‍न सभी ऋषियों के सम्‍मान का था। एवं उनके कोपभाजन बनने का भी भय था। तब गंगा को देवताओं ने सात धाराओं में विभक्‍त होने को कहा, और गंगा सात धाराओं में विभक्‍त होकर बहीं। और आज यहां पर सप्‍तऋषि आश्रम स्‍थापित है।

मंसादेवी मंदिर

मंसादेवी का मंदिर हरिद्वार में शिवालिक पर्वत श्रृंखला बिल्‍व शिखर में स्थित है। इस मंदिर में ब्रह्मां के मन से उत्‍पन्‍न तथा जत्‍कारू ऋषि की पत्‍नी सर्फराज्ञी देवी (मां मनसा ) की हाँ तीन मुख और पांच भुजाओं वाली अष्ट नाग वाली मूर्ति स्थापित है। इस मंदिर में रोप-वे और पैदल मार्ग के माध्यम से जाया जा सकता है।

मायादेवी मंदिर

यह मंदिर देवी माँ के 51 शक्तिपीठों में से एक पीठ है। यह मंदिर हरिद्वार रेलवे स्‍टेशन से 3 Km की दूरी पर स्थित है। मायादेवी हरिद्वार की अधिष्‍ठात्री देवी है।

रूड़की/ Roorkee –

हरिद्वार का यह उपनगर गंगा नहर के दोनों और सोनाली नदी के दक्षिण में स्थित है। इस नगर का विकास तब आरंभ हुआ जब ऊपरी  गंगा नहर का निर्माण कार्य शुरू किया गया। 

इस नहर की परिकल्पना तत्कालीन गवर्नर ( थॉमसन ) ने की थी। तथा इसका निर्माण ( कर्नल पी बी काटले ) के नेतृत्व में किया गया। इसके निर्माण में 1847 में रुड़की में स्थापित एशिया के प्रथम इंजीनियर कॉलेज ( थॉमसन कॉलेज आफ सिविल इंजीनियर) का महत्वपूर्ण तकनीक सहयोग रहा वर्तमान समय में इस कॉलेज को आईटीआई का दर्जा प्राप्त है। इस कॉलेज को भारत सरकार द्वारा 21 सितंबर 2001 को आईआईटी विश्वविद्यालय में परिवर्तित किया गया। जो कि स्वतंत्र भारत का पहला इंजीनियरिंग कॉलेज है।

1847 में स्थापित एशिया के प्रथम इंजीनियरिंग कॉलेज के पश्चात रुड़की में – रक्षा एवं तकनीक कौशल का प्रमुख कार्यालय, बंगाल इंजीनियरिंग ग्रुप, एवं केंद्र भवन अनुसंधान संस्थान, राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, भारतीय सिंचाई अनुसंधान संस्थान, जैसे कहीं महत्वपूर्ण संस्‍थानों की स्थापना की गई।


Read More Post…..

उत्तराखंड के राष्‍ट्रीय उद्यान

FAQ – हरिद्वार जिला

हरिद्वार किस राज्‍य का जिला है?

हरिद्वार उत्तराखंड राज्‍य का एक विशिष्‍ट जिला है।

हरिद्वार जिला की स्‍थापना कब हुई?

हरिद्वार जिला की स्‍थापना 28 दिसम्‍बर 1988 को हुई।

हर‍िद्वार जिला 9 नवंंबर 2000 से पहले किस राज्‍य के अन्‍तर्गत आता था?

हरिद्वार जिला 9 नवंंंबरर 2000 से पहले उत्तर प्रदेश के सहारनपुर मंडल के अन्‍तर्गत आता था।

हरिद्वार जिला कब उत्तराखंड राज्‍य में शामिल हुआ।

जब उत्तराखंड राज्‍य की स्‍थापना 9 नवंंबर 2000 को हुई थी उसी समय इस जिल्‍ले को उत्तराखंड राज्‍य में शामिल किया गया था।

हरिद्वार को पुराणों और साहित्‍य में अन्‍य किन-किन नामों से जाना जाता है?

हरिद्वार को पुराणों और साहित्‍य में – चार धामों का द्वारा, स्‍वर्ग का द्वार, गंगा द्वार, मायापुरी या मायाक्षेत्र आदि के नामों से जाना जाता है।

प्राचीन इतिहासकारों के अनुसार हरिद्वार के वन क्षेत्र को किस नाम से जाना जाता था?

प्राचीन इतिहासकारों के अनुसार हरिद्वार के वन क्षेत्र को ( खांडववन ) के नाम से जाना जाता था।

उज्‍जैन के राजा विक्रमादित्‍य के बड़े भाई भर्तृहरि ने किन दो महान ग्रन्‍थों की रचना की थी?

उज्‍जैन के राजा विक्रमादित्‍य के बड़े भाई भर्तृहरि ने हरिद्वार के शिवालिक श्रेणी पर तपस्‍या करके ( नीतिशक और वैराग्‍य शतक ) दो महान ग्रन्‍थों की रचना की थी।

महात्‍मा गांधी हरिद्वार की यात्रा पर कब-कब आये थे?

महात्‍मा गांधी सन 1915 और 1927 में हरिद्वार की यात्रा पर आये थे।

चीनी यात्री ह्वेनसांग कब हरिद्वार आये थे?

चीनी यात्री ह्वेनसांग सन 634 में हरिद्वार आया था। व ह्वेनसांग ने हरिद्वार जिल्‍ले को ”मो यू लो” और गंगा नदी को भद्रा कहा था।

गंगा नदी को भद्रा के नाम से किसने सम्‍बोधित किया था?

चीनी यात्री ह्वेनसांग गंगा नदी को भद्रा नाम से सम्‍बोधित किया था या कहा था।

शांतिकुंज संस्‍थान की स्‍थापना कब हुई थी?

शांतिकुंज संस्‍थान की स्‍थापना सन 1971 में आचार्य प्रवर पं. श्रीराम र्शमा के संरक्षण में हुआ था, और आज यह स्‍थान गायत्री तीर्थं के रूप में प्रसिद्ध है।

एशिया का प्रथम इंजीनियरिंग कॉलेज कहॉं स्थित है?

एशिया का प्रथम इंजीनियरिंग कॉलेज उत्तराखंड राज्‍य के हरिद्वार जिल्‍ले के रूड़की में स्थित है। इस इंजीनियरिंग कॉलेज पुराना नाम ( थॉमसन कॉलेज आफ सिविल इंजीनियर ) जिसका निर्माण 1847 में ( कर्नल पी. बी. काटले ) के नेतृत्‍व में किया गया था।

एशिया के प्रथम इंजीनियरिंग कॉलेज का नाम ( थॉमसन कॉलेज आफ सिविल इंजीनियर ) से बदल कर ( IIT ) रूड़की कब किया गया?

भारत सरकार द्वारा 21 सितंबर 2001 को एशिया के प्रथम इंजीनियरिंग कॉलेज का नाम ( थॉमसन कॉलेज आफ सिविल इंजीनियर ) से ( IIT ) रूड़की विश्वविद्यालय में परिवर्तित किया गया। जो कि स्वतंत्र भारत का पहला इंजीनियरिंग कॉलेज है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Share
Share